जासू माता की कोठी - कोटड़ा पीठा ( जलाराम मंदिर )
जालाराम बापा की बेटी जमना माँ का विवाह कोटडापीठा जसू माँ के बेटे के साथ संपन्न हुआ ,
उस समय जसू माँ ने जालाराम जी से कहा वीरपुर में अन्न क्षेत्र चलाते हैं
इनको ठाकर का आशीर्वाद मिला है
बेटी तू जाके अपने पापा को बोल कि यहाँ भी अन्न क्षेत्र शुरू करना है
जासु माँ वीरपुर गई और पापा से बात की पापा मान गए पापा
मेरे ठाकुर की मर्जी जो पापा कहते है
बापा ने एक कमरा जगत जननी को दिया और कहा ,
इस कोठी में दिन में एक बार प्रसाद बनाएं और फिर पूरे दिन इसी से प्रसाद परोसें
नहीं तो मेरा ठाकुर करेगा
पर गलती से भी इस कोठे के अंदर मत झांकना
नहीं तो प्रसाद नहीं निकलेगा
जमुना में ससुराल आते हैं और जसूमा ने सारी बातें कीं
और खाद्य क्षेत्र शुरू हो गया है
श्रद्धालुओं का प्रवाह बढ़ा
और जसूमा खुश होती
एक दिन एक व्यक्ति ने उत्सुकतावश खलिहान में देखा
और पूज्य बापा ने जो कहा वह सच हुआ
प्रसाद निकलना बंद हो गया
पूज्य जसु माँ ने जमना माँ को वीरपुर भेजा इस मामले को सुलझाने के लिए। जमना में माँ ने भारी मन से पिताजी से बात की
पापा ऐसा मेरे साथ ही क्यों..?
पापा कहते हैं बेटा शांत रहो..
जो हुआ वो मेरे ठाकर की मर्जी
लेकिन अब इसका कोई तरीका नहीं है
लेकिन
बरसों बाद कोई हरि का अवतार आएगा और आपके यहां फिर से अन्न क्षेत्र खोलेगा।
उसके बाद यह खाद्य क्षेत्र जारी रहेगा...
जय जलाराम
(ऊपर की फोटो जालाराम मंदिर कोटडापीठा की है अभी भी है)
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