JOINT FAMILY के लिए बहुतअच्छी कविता
एक पत्ती, अकड़ चढ़ गई,_
_खुद के परिवार से अलग। _
_वो पत्ता पेड़ से अलग होकर गिरता हुआ_
_बहुत खुश है,_
_ हैश! अब मैं इस भीड़ से आजाद हूँ,_
_यह दिमाग से सोता है। _
_हवा के साथ बह रहा हूँ_
_ऐसे ही लहराता है,_
_ ब्रह्मांड बाहर बहुत सुंदर है! _
_यह उसके मन में होता है। _
_पेड़ पर चिपके रहे_
_कहाँ घूम रहे हो वहाँ ऐसे ! _
_बस दूसरे ही होते हैं,_
_रोज़ मुझसे टकराता है,_
_यहाँ वायु के साथ_
_मस्ती से उड़ जाना,_
_और बहारों के साथ खिलवाड़_
_गीत मस्ती के साथ गाये जाते हैं। _
_पानी से उछलते हुए_
_और जो कूदता है उसे नींद आ रही है,_
_लेकिन खुशी क्षणिक होती है_
_वो कहाँ समझता है। _
_जब बहारों से बहते हुए_
_पहुंचता है किनारे पर,_
_जानवरों के गड्ढे के नीचे_
_जब बहुत ज्यादा रगड़ रहा हो। _
_*जो दुःख हरे न पाये*
_*अब बहुत पछतावा है,*_
_*पेड़ से जुड़े होना*_
_*कीमत वही समझता है। *
_स्वतंत्रता प्रिय लगती है_
_लेकिन महंगा साबित होता है,_
_*संयुक्त परिवार संबंध नहीं*_
_*लेकिन जीवन सच्चा विरोधाभास है। *_
। (अज्ञात)
_संयुक्त परिवार ही असली समर्थन और जीवन के लिए सर्वश्रेष्ठ है। _
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