प्रहलाद मंदिर # मुल्तान पाकिस्तान
पाकिस्तान में है प्रहलाद मंदिर जहाँ हुई थी होली की शुरुआत
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहीं नरसिंह भगवान ने एक खंबे से निकल कर प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप को मारा था। इसके पश्चात प्रह्लाद ने स्वंय ही इस मंदिर का निर्माण करवाया था।
हिरण्यकश्यप वध के पश्चात भगवान नरसिंह नें प्रह्लाद को मुकुट पहना कर राजतिलक किया। राजा बनने के बाद प्रह्लाद ने भगवान नरसिंह के लिए उस स्थान पर मन्दिर बनवाया जिस स्तम्भ से वो निकले थे। उस स्थान को कहा गया मूल-स्तवन अर्थात भगवान नरसिंह के प्रकाट्य का मूल स्थान। प्रह्लाद के बाद उसके पुत्र विरोचन और विरोचन के बाद उसके पुत्र महाबलि ने राज्य किया जिसे बाद में भगवान विष्णु ने वामन अवतार में पाताल लोक भेजा।
कुरुक्षेत्र युद्ध के समय मूलस्थान ट्राइकार्टा साम्राज्य की राजधानी थी, जिस पर कटोच वंश का शासन था। मूलस्थान सौर-उपासना पंथ का एक बड़ा केंद्र था जिसका जिक्र छठी सदी ईसवी के कुछ ग्रीक इतिहासकारों ने अपनी किताबों में किया है। समय के साथ मूल-स्तवन का नाम मूलस्थान और बाद में मुल्तान में हो गया। बंटवारे के बाद मुल्तान पाकिस्तान में चला गया जहां 1992 में इस मंदिर को नष्ट कर दिया गया। इस मंदिर के अब सिर्फ अवशेष ही बचे है जो प्रह्लादपूरी मन्दिर के नाम से प्रसिद्ध था। लोक कथा के अनुसार इसी स्थान पर सबसे पहला होलिका दहन हुआ था।
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