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11/18/2021

पहनावा : आप चाहे जो भी समझेँ पर किसी का भी पहनावा हमारी सोच पर असर डालता है।

   
                           
   

पहनावा आप चाहे जो भी समझेँ पर किसी का भी पहनावा हमारी सोच पर असर डालता है ।




एक महिला को सब्जी मंडी जाना था...उसने जूट का बैग लिया और सड़क के किनारे सब्जी मंडी की और चल पड़ी। तभी पीछे से एक ऑटो वाले ने आवाज़ दी : 'कहाँ जायेंगी माता जी...?'' महिला ने ''नहीं भैय्या'' कहा तो ऑटो वाला आगे निकल गया। अगले दिन महिला अपनी बिटिया मानवी को स्कूल बस में बैठाकर घर लौट रही थी...तभी पीछे से एक ऑटो वाले ने आवाज़ दी :— बहनजी चन्द्रनगर जाना है क्या...? महिला ने मना कर दिया।


पास से गुजरते उस ऑटोवाले को देखकर महिला पहचान गई कि ये कल वाला ही ऑटो वाला था। आज महिला को अपनी सहेली के घर जाना था। वह सड़क किनारे खड़ी होकर ऑटो की प्रतीक्षा करने लगी। तभी एक ऑटो आकर रुका :— ''कहाँ जाएंगी मैडम...?'' महिला ने देखा ये वो ही ऑटोवाला है जो कई बार इधर से गुज़रते हुए उससे पूंछता रहता है चलने के लिए...महिला बोली :— ''मधुबन कॉलोनी है ना सिविल लाइन्स में, वहीँ जाना है, चलोगे...?''


ऑटोवाला मुस्कुराते हुए बोला :— ''चलेंगें क्यों नहीं मैडम, आ जाइये...! "ऑटो वाले के ये कहते ही महिला ऑटो में बैठ गयी. ऑटो स्टार्ट होते ही महिला ने जिज्ञासावश उस ऑटोवाले से पूछ ही लिया :—''भैय्या एक बात बताइये..? दो-तीन दिन पहले आप मुझे माताजी कहकर चलने के लिए पूछ रहे थे, कल बहन जी और आज मैडम, ऐसा क्यूँ...?'' ऑटोवाला थोड़ा झिझककर शरमाते हुए बोला :—''जी सच बताऊँ... आप चाहे जो भी समझेँ पर किसी का भी पहनावा हमारी सोच पर असर डालता है।


आप दो-तीन दिन पहले साड़ी में थीं तो एकाएक मन में आदर के भाव जागे, क्योंकि मेरी माँ हमेशा साड़ी ही पहनती है। इसीलिए मुँह से स्वयं ही "माताजी" निकल गया। कल आप सलवार-कुर्तें में थीँ, जो मेरी बहन भी पहनती है। इसीलिए आपके प्रति स्नेह का भाव मन में जागा और मैंने ''बहनजी'' कहकर आपको आवाज़ दे दी। आज आप जीन्स-टॉप में हैं, और इस लिबास में माँ या बहन के भाव तो नहीँ जागते। इसीलिए मैंने आपको "मैडम" कहकर पुकारा।


*शिक्षा :-*

उपर्युक्त कहानी से हमें यह सीख मिलती हैं कि हमारे परिधान (वस्त्र) न केवल हमारे विचारों पर वरन दूसरे के भावों को भी बहुत प्रभावित करते है।

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