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11/16/2021

गाँव का गुणा भाग ( कविता )

   
                           
   

गाँव का गुणा भाग कविता )


गाँव में आबादी छोटी है..

घर में एक ज्ञानी आदमी है... ,

आंगन में आपका स्वागत है...

मेहमानों के पास मेरा है...!


गांव में चाय पीने का चलन है,

अच्छा है व्यवहार उसका,

राम-राम का रंकार है,

खाने के चैलेंज हैं...!


सत्संग मंडली झूम रही है...

यदि आप नीचे बैठ जाते हैं!

सुबह शाम को होती है.. ,

ज्ञान की बातें बड़ी मशहूर है,


जैसे जन्नत का कोई दोष हो...!

बहु को सास पसंद है...

एक साथ बैठे हैं.. खा रहा हूँ.. ,

बोलने में समझ जाओ...


गलती हो जाये तो झुक जाते है...!

गोद में खेल रहे लड़के...

ऐसी होती है मातृत्व ममता.. ,

लड़कों की देखभाल कर रही 'गिल्डा'..


चोर बैठे खेल रहे है !

वे सही दिशा में बढ़ रहे हैं..

बाप की बात तो सब रखते है.. ,

कोई फर्क नहीं पड़ता! आँखें कम खटकती हैं...


ऐसे 'बदमाश' तराश रहे हैं!

नीति राज की शुद्ध होती है.. ,

ऐसे घर घर में पुराने होते हैं.. ,

पानी के लिए पूछ रहे हैं दूध मौजूद है...


मानो तो भगवान बुद्ध है..!

भजन-कीर्तन हो रहे हैं..

परबा पानी आ रहा है... ,

मेहनत करके खा रहा हूँ...


पांच में पूछ रहा हूँ..!

देव तुल्य दाता होते हैं...

परबा पानी आ रहा है... ,

भक्ति रंग में रंगी हुई है...


प्रभु के गुण गाते हुए...!

घी-दूध बारह महीने...

मीठी छाछ खाओ... ,

वाणी में मिठास है...


मस्ती बोलने के लिए रास है...!

चाँद में रौशनी हो तो... वहाँ निश्चित है...

श्री कृष्ण की.. निवास.. ,

कच्चे-पक्के मकान हैं..


उसमे भी एक दुकान है... ,

ग्राहकों की ऐसी इज्जत होती है...

मिले हुए खुदा हो जैसे...!

संस्कृति की शान होती है...


खुशी के बच्चे हैं... ,

एक मंजिल पर चार कमरे हैं, सबका खाना

हो जाओ... ,

अतिथि का स्वागत है...

खुले घर के दरवाजे होते हैं...!


कुएं के किनारे आरो है... ,

नदी किनारे पर है... ,

बहुओं का व्यवहार होता है...

कई जिंदगियों से अधिक प्यार है!


इसे कानो ही रहने दो! क्या यह काला है..

उसकी राधा का मन सुंदर है.. ,

वाणी से व्यवहार...

मन तो सबका बड़ा होता है... ,


हरियाली जंगल हैं...

महकती सी हवा है...!

गाँव एक छोटा सा देशी है,

जोगमाया के लोग हैं... ,


मनुष्य मोती के रत्न हैं...

पाप का पतन होता है...!

मस्त मस्त बातें हैं,

पेड़ के पास जा रहा हूँ... और मार रहा हूँ.. ,।


मोर दिन का मलकाटो है,

गांव महीने में गा रहा है...


धन्यवाद। जय माता दी





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