सफेद शिवलिंग…विश्व का एक मात्र सफेद शिवलिंग
हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा गया है तथा प्रदेश के कोने-कोने में भगवान के देवस्थल विराजमान हैं। एक ऐसा ही देवस्थल गंगथ के प्राचीन बाजार में विराजमान है। गंगथ बाजार में सफेद रंग का शिवलिंग विराजमान है जो कि अद्भुत है जिसके दर्शनार्थ साल भर प्रदेश सहित देशभर से श्रद्धालुओं का आवागमन लगा रहता है।
उक्त सफेद शिवलिंग 20 इंच ऊंचा व 52 इंच गोल है। कथा के अनुसार इंदपुर गांव में कटोच परिवार के व्यक्ति बाबा मग्गो राम को स्वप्न में भगवान शिव ने माओगढ़ किले में सफेद शिवलिंग होने का संदेश दिया था तथा उक्त किला नागाबाड़ी पंचायत में विराजमान है। 1640 ई. में नूरपुर के राजा जगत सिंह का एक शानदार सुरक्षित किला माओगढ़ के नाम से जाना जाता था। राजा जगत सिंह भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। इसी किले के अंदर राजा जगत सिंह ने आराध्य देव शिव के इस अद्भुत शिवलिंग को स्थापित करवाया था। जब शाहजहां ने माओगढ़ में आक्रमण करके इस किले को तहस-नहस कर दिया तो यह सफेद शिवलिंग किले की धरती में समा गया। कालांतर में भगवान शिव ने जब इंदपुर के बाबा मग्गो राम को स्वप्न में उस जगह पर उक्त सफेद शिवलिंग के भूमि में होने का संदेश दिया तो उन्होंने गांववासियों को साथ लेकर माओगढ़ किले की खुदाई शुरू की। खुदाई करते समय भूमि में समाए प्राकृतिक शिवलिंग से जैसे ही फावड़ा टकराया तो अद्भुत पिंडी से दूध की धारा प्रवाहित हो उठी। गहरी खुदाई करने पर सफेद शिवलिंग के दर्शन हुए। फावड़े के टकराने से आई खरोंचें आज भी शिवलिंग पर देखी जा सकती हैं। जब बाबा मग्गो राम सफेद शिवपिंडी को पालकी में उठाकर इंदपुर में ला रहे थे तो गंगथ में थोड़ी देर विश्राम करने के लिए रुक गए और जैसे ही दोबारा से शिवलिंग को उठाने लगे तो पिंडी हिली भी नहीं। शिव आज्ञा मानकर इसे यहीं पर स्थापित कर दिया गया।
शिवलिंग की महत्ता कहते हैं कि जब कभी सूखा पड़ने की स्थिति पैदा होती है तो किसान नजदीक की छोंछ खड्ड से जल लाकर शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। जैसे ही जल की धारा एक किलोमीटर दूर स्थित छोंछ खड्ड में मिलती है तो बादल बरसने शुरू हो जाते हैं तथा सूखे की स्थिति दूर हो जाती है। आज भी लोग शिवलिंग का स्पर्श करवाकर अपने घरों में शिवलिंग स्थापित करते हैं।
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