भारत के महान संगीतकार ओमकारनाथ ठाकुर
भारत के महान संगीतकार ओमकारनाथ ठाकुर
* मन मोह लिया काना तेरी मोराली (एक सच्ची घटना)... * ❤️
* इटली के तानाशाह मुसोलिनी की आत्मकथा में इस प्रसंग को पढ़कर हर भारतीय अपनी प्राचीन संस्कृति पर गर्व महसूस कर सकता है। *
* भारत के महान संगीतकार ओंकारनाथ ठाकुर उन दिनों इटली दौरे पर गए थे. *
* मुसोलिनी ने भारत के महान संगीतकार के सम्मान में भोजन का आयोजन किया। *
* इस राजकीय भोजन समारोह में ओमकारनाथ ठाकुर के साथ कई प्रमुख भारतीय और भारतीय दूतावास के सदस्य भी मौजूद थे.. *
*समारोह में मुसोलिनी ने भारत की पांच हजार वर्ष पुरानी संस्कृति का मजाक उड़ाने वाले सभी मेहमानों में से ओमकारनाथ ठाकुर से कहा, 'मी. ठाकुर, सुना है कि जब कृष्ण तुम्हारे देश में बांसुरी बजाते थे, तो आसपास के क्षेत्र की सभी गायें शुरू हो जाती हैं नाचे नाचे मोर कलाकारी करने लगे, गोपियों ने दूध हारी और जहां कृष्ण ने बांसुरी बजाई, क्या आप इस बात पर विश्वास करते हैं '*
*भोजन समारोह में भारत के बेटे ने इटली के तानाशाह के साथ जो किया उसे जानकर हर भारतीय का सर गर्व से उठेगा... *
*ठाकुर ने कहा कृष्ण जितनी मेरी औकात नहीं या संगीत के मामले में उनकी जितनी समझ नहीं। *
*सच्चाई तो यह है कि संगीत के संबंध में कृष्ण जैसा बोध वाला इस पृथ्वी पर कोई दूसरा जन्म नहीं लिया है। *
*पर, संगीत का जो थोड़ा सा ज्ञान मुझे है, कहो तो बताऊँ या कर दूँ... '*
* मुसोलिनी ने मजाक में कहा, 'यद्यपि यहां कोई संगीत वाद्य यंत्र उपलब्ध नहीं है, लेकिन संभव हो तो कुछ करें, तो यहां उपस्थित गणमान्य व्यक्ति भी भारतीय संस्कृति से परिचय कराएं। '*
* ओंकारनाथ ठाकुर अलग अलग कप गिलास में कम अधिक पानी भरकर डाइनिंग टेबल पर चाकू के कांटे से पानी के रंग की तरह खेलने लगे। दो मिनट में अन्न समारोह की हवा पलट गई। *
* वातावरण में एक प्रकार की शीतलता शुरू हो गई। पांच मिनट, सात मिनट और मुसोलिनी की आँखों में अंधेरा था। वातावरण में एक प्रकार का नशा छलकने लगा। *
* मदारी बीन बजाता है और जैसे ही सांप कांपने लगा, मुसोली कांपने लगा और उसका सिर जोर से टेबल पर टकराया। *
*चुप रहो... चुप रहो... मुसोलिनी चिल्ला चिल्ला कर उठी। समारोह में सन्नाटा छा गया। *
* सभी लोगों ने देखा कि मुसोलिनी के माथे में पैर था और उसमें से खून बह रहा था। *
* मुसोलिनी ने एक आत्मकथा में लिखा है कि मैं भारत की संस्कृति के लिए जो मजाक किया उसके लिए भारत के लोगों से माफी मांगता हूं। *
*यदि इस सदस्य समाज का मुझ जैसा मजबूत दिमाग वाला व्यक्ति भी चाकू से भरे कांच के बर्तनों से निकले अद्भुत संगीत से कांपने लगे तो यकीनन मेरा मानना है कि उस युग में जंगल के जानवर भी लिस्टे से शांत हो जाएंगे की बांसुरी के लिए निंग कृष्ण और मनुष्य भी सुधबुध खोकर मिल जाते होंगे। क्या ऐसा होगा। *
* भारत के ऋषियों ने हजारों साल पहले ध्वनि शास्त्र-नदब्रह्म साधना की और मंत्रयोग के माध्यम से मानव मन की तरंगों को अनेक प्रकार से बदलने की प्रक्रियाओं की खोज की। *
*ध्वनि और मंत्रों में ऐसी अद्भुत शक्तियां भरी हुई हैं कि जड़ तत्वों को चेतन कर सकती हैं। *
*ओंकारनाथ ठाकुर ने इटली में इसका एक छोटा सा प्रयोग करके वहां उपस्थित सभी को आश्चर्यचकित कर दिया*
*पंडित ओंकारनाथ ठाकुर का जन्म 24 जून 1897 को आणंद जिले के खंभाट तालुका के जहाज गांव में अनवाल ब्राह्मण परिवार में हुआ था और मृत्यु 29 दिसंबर 1967 को हुई थी*
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