महाराजा सवाई मानसिंह / Raja Man Singh death
एक कुशल शासक:
राजपूत साम्राज्य के प्रतिभाशाली राजाओं में से एक महाराजा सवाई मान सिंह जी द्वितीय का कर्मठ स्वभाव अतुलनीय रहेगा।
सवाई मान सिंह द्वितीय (मोर मुकुट सिंह; 21 अगस्त 1912– 24 जून 1970) कछवाहा वंश से संबन्धित जयपुर के अंतिम शासक थे। उन्होंने 1922 से लेकर राज्य के भारत में विलय (1949) तक शासन किया।
इसके बाद उन्होंने 1949 से लेकर 1956 तक राजस्थान के राजप्रमुख के रूप में कार्य संभाला। बाद के सालों में इन्होंने स्पेन में भारत के राजदूत के रूप में कार्य किया।
महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय को अच्छे खिलाड़ी होने के साथ-साथ पोलो खेल में खासी शोहरत हासिल थी।पोलो के जबरदस्त खिलाड़ी थे जयपुर के महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय ।
उनके बचपन का नाम मोरमुकुट सिंह था। महाराजा ने 1922 से 1949 तक जयपुर पर शासन किया था।
शान-ओ शौकत से हुआ था राजतिलक:
राजा सवाई मानसिंह द्वितीय का राजतिलक बड़े शान-ओ शौकत से हुआ था। महाराज सवाई मान सिंह द्वितीय को 7 सितंबर वर्ष 1922 को राजगद्दी पर बैठाया गया था। तब पूरे सिटी पैलेस को दुल्हन की तरह सजाया गया था। गाजे-बाजे के साथ जयपुर नए महाराज का स्वागत कर रहा था। बताया जाता है कि सवाई मान सिह द्वितीय का जब राज तिलक हुआ था तब वो सिर्फ 11 साल के थे। 14 मार्च 1931 को उन्होंने पूरी सत्तारूढ़ शक्तियां प्राप्त कर ली थी।
महाराजा ने की थी तीन शादियां:
जयपुर के महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय ने तीन शादियां की थी। उनकी पहली पत्नी महारानी मरुधर कँवर जोधपुर के महाराजा सरदार सिंह जी की बेटी थी। उन्होंने 30 जनवरी 1924 को शादी कर ली थी। इसके बाद इन्होंने 24 अप्रैल 1932 को जोधपुर के महाराजा सुमेर सिंह जी की बेटी महारानी किशोर कँवर से दूसरी शादी की थी। फिर महाराजा मान सिंह ने तीसरी शादी 9 मई 1940 में महारानी गायत्री देवी से की थी। गायत्री देवी कूच बिहार की राजकुमारी थी और अति सूंदर थी। उनकी पौराणिक सुंदरता को देख कर महाराजा को उनसे प्रेम हो गया था। गायत्री देवी का महाराजा मान सिह के साथ प्रेम बहुत ही प्रसिद्ध रहा था।
सेना और भारतीय स्टेट फोर्सेज में महाराजा के योगदानयोगदान:
महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय आधुनिक सैन्य विज्ञान का ज्ञान प्राप्त करने के लिए वैज्ञानिको के पास वूलविच में रॉयल सैन्य अकादमी के पास गए थे। पूरा सत्तारूढ़ ज्ञान प्राप्त करने के बाद महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय ने नई मॉडल सेना का निर्माण किया और उनके प्रमुख कमांडेड बने। जयपुर राज्य के एकीकरण के बाद वर्ष 1949 में महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय को राजस्थान का राज प्रमुख नियुक्त किया गया।
पोलो के जबरदस्त खिलाड़ी :
महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय की पोलो में गहरी रुचि थी वो पोलो के जबरदस्त खिलाड़ी माने जाते थे। उन्होंने भारतीय टीम का नेतृत्व किया और कई मैच जीते, जिसमें वर्ष 1957 में विश्व कप में पोलो को भी शामिल हैं।
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