Erysipelas : विसर्प सुर्खवाद रोग क्या है ? जाने उसके कारण ओर उपचार
परिचय :
विसर्प रोग की शुरुआत में रोगी के शरीर पर दाने-दाने से उभर आते हैं। उसके बाद रोगी को बुखार हो जाता है जो बढ़कर 104 डिग्री तक हो जाता है, और कभी-कभी यह बुखार दिमाग पर भी चढ़ जाता है। यह रोग रोगी के पूरे शरीर में फैल जाता है इसी कारण इस रोग को विसर्प रोग के नाम से जाना जाता है।
कारण :
विसर्प रोग होने के अनेक कारण हो सकते है जैसे गरम पदार्थों के खाने से, खट्टे पदार्थों के खाने से, तीखे और खारे पदार्थों को अधिक मात्रा में खाने आदि से। ये पदार्थ खून, मांस और शरीर की कोशिकाओं को दूषित या खराब कर देते हैं। इस कारण विसर्प या सुर्खवाद नाम का रोग मनुष्य के शरीर में पैदा हो जाता है।
लक्षण :
विसर्प सुर्खवाद में रोगी को अचानक ठंड़ लगकर उल्टी होना, सिर में दर्द, शरीर में दर्द, बेचैनी होना आदि लक्षण दिखाई देते हैं। रोगी को बुखार 104 डिग्री फारेहनाइट तक पहुंच जाता है जो सीधे दिमाग (मस्तिष्क) को प्रभावित करता है। इस रोग में मनुष्य के शरीर में जलन, खुजली, बुखार, सूजन और दर्दयुक्त विभिन्न फुंसियां हो जाती है। इन फुंसियों में से हर समय पीब निकलती रहती है। ये फुंसियां पूरे शरीर पर हो जाती है। इसके अलावा उल्टी, बेहोशी, घृणा और शरीर की त्वचा का लटकना आदि विसर्प रोग के ही लक्षण माने जाते है।
उपचार :
* बांस की ताजी जड़ को पीसकर या घिसकर विसर्प रोग के दानों पर लगाने से लाभ होता है।
* कुसुम के सूखे फूल की फांट को सुबह और शाम सेवन करने से शरीर के अन्दर का जहर बाहर होकर निकल जाता है और रोगी जल्दी ही ठीक हो जाता है।
* सुगन्धबाला के चूर्ण को घी के साथ सुबह और शाम सेवन करने से विसर्प रोग में लाभ होता है।
* नीम के तेल में तिल का तेल बराबर मात्रा में मिलाकर लगाने से दाह (जलन) और विसर्प रोग में लाभ होता है।
* चमेली के पत्तों और फूलों को पीसकर विसर्प, चेचक और छाले पर लेप करने से लाभ मिलता है।
* करोंदा की जड़ को नींबू के रस में कपूर के साथ पानीदार फफोले या फोड़े पर घिसकर लगाने से लाभ होता है।
* बड़ी लोणा (बड़ी नोनीसाग) को ताजा पीसकर विसर्प पर लेप करने से उसके कारण होने वाली पीड़ा और जलन कम होती है।
* चंदन, खस की जड़, मंजीठ, पद्याख, मुलहठी और नीलकमल को दूध में पीसकर लेप की तरह फुंसियों पर लगाने से पित्तज के कारण होने वाला विसर्प नाम का यह रोग ठीक हो जाता है।
* विसर्प एक ऐसा संक्रामक रोग है जिसमें रोगी की त्वचा पर सुजनयुक्त छोटी-छोटी फुन्सियां होती है, त्वचा लाल दिखाई देती है तथा साथ में ज्वर भी रहता है। इस रोग में पीड़ित अंग पर आलू को पीसकर लगाने से फुन्सियां ठीक हो जाती है।
* धाय के फूल का चूर्ण पानी भरे फफोलों पर डालने से लाभ होता है।
* धाय के फूल का काढ़ा पीने से तथा विसर्प के फफोले और घाव को धोने से भी लाभ होता है।
* गांजा को पीसकर शरीर में विसर्प रोग के होने वाले दानों पर लगाने से लाभ होता है।
* लगभग आधा ग्राम से 1 ग्राम तक जटामांसी को लेकर नवसादर के साथ लेने से विसर्प रोग में लाभ होता है।
* जटामांसी को विसर्प रोग के कारण पड़ने वाले छाले पर लेप करने से छालों का दर्द कम हो जाता है।
* करंज के बीजों के तेल में नींबू का रस मिलाकर रोजाना दिन में 3 बार लगाने से विसर्प रोग ठीक हो जाता है।
* रीठा को पीसकर बने लेप को विस्फोट (चेचक), छाले और विसर्प आदि पर दिन में 2 से 3 बार लेप करना चाहिए।
* चौलाई (गन्हारी) साग के पत्तों को पीसकर विसर्प और जलन युक्त त्वचा पर लगाने से जलन मिट जाती हैं।
* कसोंदी के पत्तों को पीसकर विसर्प की जलन और छाले पर लगाने से ठीक हो जाता है।
* आंवला, बहेड़ा, हरड़, पद्याख, खस, लाजवन्ती, कनेर की जड़, जवासा, और नरसल की जड़ को पीसकर मिलाकर लेप की तरह से लगाने से कफज के कारण होने वाला विसर्प नाम का रोग ठीक हो जाता है।
* मुलहठी की जड़ को पानी के साथ सेवन करने से विसर्प रोग में आराम मिलता है।
* लोध्र और चंदन के साथ मजीठ को पीसकर विसर्प ग्रस्त भाग पर लगाने से लाभ होता है।
* गुलाबजल में चंदन को घिसकर उसमें कपूर मिलाकर लेप करने से विसर्प रोग में लाभ होता है।
* गठिवन (बनतुलसी) के पत्तों को पीसकर विसर्प रोग के छालों पर लेप करने से लाभ होता है।
* लगभग एक ग्राम के चौथाई भाग से कम हंसपदी की जड़ को सुबह और शाम शहद के साथ सेवन करने से विसर्प रोग में लाभ होता है।
* सागोन (सागवान) के पत्तों का रस गर्म करके लगाने से विसर्प रोग में लाभ होता है।
* छोटी लोणा (नोनीसाग) के पत्तों को पीसकर विसर्प पर लगाने से लाभ होता है।
* देवदारू, रास्ना, नीलकमल, लाल चंदन, बच और मुलेठी को बराबर मात्रा में लेकर घी में पीसकर लेप की तरह से फुंसियों पर लगाने से वातज के कारण होने वाला विसर्प रोग ठीक हो जाता है।
* लगभग 10 ग्राम आमलासर गंधक, लगभग 10 ग्राम फिटकरी और 6 ग्राम रसकपूर को गाय के मक्खन के साथ मिलाकर लगाने से किसी भी प्रकार का विसर्प रोग ठीक हो जाता है।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. हमारी ये पोस्ट इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें
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