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1/12/2022

शीतपित्त ( URTICARIA )

   
                           
   

शीतपित्त ( URTICARIA )



परिचय : 

खून की गर्मी या पित्त के ज्यादा होने से कभी-कभी त्वचा पर लाल-लाल चकत्ते या ददोड़े से निकल आते है जिनमें खुजली होती है। इसे पित्ती उछलना कहते है। यह शीतपित्त, जुड़ पित्ती या छपाकी आदि नामों से जानी जाती है।

कारण : 

ज्यादा तेल-मिर्च, गर्म मसाले और अम्ल रसों से बने चटपटे खाद्य पदार्थों और बाजार में बिकने वाले फास्ट फूट व चाइनीज खाना खाने से भी यह रोग होता है। अचानक गर्मी से आने के बाद ठंड़ा पानी, कोल्ड ड्रिंक या आइसक्रीम खाने पीने से भी होता है। ठंड़ी हवा से भी यह रोग उत्पन्न होता है।

लक्षण : 

शरीर पर लाल-लाल चकत्ते या ददोड़ पड़ना जिनमें मीठी-मीठी खुजली होना या चींटी की तरह काटने सा एहसास होता है। यह पूरे शरीर में फैल जाती है। चकत्ते की जगह त्वचा लाल और सूजनयुक्त हो जाती है और उनमें उभार दिखाई देता है।

भोजन तथा परहेज : 

साग-सब्जी, फल, रेशेदार खाद्य पदार्थ, पुराने चावल, जौ, मूंग, चना आदि का सेवन करें। नहाने में गर्म पानी का उपयोग करें।

अगर आपको लगे कि पित्ती उछल रही है तो उस समय नहाना नहीं चाहिए, ठंड़ी हवा से बचना चाहिए। ऐसी कूलर बन्द कर दें, नमक खाने से इसमें वृद्धि होती है।

उपचार :

  • गुड़ के साथ अदरक का रस 1 चम्मच से 2 चम्मच की मात्रा में रोज दो तीन मात्रायें सेवन करने से शीत-पित्त खत्म होती है।
  • पिसा हुआ त्रिफला 5 ग्राम को शहद के साथ सुबह-शाम खाने से शीतपित्त में लाभ होगा।
  • त्रिफला 120 ग्राम कूटकर छान लें 6 ग्राम पानी से सोते समय रात को लें।
  • 6 ग्राम को 250 मिलीलीटर पानी में रात को भिगोयें। सुबह मसलें, फिर छानकर शहद मिलाकर पी लें।
  • 500 मिलीलीटर पानी में 12 ग्राम नमक को मिलाकर पियें। उल्टी करने के बाद फिटकरी गेरू 20 ग्राम पानी में पीसकर शरीर पर लगायें। इससे शीतपित्त में लाभ होगा।
  • पिसी हुई फिटकरी आधा चम्मच, आधे कप गर्म पानी में घोलकर पित्ती निकलने वाली जगह इसे लगायें और धोयें।
  • फिटकरी को तवे पर भूनकर कूट लें और 0.48 ग्राम चूर्ण मक्खन मिलाकर खाने से जल्दी लाभ होता है।
  • 7 निबोली वो भी हरी चबानी चाहिए। छोटे बच्चों को दो निबोली 12 ग्राम पानी में घिसकर देने से पित्ती में फायदा तुरन्त होता है।
  • हींग को घी में मिलाकर मालिश करने से शीतपित्त में लाभ होता है।
  • पित्ती होने पर कालीमिर्च और घी मिलाकर पियें और शरीर पर इन दोनों की ही मालिश करें।
  • कालीमिर्च का चूर्ण 1 ग्राम, अजवायन का चूर्ण 1 ग्राम मिलाकर थोड़े से गुड़ के साथ खाने से शीत पित्त में लाभ होता है।
  • पित्ती होने पर दस्त कराने वाली औषधि सेवन करने से पेट साफ होता है, सरसों के तेल की मालिश करके गर्म पानी में नहाने से पित्ती खत्म होती है।
  • पित्त-विकार में पके फालसे के रस में पानी, सौठ और शक्कर मिलाकर पीना चाहिए।
  • गेरू को पानी में मिलाकर शरीर पर लेप करके कंबल ओढ़कर सोने से शीत पित्त खत्म होता है।
  • गेरू को पीसकर तेल में मिलाकर शीतपित्त पर मलने से जल्दी लाभ होता है।
  • एक चम्मच गेरू पिसा हुआ, एक चम्मच हल्दी और एक चम्मच चीनी इन सबको सूजी में मिलाकर हलवा बना लें और खायें। इससे पित्ती खत्म हो जाती है।
  • गेरू के पुए खाने से रोग दूर हो जाता है।
  • चिरौंजी की 50 ग्राम गिरी खाने से शीत पित्त में जल्दी आराम आता है।
  • चिरौंजी और गेरू को सरसों के तेल में पीसकर मलने से पित्ती शान्त हो जाती है।
  • आंवले के थोड़े से पत्ते और नीम की 4-5 कलियों को घी में तलकर 4-5 दिनों तक सुबह के समय खाने से शीत पित्त का रोग हमेशा के लिए ठीक हो जाता है।
  • आंवले के चूर्ण को गुड़ में मिलाकर खाने से लाभ मिलता है। चूर्ण और गुड़ की मात्रा 1 चम्मच और 5 ग्राम होनी चाहिए।
  • शरीर पर चंदन का तेल मलने से पित्ती चली जाती है।
  • मूली के जूस का प्रयोग शीतपित्त और प्रवाहिका में सेवन करें।
  • सुबह या रात में ओस में रखे हुए पके सीताफल के सेवन से पित्त की जलन समाप्त हो जाती है।
  • बेल का मुरब्बा खाने से पित्त का अतिसार मिटता है। पेट के सभी रोगों में बेल का मुरब्बा खाने से लाभ मिलता है।
  • एक नींबू के रस में 5 ग्राम मिश्री मिलाकर सेवन करने से पित्त शान्त होती है।
  • गुलाब के रस में थोड़ा सा चंदन का तेल मिलाकर मालिश करने से शीतपित्त में बहुत लाभ होता है।
  • 25 मिलीलीटर गुलाबजल में 25 मिलीलीटर सिरका मिलाकर शरीर पर लगाने से शीतपित्त में बहुत ही लाभ होता है।
  • चौथाई कप गुलाबजल में एक बूंद चंदन के तेल को मिलाकर बदन पर लगाने से पित्ती ठीक हो जाती है। पित्ती उछलने पर गुलाबजल में चंदन का पाउडर मिलाकर लेप करने से आराम मिलता है।
  • पित्त विकृत होने पर 2 से 4 चम्मच अरण्डी के तेल का सेवन करें। इससे पेट साफ हो जाता है। फिर यह प्रयोग करें- 10 ग्राम छोटी इलायची, 10 ग्राम दालचीनी, 10 ग्राम पीपल तीनों को लेकर बारीक पीस लें। फिर इसमें 25 ग्राम मिश्री मिलाकर पीस लें। इसे आधा चम्मच मक्खन के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से पित्त विकृत में लाभ मिलता है।
  • मेथी के दाने, कालीमिर्च और हल्दी। तीनों को 1-1 चम्मच की मात्रा में लेकर बारीक पीस लें। फिर थोडे़-से अदरक के रस में मिलाकर चने के बराबर की गोलियां बनाकर 1-1 गोली सुबह-शाम पानी से खाने से लाभ होता है।
  • पिसी हुई सौंठ और गेरू, दोनों 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर शहद के साथ 7-8 दिन तक खाने से पित्त का उछलना बन्द हो जाता है।
  • दूब और हल्दी दोनों को एक साथ पीसकर लेप करने से शीतपित्त जल्दी ही खत्म हो जाती है।
  • पित्त की बीमारी को दूर करने के लिये गर्मी के मौसम में दोपहर को शहतूत खाने से लाभ होता है।
  • पुरानी पित्ती में जायफल के तेल में जैतून का तेल मिलाकर मालिश करने से लाभ होता है।
  • पान खाने वाले 3 पान (नागरबेल) और 1 चम्मच फिटकरी को पानी में डालकर, पीसकर, पित्ती (गर्मी के कारण शरीर में निकलने वाले चकत्ते) निकलती हुई जगह मालिश करने से पित्ती रोग ठीक हो जाता है।
  • केसर 6 ग्राम, शहद 25 ग्राम रोगी को सुबह-शाम पित्ती की बीमारी में सेवन करायें।
  • 1 चम्मच शहद और 1 चम्मच त्रिफला मिलाकर सुबह-शाम खाने से भी लाभ होता है।
  • जीरे को पानी में उबालकर नहाने से बदन की खुजली और पित्ती मिट जाती है।
  • जीरा, धनिया और सोंठ को 5-5 ग्राम मात्रा में लेकर पानी में उबालकर काढ़ा बना लें और इस काढे़ को पीने से शीत पित्त जल्दी ही खत्म होता है।
  • स्नान करते समय पानी में 2 चम्मच जीरे का अर्क (रस) या एक नींबू निचोड़कर नहाना चाहिए।
  • चने से बने मोतिया लड्डुओं पर कालीमिर्च डालकर खायें तो पित्ती ठीक हो जाती है।
  • अजवायन 50 ग्राम अच्छी तरह कूटकर 50 ग्राम गुड़ के साथ 6-6 ग्राम की गोलियां बनाकर सुबह शाम 1-1 गोली ताजे पानी के साथ 7 दिनों में ही सारे शरीर पर फैली हुई पित्ती दूर हो जायेगी।
  • पित्ती होने पर 1 चम्मच अजवाइन और सेंधानमक मिलाकर सुबह खाली पेट पानी से फंकी लेने से फायदा होता है।
  • एक चम्मच अजवायन, 2 गुने गुड़ को दो कप पानी में उबालकर पीने से पित्ती में लाभ होता है।
  • अजवायन एक ग्राम और गुड़ 3 ग्राम मिलाकर खाने से पित्ती दूर हो जाती है।
  • अजवायन और गेरू मिलाकर गुड़ के साथ खाने से लाभ होता है।
  • अजवायन और शुद्ध गंधक को बराबर मात्रा में मिलाकर, कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर 1 ग्राम मात्रा में शहद के साथ खाने से शीतपित्त खत्म होता है।
  • अजवायन और गेरू को सिरके में पीसकर लगाने से पित्ती ठीक हो जाती है।
  • अजवायन 5 ग्राम, पिपरमेंट 10 दाने और गुड़ 10 ग्राम। तीनों को मिलाकर दो खुराक बनायें। सुबह-शाम इसका प्रयोग करने से खूनी पित्त समाप्त हो जाती है।
  • अजवायन, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, जवाखार। इन सब चीजों को आधा-आधा चम्मच की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें इसमें से 2 चुटकी चूर्ण रोज गर्म पानी के साथ खायें।
  • पोदीना 7 ग्राम और 20 ग्राम गुड़ को पानी के 100 मिलीलीटर पानी में उबालकर पीने से बार-बार पित्ती निकलना ठीक हो जाती है।
  • पोदीने को पानी के साथ काढ़ा बनाकर थोड़ा-सा गुड़ मिलाकर खाने से पित्त में बहुत ही लाभ होता है।
  • प्याज के रस और सरसों के तेल को बराबर मिलाकर लगाने से शीतपित्त खत्म होती है।
  • पित्ती दोष में प्याज खाने से लाभ होता है।
  • सिरका और गुलाब का रस 100 मिलीलीटर मिलाकर पित्ती पर लगायें।
  • अलसी के तेल में कपूर डालकर किसी शीशी में मिलाकर इस तेल से मालिश करने से पित्त में जल्दी ही आराम आता है।
  • पित्ती या चकत्तों के निकलने पर देशी घी और सेंधानमक को मिलाकर मालिश करें फिर कम्बल ओढकर पसीने से अपने आप को भीगने दें। इससे पित्ती मिट जायेगी।
  • घी में सेंधानमक को मिलाकर मालिश करने से पित्ती ठीक हो जाती है।
  • कड़वे जीरा का चूर्ण गुड़ के साथ खाने से बहुत ही लाभ होता है।
  • पिसी हुई हल्दी एक चम्मच, गेहूं का आटा 2 चम्मच, घी एक चम्मच, चीनी 2 चम्मच और आधा कप पानी डालकर हलुआ बनाकर रखें। इसे ठंड़ा होने पर सुबह रोज खायें, ऊपर से एक गिलास दूध पीने से लाभ होगा। इससे शीतपित्त में लाभ होगा।
  • आधा चम्मच हल्दी और एक चम्मच मिश्री या शहद मिलाकर दो बार रोज लें। इससे पित्ती निकलना बन्द हो जायेगी।
  • हल्दी, सरसो, पवांड़ के बीज और तिल। इन सबकी मात्रा बराबर 5-5 ग्राम लेकर कडुवे तेल में मिला लें। इस तेल की शरीर पर मालिश करने से लाभ होता है।
  • हल्दी का चूर्ण 1 से 2 ग्राम रोज गाय के मूत्र के साथ या हरिद्राखाण्ड 10 ग्राम रोज कुछ दिन तक खाने से शीतपित्त ठीक हो जाती है।
  • कपूर को नारियल के तेल में मिलाकर लगाने से शीत-पित्त में लाभ होता है।
  • कपूर को नीम के तेल में मिलाकर शीत पित्त के चकतों पर लगाने से या मालिश करने से बहुत ही लाभ होता है।
  • करेले को सब्जी के रूप में खाने से लाभ होता है और उसके पत्तों को पीसकर लेप करने से भी फायदा होता है।
  • 4 लौंग को पीसकर पानी में घोलकर पिलाने से तेज बुखार और पित्त ज्वर कम होता है।
  • अदरक का रस 5 मिलीलीटर को चाटने से शीतपित्त ठीक होती है।
  • नारियल या तिल्ली के तेल में थोड़ा-सा कपूर मिलाकर शरीर पर मालिश करें। इससे हर प्रकार की पित्ती खत्म हो जाती है।
  • चीकू को रात्री भर मक्खन में भिगोकर सुबह के समय खाने से पित्त प्रकोप शान्त होता है तथा यह ज्वर में भी लाभकारी होता है।
  • रात के समय लगभग 1 किलो इमली लेकर एक कलई के बर्तन में 2 लीटर पानी डालकर भिगों दें। रात भर भीगी रहने दें। दूसरे दिन पानी सहित बर्तन को चूल्हे पर चढ़ा दें। इसके अच्छी तरह उबल जाने पर उसे छानकर उसमें 2 किलो चीनी डाले और एक तार छूटने तक पकाये। एक तारी हो जाने पर उतार कर ठंड़ा कर ले और हर बार 10-10 ग्राम के प्रमाण से पित्त शान्त होने तक दें। इससे उल्टी भी बन्द हो जाती है। इसे इमली का शर्बत कहा जाता है।
  • पित्त के रोग में पके केले और घी खाने से पित्त रोग मिटता है।
  • केले के पेड़ का रस 20 से 40 मिलीलीटर सुबह-शाम खाने से शीतपित्त में लाभ होता है।
  • नीम के पत्तों के रस को पानी में मिलाकर पीने से उल्टी होकर पित्त निकल जाती है।
  • नीम के हरे पत्तों को साफ करके तब तक खाते रहें जब तक कि पत्ते कड़वे नहीं लगने शुरू हो जाते हैं।
  • नीम के बीजों की गिरी सरसों के तेल में जलाकर उस तेल की मालिश करें।
  • नीम की नई कोमल पत्तियों को आंवलों के साथ पीसकर घी के साथ खाने से शीतपित्त की बीमारी खत्म होती है।
  • नीम की छाल का काढ़ा पिलाने से शीतपित्त, क्षत कण्डू (घाव की खुजली), विस्फोट (चेचक) और रक्तपित्त (खूनी पित्त) समाप्त होती है।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. हमारी ये पोस्ट इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.

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