जानिए गुजराती भाषा का जन्म कब हुआ था ।
गुजराती भाषा का जन्म ई. एस. 115 में हुआ।
गुजराती भाषा का पहला व्याकरण ग्रंथ "सिद्ध हेम शब्दावली" जे ई था। एस. 114 में लिखा गया।
गुजराती भाषा का पहला उपन्यास "भारतेश्वर बाहुबली रास" था जे ई। एस. 115 में लिखा गया।
विस्तार में : -
पिछला (पूर्व भूमिका) : -
तत्कालीन स्वतंत्र राज्य गुर्जर प्रदेश (वर्तमान गुजरात राज्य) में सोलंकी वंश के संस्थापक एवं प्रथम शासक मूलराज सोलंकी एस. 30, मृत्यु :- ई. एस. 1009), (जीवन:- 5 वर्ष) और तत्कालीन स्वतंत्र राज्य मालवा (वर्तमान मध्यप्रदेश राज्य) के परमार वंश के आठवें शासक वाकपति मुंज (पृथ्वी वल्लभ) (जन्म:- ई. एस. ૯૪૮ , मृत्यु :- ई. एस. 1010), (जीवन:- 32 वर्ष) विस्तार नीति के कारण अपने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए ई. एस. 72 से ई तक एस. 60 के बीच 15 साल में लगभग 6 बार युद्ध हुए। यह शत्रुता उनकी पीढ़ी की आठ पीढ़ियों तक चली थी।
अंत मे लगातार 5 साल गुजरात राज्य का स्थिर शासक रहा जो गुजराती का चन्द्रगुप्त मौर्य नाम से जाना जाता है और बर्बरीक जिष्णु और सिद्धराज जैसे कई उपनाम मिले और हर युद्ध जो हिमालय पर्वत की तरह अपराजेय रहा ા सिद्धराज जे अय सिंह (जन्म:- ई. एस. 1080, मृत्यु :- ई. एस. ११४ विक्रमादित्य संवत्सर :- १२००, कृतिका (करातक) शुक्ल (सूद) द्वितीया (बीज) अर्थात् भाई बिज का दिन (आयुष्य :- ५ वर्ष) और परमार वंश का यशवर्मन/अनन्तवर्मन (शासन काल :- ई. एस. 1080 - ई. एस. 1042) समकालीन शासक थे।
मूल विषय की बात :-
ई. एस. सन् 1092 में सिद्धराज जयसिंह 12 वर्ष के थे, 23 वर्ष तक अटल शासन कर रहे पिता कर्ण देव सोलंकी का 74 वर्ष की आयु में निधन हो गया। सिद्धराज जय सिंह अभी 18 साल के नहीं हुए थे इसलिए उनकी मां राजमाता मिनलदेवी ने प्रदेश का कार्यभार संभाला।
ई. एस. 106 में सिद्धराज जय सिंह का राज्याभिषेक हुआ और 5 साल राज किया। इस दौरान कई युद्ध हुए लेकिन सिद्धराज जय सिंह हमेशा अपराजित राजा रहे।
ई. एस. 116 में राजमाता मीनलदेवी भगवान श्रीकृष्ण की नगरी देवभूमि द्वारका यात्रा पर निकली और लौटते समय सिद्धराज जय सिंह अपनी मां को सामने से लेने गए।
धांधुका नगर में माँ-बेटे की बैठक हुई लेकिन जासूस से खबर मिली कि राजा के न होने के कारण राजधानी के राजा यशवर्मन/अनंतवर्मन ने पूरी सेना सहित पूरी ताकत से हमला किया।
कभी कोई युद्ध नहीं हारे राजा सिद्धराज जयसिंह ने एक बार फिर मालवा के राजा यशवर्मन/अनंतवर्मन को हराया। (ई) एस. १८ साल के(8138
हारे हुए राजा जीते हुए राजा की अधीनता स्वीकार कर लेता है और प्रतिवर्ष फिरौती चुकाने का निर्णय लेता है, लेकिन हारे हुए राजा यशवर्मन/अनंतवर्मन जीते हुए राजा सिद्धराज जयसिंह को हरा देता है, "हे राजन! आपके समृद्ध गुर्जर क्षेत्र में आपके राज्य की राजभाषा नहीं है? "
जलवंत विजय का नशा चूर चूर हो गया यह सुनते ही सिद्धराज जय सिंह पूरी रात सो नहीं पाए।
गुजराती भाषा की रचना :-
सुबह होते ही विद्वान महापुरुष जैनाचार्य कलिकालग्न सर्वज्ञ हेमचंद्रचार्य जी की प्रस्तुति हुई।
संस्कृत, प्राकृत, और पाली एम3 भाषा के व्याकरण का एक अचंभित गहन अध्ययन द्वारा हेमचंद्रचार्य एई। एस. 115 में गुजराती भाषा बनाई।
निष्कर्ष :-
उस समय सर्वोच्च सम्मान हाथी की अम्बड़ी पर बैठ कर दिया जाता था।
हेमचंद्रचार्य द्वारा लिखित व्याकरण ग्रंथ "सिद्ध हेम षदानुशासन" हाथी अम्बड़ी पर स्थापित किया गया और उसकी शोभायात्रा "अनहिलवाड़ पुर" (पाटन) जिसकी आबादी 1,000,000 है।
उस समय पूरे गुजरात राज्य में लगभग 1500 जैन साधुओं ने यह भाषा सीखी और केवल 60 साल बाद भारतेश्वर बाहुबली रस भी लिखा गया। (ई) एस. 115)।
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