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12/21/2021

शरीर छोड़ने के बाद आत्मा को 1 लाख किमी तक पैदल चलना पड़ता है, जानिए पूरी यात्रा..

   
                           
   

शरीर छोड़ने के बाद आत्मा को लाख किमी तक पैदल चलना पड़ता हैजानिए पूरी यात्रा..




गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद की हर स्थिति का वर्णन है। मरने के बाद एक पापी की ऐसी भयानक हालत जिसे जानकर हर किसी की रूह कांप जाएगी गरुड़ पुराण की माने तो पिंड दान के बाद व्यक्ति का सूक्ष्म शरीर बनता है। इस शरीर में रहते हुए पापी व्यक्ति की आत्मा को लंबी दूरी की भयानक यात्रा करनी पड़ती है।

इतना कि वह अपने जीवनकाल में कभी नहीं चलता। गरुड़ पुराण के अनुसार व्यक्ति की मृत्यु के बाद 24 घंटे के लिए यमलोक ले जाया जाता है। इसके बाद यहाँ आकर उसके जीवन भर के कर्मों की गिनती होती है। यहाँ कर्मो का हिसाब होने के बाद उसे स्वर्ग, नर्क या पितर ले जाया जाता है। इसके बाद उसे 13 दिन के लिए फिर से पितृ लॉक भेजा जा रहा है।


इस 13 दिनों के दौरान, उसके परिवार के सदस्यों द्वारा पिंड फलियों द्वारा उसके शरीर का सूक्ष्म शरीर तैयार किया जाता है और फिर आत्मा उसमें प्रवेश करती है। इसके 13 दिन बाद स्वर्ग का सुख भोगने के लिए पुण्य कर्म भेजे जाते हैं। जब पापी होने वालों को पैदल यमलोक जाना पड़ता है। इस बीच उस व्यक्ति को 99 हजार की स्कीम यानी 11 लाख 99 हजार 988 किलोमीटर की दूरी तय करनी है। इतनी लंबी यात्रा को पूरा करने में एक साल लग जाता है।


आत्मा को कई प्रकार की कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है: गरुण पुराण की मानें तो इस यात्रा के दौरान आत्मा को सभी पिंडों से गुजरना ही पड़ता है। इन गांवों में प्रलय जैसे कई सूर्य चमकते नजर आते हैं। पापी की आत्मा को न तो परछाई मिलती है, न आराम करने की जगह और न ही पीने के लिए पानी।


इतना ही नहीं, असिपात्र नामक वन भी इसी प्रकार आता है। यह जंगल में लगी भयानक आग है। कौवे, उल्लू, गिद्ध, मधुमक्खी, मच्छर आदि इसमें पाए जाते हैं। यह रास्ते में एक आत्मा को बहुत परेशान करता है। इनसे बचने के लिए आत्मा कभी खून से भरे कुएं में गिरकर तो कभी अंधेरे में दर्द देती है। इन कठिनाइयों से बचना है तो जीवन में हमेशा धर्म के मार्ग पर चलें।


ध्यातव्य है कि गरुड़ पुराण को 18 महानों में से एक माना जाता है। इस पौराणिक कथा में व्यक्ति की मौत से जुड़े कई रहस्यों का भी उल्लेख मिलता है। इसी के साथ यह मौत की गति का भी वर्णन करता है। इस संसार में सभी प्राणी नश्वर हैं और एक दिन सभी को मरना है।

लेकिन सभी अलग-अलग तरीके से मरते हैं। इस पौराणिक कथा के अनुसार मनुष्य चार प्रकार से अपना जीवन त्यागता है। कई बार मरते समय कई लोग अपनी आँखें फेर लेते हैं, तो कुछ लोगों का मुंह खुला और खुला रह जाता है। इसके अलावा भी कई लोग शरीर छोड़ते समय मिलना-जुलना और पेशाब छोड़ देते हैं। हम अपने जीवन का त्याग कैसे करते हैं, यह भी हमारे कर्म पर निर्भर करता है।

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