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10/10/2021

चतुर्थकज्वर बुखार के धरेलू उपचार

   
                           
   

चतुर्थकज्वर बुखार के धरेलू उपचार


हर चौथे दिन पर जो बुखार चढ़कर, सिर में बहुत तेज दर्द देता हुआ आता है उसे चतुर्थक बुखार कहते हैं।




उपचार :


* निर्गुन्डी के ताजे पत्तों का रस 15 से 30 मिलीलीटर की मात्रा में 5 से 10 ग्राम शहद में मिलाकर दिन में 3 बार लेने से हर चौथे दिन आने वाला बुखार दूर हो जाता है।


* शुंठी, पिप्पली की जड़, कालीमूसली, करकोटी फल, आरग्वध फल मज्जा, बालक प्रकन्द और हरीतकी फल आदि के मिश्रण का काढ़ा बनाकर 15 से 30 मिलीलीटर की मात्रा में 1 ग्राम यवक्षार के साथ दिन में 3 प्रयोग करने से चौथे दिन आने वाला बुखार दूर हो जाता है।


* सहदेवी और शुंठी को बराबर मात्रा में लेकर बने काढे को 14 से 28 मिली लीटर की मात्रा में दिन में 3 बार लेने से चतुर्थक बुखार में आराम आता है।


* गुडूची का तना, आमलकी फल का मिश्रण, मुस्तक मूल (जड़) और द्राक्षा (मुनक्का) आदि को बराबर मात्रा में लेकर 14 से 28 मिली लीटर तक खुराक के रूप में लेना चौथे दिन आने वाला बुखार दूर हो जाता है।


* गुडूची तना, निम्बछाल और आमलकी के फल को बराबर मात्रा में मिश्रण बना कर रख लें। फिर इस काढ़े को 14 से 28 मिलीलीटर की मात्रा में 5 से 10 ग्राम शहद के साथ दिन में 3 बार लेना चतुर्थक बुखार में लाभकारी रहता है।

* चौथे दिन आने वाले बुखार में उशीर मूल, मुस्तक मूल (मुस्तक की जड़), रक्त (लाल) चंदन काष्ठ, गुडूची तना और धान्यक फल आदि को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर 15 से 30 मिलीलीटर की मात्रा में 3 बार प्रयोग कर सकते हैं।


* शिरीष के फूल का रस 7 मिलीलीटर, हरिद्राप्रकन्द चूर्ण 3 ग्राम, दारूहरिद्रा मिश्रण चूर्ण 3 ग्राम और घी 5-10 ग्राम एकसाथ मिला लें। इसे 2 से 4 बूंद की मात्रा में रोजाना 2 बार नाक में टपकाने से चौथे दिन आने वाला बुखार दूर हो जाता है।


* किरातिक्त के पंचांग ( पत्ता, तना, फल, फूल और जड़), गुडूची का तना, रक्त (लाल) चंदन काष्ठ और शुंठी आदि को बराबर मात्रा में लेकर बने काढ़े का़ 14 से 28 मिली लीटर की मात्रा में रोजाना 3 बार सेवन करने से चौथे दिन आने वाला बुखार समाप्त हो जाता है।


* यष्टिमधुमूल, उशीरमूल, लाल चंदन, आमलकी फल को बराबर मात्रा में मिलाकर मिश्रण बना लें। इस चूर्ण को धान्यक फल, गुडूची तना और पटोल के पत्ते के 14 से 28 मिलीलीटर काढ़े में मिलाकर इसमें 5 से 10 ग्राम शर्करा या 5 से 10 ग्राम शहद मिलाकर दिन में 3 बार लेने से चौथे दिन आने वाला बुखार अगली बार नहीं आता है।


* पटोल के पत्ते, निम्बछाल, द्राक्षा, त्रिफला, रास्नामूल और वासा को बराबर मात्रा में लेकर बनें काढ़े को 14 से 28 मिलीलीटर की मात्रा में 5 से 10 ग्राम शर्करा और 5 से 10 ग्राम शहद के साथ दिन में 3 बार प्रयोग करें।


* पटोल के पत्ते, यष्टिमधु की जड़, मुस्तक, कटुकी प्रकन्द और हरीतकी फल आदि को बराबर मात्रा में मिलाकर काढ़ा बनाकर 15 से 30 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में 3 बार लेने से हर चौथे दिन आने वाला बुखार मिट जाता है।


* 1 ग्राम पिप्पली (पीपल) के फल का चूर्ण, 1 ग्राम घी और 5 ग्राम शर्करा को 250 मिलीलीटर दूध और 5 ग्राम शहद के साथ दिन में 3 बार लेने से चतुर्थक बुखार में आराम मिलता है।


* त्रिफला का काढ़ा 15 से 30 मिलीलीटर की मात्रा में दूध या गुड के साथ सुबह, दोपहर और शाम को सेवन करना चतुर्थेक बुखार आने में लाभकारी रहता है।


* त्रिफला, गुड़ूची तना, वासा के पत्ते का काढ़ा 15 से 30 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में 3 बार लेने से चौथियाज्वर (चौथे दिन आने वाला बुखार) ठीक हो जाता है।


* मुस्तक की जड़, शुंठी, कटंकारी की जड़ 14 से 28 मिलीलीटर मात्रा को एक ग्राम के चौथाई भाग से कम की मात्रा में पिप्पली के चूर्ण और 5 ग्राम शहद के साथ दिन में 3 बार लेना चौथे दिन आने वाले बुखार में लाभकारी रहता है।


* नीम का छाल, पटोल के पत्ते, द्राक्षा (मुनक्का), त्रिफला, करेला और इन्द्रायव के काढ़े को 14 से 28 मिलीलीटर की मात्रा में 5 से 10 ग्राम शहद के साथ दिन में 3 बार लेने से चौथे दिन आने वाला बुखार मिट जाता है।


* वासा मूल, आमलकी और हरीतकी फल मिश्रण, शालपर्णी पंचांग (शालपर्णी की जड़), देवदारू काष्ठ और शुंठी आदि को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को 14 से 28 मिलीलीटर की मात्रा में 5 से 10 ग्राम शर्करा और 5 ग्राम शहद के साथ दिन में 3 बार लेना चर्तुथक बुखार में लाभदायक रहता है।


* चौथिया ज्वर में चांगेरी के 1 हजार पत्तों को पीसकर 16 गुने पानी में डालकर उबालना चाहिए। जब यह पानी गाढ़ा हो जाए तो इसमें इतना घी डालें कि यह रबड़ी जैसा हो जाए। इसका 5-10 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से चौथे दिन आने वाला बुखार नष्ट हो जाता है।




Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. हमारी ये पोस्ट इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.

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