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5/09/2020

जय बलियादेव ( history of baliyadev)

   
                           
   

जय बलियादेव (history of baliyadev)


दोस्तों हम बात करेंगे कलयुग में पूजे जाने वाले बलिया देव
की कहानी पहेले तो हम ये जनेगे के की बलिया देव कोन है
जब पांडव गुप्त वास में थे तब भीम का विवाह हिडिंबा से
हुवा था हिडिंबा एक राक्षसी थी उसका एक पुत्र था जिसका
नाम गटरगज़ था ओर गटरगज़ का एक पुत्र था उसका नाम
बरबरीक था बरबरीक बहोत ही बलवान था उसका एक नियम
था वो हारने वाले को मदद करता था इक दिन उसने अपनी 
दादी से पूछा के दादी मोक्स केसे मिलता है उसकी दादी ने
बताया के सरल उपाय बताया अगर भगवान के हाथो मृत्यु
हो तो मोक्स मिलता है तो उसने कहा में भगवान श्री कृष्ण
से युद्ध करूँगा ओर मूँजें मोक्स मिलेगा उसकी दादी ने कहा
उनके पास युद्ध के लिये तेरे पास अपार शक्ति ओर अस्त्र
सत्र चाहिये इसके लिये तूजे माँ दुर्गा की उपासना करनी
होगी फिर बरबरीक ने अगोर तप किया माँ से शक्ति माँगी
फिर भी उसे संतुष्ट नहि हुआ उसने ओर देवी की उपासना
की उनसे अस्त्र सत्र लिये फिर उसने वैष्णोदेवी की उपासना
की उनसे अमर वरदान किया अब वो इतना सकती साली
हो चुका था की तीनो लोकों में उसके जेसा कोई बलवान
था ओर जब कौरव ओर पांडव का युद्ध होने वाला था तब
देस देस के राजाओं इस युद्ध में भाग ले रहे थे कोई कौरव
के पक्ष में था तो कोई पांडव पक्ष में बरबरीकि भी इस युद्ध
में जाने के लिये तैयार हो गया जब वो निकला तब भगवान
कृष्ण को पता चल गया तो वो भ्रमण का रूप लेके उसके
सामने आगये उन्होंने बरबरीक को कहा कहा जा रहे हो
उसने कहा में कौरव ओर पांडव के युद्ध में भाग लेने जा
रहा हु भ्रमण ने कहा के तुम तो अकेले हो तुम्हारी सेना
कहा है बरबरीक ने कहा मेरी सेना नहि है में अकेला ही
काफ़ी हु में पूरा युद्ध एक दिन में ख़त्म करदूँगा भ्रमण ने
कहा ओह ओह इतना भरोसा है तूजे अपने आप पर तुम
जानते हो वहाँ कितने धुरंधर महारथी है मिम ,अर्जुन,
भिसम्पितामह, कर्ण,गुरुद्रोंन, दूँरीयोधन ,जेसे योद्धा है
ओर ये तोबताओ के तुम किस की ओर से लड़ने जा
रहे हो बरवरीक ने कहा में कौरव के पक्ष में लड़ूँगा 
क्यूँकि मेरी नज़र में उनका पलड़ा हल्का है भ्रमण ने
कहा तूजे धर्म का साथ देना चाहिये बरबरीक ने कहा
में धर्म अधर्म में नहि मानता मेरा तो एक ही नियम है
हारने वाले को मदद करना भ्रमण ने कहा मूँजें नहि
लगता के तुम उनके सामने टिक पाओगे एक तो तू
अकेला है ओर नहि तेरे पास सेना है ओर तरे सिविल 
में तीन ही बान है एक दिन मेंयुद्ध को पाता ने की बात 
भूल जाओ बरबरीक ने कहा मेरे तीन बान तो ज़्यादा
है में तो एक ही बान से पंडवो की पूरी सेना को ख़त्म
कर दूँगा आपको यक़ीन नहि आता तो आइये में 
आपको दिखता हु वे दोनो एक बहोत बड़े पेड़ के पास
गये फिर बरबरीक ने कहा हे भ्रमण देव में अपने एक
ही बान से इस पेड़ के सारे पत्ते को छिद्र कर दूँगा फिर
उसने एक ही बान से सारे पत्ते को छिद्र कर दिया
भ्रमण चकित होगये फिर भ्रमण ने बरबरीक को समझाया
की तूजे ये शक्ति अच्छे काम के लिये करनी चाहिये
तूजे पांडव का साथ देना चाहिये भ्रमण बार बार पांडव
का पक्ष ले रहे थे इस लिये बरबरिंक ने भ्रमण का अपमान
किया भ्रमण क्रोध में आये ओर अपने असली रूप
यानीके कृष्ण के रूप में आये ओर सूदरसन चक्र 
छोड़ा ओर बरबरीक का सिर काट दिया बरबरीक ने
प्रभु को प्रणाम किया ओर कहा में आपको पहेचान
गया था लेकिन मूँजें आपके हाथो मरना था इस लिये
मेने आपको क्रोध दिलाया की आप मेरा वध करे प्रभु
मेरी आपसे एक नम्र वींनंती की में ये महा युद्ध पूरा 
दीखना चाहता हु तो आप मूँजें तब तक जीवित रखे
भगवान तथास्तु कहेके चले गये फिर महा युद्ध पूरा
हुआ ओर भगवान श्री कृष्ण पांडव को लेके बरबरीक 
के पास आये फिर नकुल ने कहा हे बरबरीक तुने तो
पुरा युद्ध देखा तो बताओ सबसे अच्छा योद्धा कॉन है
ओर किसने अच्छा पराक्रम दिखाया तब बरबरीक ने
कहा मेने तो किसी को पराक्रम करते देखाहि नहि सब
जगा सुदरसन था उसीने ही सबका वध किया है मेने
ये लीला देखी भगवान का विराट स्वरूप देखा गीता का
बोध सुना मेरा तो जीवन धन्य हो गया हे प्रभु अब
मूँजें मोक्ष देदो भगवान ने कहा हे बरबरीक संसार में
जब तक धर्म है तब तक तू बलिया देव के नाम से 
पूजा जाएगा ओर लोगों का कल्याण करेगा 
 बोलो बलिया देव की जय

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