(((( पेड़ और चिड़िया की कहानी ))))
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एक नदी के किनारे दो पेड़ थे। उस रास्ते एक छोटी सी चिड़िया गुजरी और पहले पेड़ से पूछा-बारिश होने वाला है, क्या मैं और मेरे बच्चे तुम्हारे टहनी में घोसला बनाकर रह सकते हैं।
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लेकिन वो पेड़ ने मना कर दिया। चिड़िया फिर दूसरे पेड़ के पास गई और वही सवाल पूछा..
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दूसरा पेड़ मान गया, चिड़िया अपने बच्चों के साथ खुशी-खुशी दूसरे पेड़ में घोसला बना कर रहने लगी..
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एक दिन इतनी अधिक बारिश हुई कि इसी दौरान पहला पेड़ जड़ से उखड़ कर पानी मे बह गया।
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जब चिड़िया ने उस पेड़ को बहते हुए देखा तो कहा..
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जब तुमसे मैं और मेरे बच्चे शरण के लिये आई तब तुमने मना कर दिया था, अब देखो तुम्हारे उसी रूखी बर्ताव की सजा तुम्हे मिल रही है।
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जिसका उत्तर पेड़ ने मुस्कुराते हुए दिया मैं जानता था मेरी जड़ें कमजोर है और इस बारिश में टिक नहीं पाऊंगा..
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मैं तुम्हारी और बच्चे की जान खतरे में नहीं डालना चाहता था, मना करने के लिए मुझे क्षमा कर दो,और ये कहते- कहते पेड़ बह गया।
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मित्रों..! किसी के इंकार को हमेशा उनकी कठोरता न समझे.. क्या पता उसके उसी इंकार से आप का भला हो..
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कौन किस परिस्थिति में है शायद हम नहीं समझ पाए, इसलिए किसी के चरित्र और शैली को उनके वर्तमान व्यवहार से ना तौलें।
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साभार :- bhaktipath wordpress
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((((((( जय जय श्री राधे )))))))
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