कंठमाला ( SCROFULA )
परिचय :
कंठमाला एक गले का रोग है जो गिल्टियों के रूप में उत्पन्न होता है। इसमें जलन होती है। इन गिल्टियों के बढ़ने के साथ बुखार बना रहता है। गिल्टियां बढ़ जाने पर अपने आप फूट जाती हैं, उसमें से मवाद निकलना शुरू हो जाता है और घाव नासूर की तरह बहता रहता है। इस रोग में रोगी का शरीर दिन-प्रतिदिन दुर्बल होता जाता है। जीर्णवस्था (गांठों के ज्यादा पुराने हो जाने पर) में इन्हें अपची के नाम से जाना जाता है।
भोजन और परहेज :
कोद्रावबीज, पुराने शालि चावल, जौ, मूंग, पटोलफल, शिग्रुफल और पत्र (पत्ते), कारवेल्लक फल गंडम अपची (गले की गांठों) के रोगियों के लिए बहुत ही लाभकारी है।
गुरू, मधुर (मीठा) और अम्ल रस (खट्टा रस) बहुल द्रव्य, दुग्ध निर्मित पदार्थ (दूध से बनी चीजें), आलू और मांस आदि का गंडमाला (गले की गांठों) के रोगियों के लिए हानिकारक होते हैं।
उपचार :
- धनिये और जौ का सत्तू रोज लगाने से कण्ठमाला की गांठे बैठ जाती हैं।
- शहतूत का शर्बत पीने से मुंह की सारी सूजन और कंठमाला की सूजन (गांठों की सूजन) समाप्त हो जाती है।
- बरगद के दूध का लेप करने से कंठमाला रोग ठीक हो जाता हैं।
- कायफल को बारीक पीसकर कंठमाला पर लगाने से जल्दी आराम आ जाता है।
- गंठमाला रोग में सोंठ के साथ कायफल का काढ़ा बनाकर रोगी को रोजाना 2-3 बार पिलाने से लाभ होता है।
- 2-2 ग्राम भुनी हुई फिटकरी को 1-1 कप गर्म दूध से सुबह-शाम लेने से कण्ठमाला या गंडमाला (गले की गांठों) में लाभकारी होगा।
- हरसिंगार के पत्ते, बांस के पत्ते और फल्गुन के पत्ते इकट्ठे पीसकर 7 दिनों तक लेप कराने से गंडमाला (गले की गांठ) में लाभ होता है।
- भांगरा के पत्तों को पीसकर टिकिया बनाकर घी में पकाकर कंठमाला की गांठों पर बांधने से तुरन्त ही लाभ मिलता है।
- सत्यानाशी (पीला धतूरा) का रस निकाल लें और आग पर पकाकर गाढ़ा कर लें, फिर इसकी छोटी-छोटी गोलियां बनाकर धूप में रखकर सुखा लें। सुबह-शाम 1-1 गोली 3 महीने तक खाने से कण्ठमाला (गले की गांठे) जड़ से खत्म हो जाती हैं।
- छुई-मुई के पत्तों का लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग रस निकालकर पिलाने से गले की छोटी छोटी गांठे खत्म हो जाती हैं।
- अमलतास की जड़ को पीसकर चावलों के पानी के साथ मिलाकर खाने से कण्ठमाला रोग ठीक हो जाता है।
- नागरमोथा, तुलसी के पत्ते और नागरबेल के पत्तों को पानी में पीसकर पीने से कंठमाला ठीक हो जाती है।
- आंवला, सर्पगन्धा, ताशकंद और अर्जुन की छाल को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 2-2 ग्राम दिन में 2 बार सेवन करने से कंठमाला ठीक हो जाती है।
- 1 लीटर अनार के पत्तों का रस, 1 लीटर सत्यानाशी (पीला धतूरा) का रस, 1 लीटर गोमूत्र (गाय का पेशाब), 2 लीटर काले तिलों का तेल, 500 मिलीलीटर अनार के पत्तों की लुगदी में मिलाकर आग पर पकाने के लिये रख दें, जब पकते-पकते बस तेल रह जाय, तब इसे उतारकर ठंडा कर लें और छान लें। यह तेल लगाने से कंठमाला, भगन्दर, कोढ़ के दाग (निशान), दाद और चेहरे के काले निशान मिट जाते हैं।
- 310 मिलीलीटर गाजर का रस और 125 मिलीलीटर पालक का रस को मिलाकर पीने से कण्ठमाला रोग (गले की गांठे) समाप्त हो जाती है।
- 2 से 4 ग्राम हरड़ का चूर्ण खाकर ऊपर से गन्ने का रस पीने से कंठमाला के रोग में लाभ प्राप्त होता है।
- लौकी के तूंबे में 7 दिनों तक पानी भरकर रख दें और फिर 7 दिन बाद इस पानी को पीने से कंठमाला बैठ जाती है।
- कचनार की छाल को पीसकर, चावल के पानी में डालकर उसमें मिश्री मिलाकर पीने से कंठमाला (गले की गांठे) ठीक हो जाती हैं।
- 5 से 10 ग्राम मेथी के बीज सुबह-शाम गुड़ के साथ खाने से आराम आता है।
- 100 ग्राम मेथी दरदरी (मोटे दाने का पॉउडर) पीसकर रख लें। फिर इस पॉउडर में स्वादानुसार नमक मिलाकर एक चम्मच रोजाना तीन बार पानी से फंकी लेने से कंठमाला या घेंघा (गोइटर) में लाभ होता है।
- छोटी हरड़ को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 4 ग्राम की मात्रा में सोते समय लेने से आराम मिलता है।
- बच और पीपल के चूर्ण को शहद या नीम के तेल में मिलाकर सूंघने से कंठमाला रोग (गले की गांठे) मिट जाती हैं।
- पुत्राग और जलकुम्भी की भस्म (राख) को सरसों के तेल में मिलाकर लगाने से पुराने गले का रोग समाप्त हो जाता है।
- सरसों को पीसकर पानी में मिलाकर गंडमाला पर लेप करें।
- सरसों, अलसी, जौ, साठा के बीज और मूली के बीजों को पीसकर मट्ठे (दही की लस्सी) में मिलाकर लगाने से कंठमाला (गले) की गांठे समाप्त हो जाती है।
- पीपदार फोड़ों पर चूने का छना हुआ पानी लगाने से भी आराम मिलता है।
- अखरोट के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से और उस पानी से कंठमाला को धोने से आराम मिलता है।
- लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम गुग्गुल को गुड़ के साथ रोजाना 3 से 4 बार गंडमाला के रोगी को सेवन करायें। और अच्छे नतीजे के लिए गुग्गुल, सोमल, पारद और वायविडंग के साथ सेवन कराएं।
- 1 से 4 ग्राम चोपचीनी के चूर्ण को शहद में मिलाकर खाने से कंठमाला रोग (गले की गांठे) समाप्त हो जाती हैं।
- शहद में हरड़ का चूर्ण मिलाकर खाने से गले की गांठे ठीक हो जाती हैं।
- 100 ग्राम सिरस के बीज को पीसकर 300 ग्राम शहद में मिला लें, फिर इसे चीनी के बर्तन में 40 दिनों तक रखा रहने दें। 40 दिनों के बाद 10 ग्राम दवा को पानी के साथ खाने से कण्ठमाला (गले की गांठे) की जो गिल्टियां (गांठे) निकल चुकी हों वह बैठ जायेंगी और दूसरी गिल्टियां (गांठे) नहीं निकलेगी।
- मिट्टी के तेल की थोड़ी सी बूंदे बताशे में डालकर छोटे बच्चे को 2 बूंद, 8 से 12 साल तक के बच्चे को 3 बूंदे और 12 साल से ज्यादा के बच्चे को खिलाने से कुछ ही दिनों में कंठमाला (गले की गांठे) समाप्त हो जाती है।
- कसौंदी की पत्तियां को 4 कालीमिर्च के साथ पीसकर गले की गांठों पर लेप करने से आराम मिलता है।
- मूली के बीजों को पीसकर बकरी के दूध में मिलाकर गले की गांठों पर लेप करने से लाभ मिलता है।
- 5-5 ग्राम मूली की क्षार, शंख भस्म (शंख की राख) और हल्दी को पीसकर पानी में मिलाकर लेप करने से गिलटी, अपच, ग्रंथि और अर्बुद ठीक हो जाते हैं।
- गर्म पानी में ग्लिसरीन मिलाकर गरारे करने से टॉन्सिलाइटिस में लाभ होता है।
- 8 ग्राम हल्दी की फंकी रोजाना सुबह-शाम लेने से कंठमाला रोग ठीक हो जाता है।
- हल्दी की गांठों को पत्थर पर घिसकर लगाएं। कुछ दिनों तक रोज इसे प्रयोग करने से लाभ मिलेगा।
- सांप की हड्डी को पीसकर कंठमाला में लगाने से आराम आता है।
- सूअर की पूंछ के आगे के हिस्से के बालों को आग में जलाकर तेल में मिलाकर नाक में डालने से गलगंड या गंडमाला की बीमारी में लाभ मिलता है।
- 12.5 ग्राम चूने के पानी को दूध में मिलाकर पीने से कण्ठमाला (गले की गांठों) से बहते हुए फोड़े ठीक हो जाते हैं।
- अश्वगंधा के नये कोमल पत्तों को समान मात्रा में पुराने गुड़ के साथ मिलाकर पीस लें। झरबेरी के बेर के बराबर की गोलियां बनाकर सुबह ही एक गोली बासी पानी के साथ निगल लें और अश्वगंधा के पत्तों को पीसकर गंडमाला पर लेप करने से लाभ होता है।
- अरीठा का लेप करने से कंठमाला की सूजन मिट जाती है।
- लहसुन को बारीक पीसकर उसे कपडे़ पर लगाकर पट्टी बना लें फिर उसे गले के गांठ वालें स्थान पर लगायें।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. हमारी ये पोस्ट इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.
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