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10/24/2021

मनुष्य मात्र दो प्रकार से रोगी होता है, एक शरीर से दूसरा मन से !

   
                           
   

मनुष्य मात्र दो प्रकार से रोगी होता हैएक शरीर से दूसरा मन से !


मनुष्य मात्र दो प्रकार से रोगी होता हैएक शरीर से दूसरा मन सेशारीरिक रोगों को दूर करने के लिए अनेक औषधियों और पथियों का उपयोग किया जा सकता हैलेकिन अप्रत्यक्ष दिखने वाला मानसिक रोग अति भारी हैमनुष्य जब मानसिक रोग से पीड़ित होने लगता है तो उसका आंतरिक स्वभावविवेक व्यवहारबुद्धि आदि नष्ट भ्रष्ट होने लगते हैमनुष्यकामक्रोधलोभमोहस्वार्थदम्भछल-कपटईर्ष्यारागद्वेष आदि दुर्गुणोंसे रोगी होता चला जाता हैमन  के रोगों को दूर करने के लिए ऋषि-मुनियों द्वारा निर्दिष्ट योग के महत्वपूर्ण अंग प्राणायामधारणा प्रत्याहारध्यान आदि  मन और मस्तिष्क पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैंनिरंतर योग के अभ्यास से मनुष्य अपने स्वभावमन मस्तिष्क के तनाव और आंतरिक रोगों पर नियंत्रण पाकर अपना जीवन शांतपवित्र और निर्मल बनाने में सक्षम हो सकता है!





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