जिंदगी क्या है ( सुंदर कविता )
गुलज़ार साहब ने कितनी
खूबसूरती से बता दिया कि
जिंदगी क्या है।*
कभी तानों में कटेगी,
कभी तारीफों में;*
ये जिंदगी है यारों,
पल पल घटेगी !!*
पाने को कुछ नहीं,
ले जाने को कुछ नहीं;
फिर भी क्यों चिंता
करते हो,
इससे सिर्फ खूबसूरती
घटेगी,ये जिंदगी है यारों
पल-पल घटेगी!*
बार बार रफू करता रहता
हूँ,जिन्दगी की जेब !!*
कम्बखत फिर भी,
निकल जाते हैं...,
खुशियों के कुछ लम्हें !!
ज़िन्दगी में सारा झगड़ा
ही ख़्वाहिशों का है !!*
ना तो किसी को गम
चाहिए,ना ही किसी को
कम चाहिए !!*
खटखटाते रहिए दरवाजा
एक दूसरे के मन का;
मुलाकातें ना सही,
आहटें आती रहनी चाहिए
!!*
उड़ जाएंगे एक दिन ...,
तस्वीर से रंगों की तरह !
हम वक्त की टहनी पर...
बेठे हैं परिंदों की तरह !!*
बोली बता देती है,इंसान
कैसा है!*
बहस बता देती है, ज्ञान
कैसा है!*
घमण्ड बता देता है, कितना
पैसा है।*संस्कार बता देते है,
परिवार कैसा है !!*
ना राज़* *है... "ज़िन्दगी",
ना नाराज़ है... "ज़िन्दगी";
बस जो है, वो आज है,
ज़िन्दगी*
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