नालंदा यूनिवर्सिटी
नालंदा यूनिवर्सिटी -
अभी तक के ज्ञात इतिहास की
सबसे महान यूनिवर्सिटी ।
आज भले ही भारत शिक्षा के मामले में
191 देशों की लिस्ट में 145वें नम्बर पर हो लेकिन कभी यहीं भारत दुनियाँ के लिए
ज्ञान का स्रोत हुआ करता था।
आज सैकड़ो छात्रों पर केवल
एक अध्यापक उपलब्ध होते हैं
वहीं हजारों वर्ष पहले इस विश्वविद्यालय के वैभव के दिनों में इसमें 10,000 से अधिक
छात्र और 2,000 शिक्षक शामिल थे
यानी कि केवल 5 छात्रों पर एक अध्यापक ..।
नालंदा में आठ अलग-अलग परिसर और
10 मंदिर थे, साथ ही कई अन्य
मेडिटेशन हॉल और क्लासरूम थे।
यहाँ एक पुस्तकालय 9 मंजिला इमारत में स्थित था, जिसमें 90 लाख पांडुलिपियों सहित
लाखों किताबें रखी हुई थीं ।
यूनिवर्सिटी में सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया, ईरान, ग्रीस, मंगोलिया समेत कई दूसरे देशो के स्टूडेंट्स भी पढ़ाई के लिए आते थे।
और सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि उस दौर में यहां लिटरेचर, एस्ट्रोलॉजी, साइकोलॉजी, लॉ, एस्ट्रोनॉमी, साइंस, वारफेयर, इतिहास, मैथ्स, आर्किटेक्टर, भाषा विज्ञानं, इकोनॉमिक, मेडिसिन समेत कई विषय पढ़ाएं जाते थे।
इसका पूरा परिसर एक विशाल दीवार से घिरा हुआ था जिसमें प्रवेश के लिए
एक मुख्य द्वार था।
उत्तर से दक्षिण की ओर मठों की कतार थी । केन्द्रीय विद्यालय में सात बड़े कक्ष थे
और इसके अलावा तीन सौ अन्य कमरे थे।
इनमें व्याख्यान हुआ करते थे।
मठ एक से अधिक मंजिल के होते थे ,
प्रत्येक मठ के आँगन में एक कुआँ बना था। आठ विशाल भवन, दस मंदिर,
अनेक प्रार्थना कक्ष तथा
अध्ययन कक्ष के अलावा इस परिसर में
सुंदर बगीचे तथा झीलें भी थी।
इस यूनिवर्सटी में देश विदेश से
पढ़ने वाले छात्रों के लिए
छात्रावास की सुविधा भी थी ।
यूनिवर्सिटी में प्रवेश परीक्षा इतनी कठिन होती थी की केवल विलक्षण प्रतिभाशाली
विद्यार्थी ही प्रवेश पा सकते थे।
यहां आज के विश्विद्यालयों की तरह
छात्रों का अपना संघ होता था ,
वे स्वयं इसकी व्यवस्था तथा चुनाव करते थे। छात्रों को किसी प्रकार की
आर्थिक चिंता न थी।
उनके लिए शिक्षा, भोजन, वस्त्र
औषधि और उपचार सभी निःशुल्क थे।
राज्य की ओर से विश्वविद्यालय को
दो सौ गाँव दान में मिले थे,
जिनसे प्राप्त आय और अनाज से
उसका खर्च चलता था।
लगभग 800 सालों तक
अस्तित्व में रहने के बाद
इस विश्वविद्यालय को भूखे-नंगे,असभ्य,आदमखोरों की
नजायज औलादो ने तहस नहस कर दिया...
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