मणिकर्णिका :- मणि यानि कुंडल और कर्ण ममतलब कान
कुछ लोगों का कहना है कि भगवान शिव और पार्वती के स्नान के लिए यहां विष्णु जी ने कुआं खोदा था, जिसे लोग अब मणिकर्णिका कुंड के नाम से भी जानते हैं
जब शिव इस कुंड में स्नान कर रहे थे, तब उनका एक कुंडल कुएं में गिर गया तब से इस जगह को मणिकर्णिका (मणि यानि कुंडल और कर्णम मतलब कान) घाट कहा जाने लगा
कहा जाता है कि भगवान शिव ने मणिकर्णिका घाट को अनंत शांति का वरदान दिया है
लोगों का यह भी मानना है कि यहां हजारों साल तक भगवान विष्णु ने भगवान शिव की आराधना की थी और ये प्रार्थना की थी कि सृष्टि के विनाश के समय भी काशी को नष्ट न किया जाए
श्री विष्णु की प्रार्थना से प्रसन्न होकर भगवान शिव अपनी पत्नी पार्वती के साथ काशी आए और उन्होंने भगवान विष्णु की मनोकामना पूरी की
तभी से यह मान्यता है कि वाराणसी में अंतिम संस्कार करने से मोक्ष (अर्थात व्यक्ति को जीवन-मरण के चक्र से छुटकारा मिल जाता है) की प्राप्ति होती है
इसलिए इसमें कोई संदेह नहीं कि हिंदुओं में यह स्थान अंतिम संस्कार के लिए सबसे पवित्र माना जाता है!
हर हर महादेव ❤️🙏🏻
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