प्रेत सम्भोग # प्रेत सम्बन्ध बनाते है शरीर से भी
अक्सर हमारे पास ऐसे मामले आते हैं जिनमे व्यक्ति किसी बाहरी बाधा ,भूत प्रेत ,किये कराये ,टोने टोटके से परेशान होता है |कुछ परेशानियां तो घर परिवार ,आर्थिक समस्या ,उन्नति ,अवनति ,घटना दुर्घटनाओं अथवा रोग बीमारी की होती हैं किन्तु कुछ मामले ऐसे भी होते हैं जिनमे कोई शक्ति जैसे भूत प्रेत व्यक्ति से सीधे संपर्क करता है ,किसी से सीधे सम्पर्क में रहता है |कभी वह बातें करता है तो कभी वह शरीर भी छूता है ,कभी कभी तो यह शक्तियाँ या प्रेत प्रेतनी स्त्री या पुरुष से शारीरिक सम्बन्ध भी बनाते हैं |कुछ मामलों में एक दो बार तो कुछ मामलों में कई बार |कभी कभी पीड़ित इन्हें समझ भी नहीं पाता चूंकि उसे अक्सर कोई दिखाई नहीं देता किन्तु नाजुक गुप्त अंगों पर हरकत और क्रियाएं होती हैं |कभी कभी किसी किसी स्त्री या पुरुष को किसी अदृश्य शक्ति के गुप्तांग या जनन अंग या शरीर के किसी अंग के स्पर्श की भी अनुभूति होती है |ऐसे मामले होते तो कम हैं किन्तु किसी किसी के साथ यह होता है |अक्सर इन मामलों से स्त्री और युवतियां अधिक पीड़ित होती हैं जबकि कोई कोई पुरुष भी इनसे प्रभावित होता है |सामान्य लोग और परिवार के लोग इसे समझ नहीं पाते और इसे मानसिक बीमारी कह सकते हैं किन्तु जिसके साथ होता है वह इसे पूरा महसूस करता है भौतिक रूप से भी |
जब कोई पुरुष या महिला अकाल मृत्यु से मरता है तब वह प्रेत -प्रेतनी या भूत चुड़ैल बनता है |मृत्यु के समय शारीरिक स्थिति अच्छी होने पर इच्छाए और कामनाएं अधिक होती हैं ,इन्ही में से एक कामना शारीरिक सुख प्राप्ति की भी होती है |मृत्यु बाद भी आत्मा की इच्छाएं उसके साथ रहती हैं किन्तु उसके पास शरीर नहीं होता |सामान्यतया तो कम शक्ति होने से वह किसी के शरीर को प्रभावित नहीं कर पाते किन्तु किसी किसी में इतनी शक्ति हो जाती है की वह किसी जीवित पुरुष या स्त्री के शरीर को भी प्रभावित कर सकें |इन आत्माओं को प्रेत कहते हैं |कभी यह खुद किसी के शरीर को प्रभावित करते हैं तो कभी किसी अन्य के शरीर में प्रवेश करके अपनी अतृप्त इच्छाओं की पूर्ती का प्रयास करते हैं |यही कारण होता है की यह किसी किसी से शारीरिक सम्बन्ध भी बनाने की कोशिश करते हैं और अपनी इच्छा पूर्ण करने का प्रयास करते हैं |
जब कोई आत्मा या भूत प्रेत ,प्रेतनी चुड़ैल आदि किसी को प्रभावित करते हैं तो ऐसे व्यक्ति या स्त्री का स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है और मानसिक स्थिति भी |प्रेत की शक्ति पर निर्भर करता है की वह कितना और किस रूप में प्रभावित करना चाहता है |यदि प्रेत या प्रेतनी किसी पर आसक्त हो जाएँ तो वह अधिकतर शारीरिक तुष्टि चाहते हैं उस व्यक्ति से |चूंकि उनके पास भौतिक शरीर नहीं होता अतः सामान्यतया तो वह शरीर नहीं छू पाते किन्तु यदि उनकी शक्ति अधिक हो तो वह शरीर छूने लगते हैं और तब व्यक्ति या पीड़ित युवती या स्त्री को ऐसा लगता है कोई उसे छू रहा या कोई शारीरिक सम्बन्ध बनाने की कोशिस कर रहा |इस तरह के प्रेत या प्रेतनी कभी घर -परिवार या रिश्तेदारी के भी हो सकते हैं तो कभी बाहर आते जाते रास्ते से लग गए हुए भी होते हैं |कभी कभी कुछ लोग किसी किसी पर प्रेत भेज देते हैं तब भी ऐसा हो सकता है या कभी किसी ऐसे स्थान पर मूत्र त्याग या अशुद्ध क्रिया करने से भी यह व्यक्ति के साथ लग जाते हैं जहाँ प्रेत रहते हों |कभी कभी भरी दोपहरी में या रात में तेज परफ्यूम आदि लगाकर अकेले निकलने पर भी प्रेत या प्रेतनी आकृष्ट हो जाते हैं |
जब कोई किसी को मारने के उद्देश्य से प्रेत भेजता है तो ऐसे प्रेत शारीरिक कष्ट तो देते हैं किन्तु शारीरिक सम्बन्ध बनाने की कोशिश नहीं करते किन्तु यदि उन्हें मारने का निर्देश न हो मात्र किसी को जाकर पीड़ित करने का उद्देश्य हो तो वह हर तरह के कष्ट देते हैं और वह फिर शरीर का सम्पर्क भी कर सकते हैं |जब कोई इस तरह के किसी प्रेत या प्रेतनी का शिकार होता है तो उसका दाम्पत्य जीवन तबाह हो जाता है यदि वह विवाहित है तो |यदि अविवाहित है तो उसके विवाह में अनेक अडचने आने लगती है |विवाहित स्थिति में अक्सर जीवन साथी को कष्ट होने लगता है और यह प्रेत प्रेतनी नहीं चाहते की पीड़ित से उसका पति या पत्नी सम्बन्ध बनाये |कुछ ऐसे भी मामले आते हैं जबकि प्रेत में अधिक शक्ति हो तो वह पति या पत्नी में प्रवेश करके या उनका रूप लेकर भी शारीरिक सम्बन्ध बनाता है |अविवाहित मामलों में विवाह की इच्छा कम होने लगती है |अनचाहे ऐसी क्रियाएं और काम होते हैं की शरीर कमजोर पड़ने लगता है |विवाहित या अविवाहित दोनों मामलों में पीड़ित का स्वस्थ्य अच्छा नहीं रहता और वह अनमना ,ऊर्जा विहीन ,चिडचिडा हो जाता है |एकांत पसंद आता है ,खुद पर से विश्वास कम होने लगता है ,लोगों से दूर रहने की कोशिश करता है |
यदि कोई प्रेत किसी पर भेजा गया हो तो उसे सामान्य पूजा पाठ से न तो समाप्त किया जा सकता है न ही वापस भेजा जा सकता है या हटाया जा सकता है क्योंकि वह अपनी इच्छा से नहीं जा सकता ,वह वचन बद्ध होता है |या तो जिसने भेजा है वह बुलाये तभी वह जा सकता है या फिर उसे जला दिया जाए तब वह खत्म होगा |यदि यह जिन्न या ब्रह्म आदि हुआ तो जलाया भी नहीं जा सकता और हटाने की कोशिश करने वाले के ही जान के लाले पड़ जाते हैं |इन्हें मात्र मनाया ही जा सकता है की वह पीड़ित को छोड़ दें |कुछ ऐसे भी मामले देखने में आये हैं की ३० -४० वर्ष से किसी को कोई प्रेत या जिन्न पीड़ित कर रहा है और उसे कहीं का कोई तांत्रिक नहीं हटा पाया ,अंततः वह तभी हटा जब व्यक्ति की मृत्यु हो गयी |इनके शक्ति की कोई सीमा नहीं क्योंकि जो तांत्रिक आज हटाने की कोशिश कर रहे कभी कभी उनसे भी अधिक इनकी शक्ति होती है |जब कोई कर्मकांडी या उच्च साधक ब्राह्मण अकाल मृत्यु को प्राप्त हो जाए या कोई उच्च स्तर का तांत्रिक अकाल मृत्यु को प्राप्त हो तो वह ऐसा प्रेत या ब्रह्म बनता है जो किसी भी साधक ,तांत्रिक या पंडित तक को मार सकता है |अतः किस्मे कितनी शक्ति है यही उसे हटाने या हटने की स्थिति के लिए उत्तरदाई होता है |
सामान्यतया ऐसे प्रेतों को हटाने के लिए हमने जो युक्ति कारगर पाई है उसमे सबसे बेहतर खुद की शक्ति बढ़ाना ही है |बिना यह कहे की हम किसी को हटाना चाहते हैं यदि काली आदि की साधना उपासना की जाय तो धीरे धीरे इनसे राहत मिलती है |प्रेत या प्रेतनी अक्सर भगवती काली की उपासना में बाधा नहीं डालते क्योंकि काली ही उनकी भी आराध्य होती हैं अतः काली उपासना इस तरह हो की हम अपने घर परिवार और खुद की ख़ुशी के लिए उपासना कर रहे तो बाधा कम आती है और कुछ समय में खुद की शक्ति बढने पर प्रेत प्रकोप कम होने लगता है |कभी कभी ऐसा भी होता है की यह कोई पूजा पाठ करने ही नहीं देते तथा पूजा पाठ पर और अधिक परेशानियां घर परिवार में होने लगती हैं किन्तु अधिकतर ऐसा तब होता है जब कोई प्रेत घर परिवार पर भेजा गया हो या अनिष्ट के उद्देश्य से भेजा गया हो |आसक्त या कामुक प्रेत प्रेतनी पूजा पाठ नहीं रोकते |
काली की उपासना पूजा के साथ भगवती काली या प्रत्यंगिरा देवी का कवच यदि किसी अच्छे साधक से बनवाकर धारण किया जाय तो शरीर से प्रेत के लिए अवरोध उत्पन्न हो जाता है और वह उतनी मनमानी नहीं कर सकता जितना सामान्य अवस्था में करता है |कम शक्ति का हुआ तो शरीर से हट जाएगा ,अधिक शक्ति का हुआ तब भी उसे अवरोध अवश्य महसूस होगा और उसे कष्ट तो होगा ही शरीर स्पर्श पर |किसी को भोजन न मिले तो कोई कितने दिन भूखा रहेगा यही तकनीक काम करती है ताबीज ,कवच धारण में |भूत प्रेत शरीर को पीड़ित करने में ताबीज से अवरोध महसूस करते हैं अतः हटने लगते हैं |खुद की साधना की शक्ति इन्हें और अधिक दूर कर व्यक्ति को इनसे मुक्त कर देती है |वैसे तो देश में एक से बढकर एक साधक हैं पर हमने इसे कारगर पाया है |
हर हर महादेव
( नोट- उपरोक्त लेख केवल सामान्य जानकारी हेतु है )
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts,please let me know