सूजन का बुखार का परिचय ओर उपचार
परिचय :
सूजन यदि पुरुष के पैरों से शुरू होकर ऊपर को बढ़े तो इसे सूजन का बुखार कहते हैं। इसी प्रकार स्त्री की सूजन मुंह के शुरू होकर पैरों में उतरे तो यह असाध्य (बिगड़ा) हुआ बुखार हो जाता हैं। सूजन वाले बुखार में रोगी के पूरे शरीर का खून पानी हो जाता है, उसके पूरे शरीर में पीड़ा होती और उसकी भूख नष्ट हो जाती है। रोगी के पेट में जलन तथा मल के निकास में रुकावट हो जाती है।
लक्षण :
वायु और कफ के प्रकोप से मन्दाग्नि होकर अन्न का कच्चा रस आमाशय में पहुंचकर आंव, अरूचि (इच्छा न करना), शरीर में पीड़ा, पेट में जलन और प्यास उत्पन्न करता है। रोगी की शौचक्रिया बन्द हो जाती है, शरीर पीला होकर सूजन होने लगती है, इसी को सूजन भी कहते हैं।
उपचार :
- दशमूल और सोंठ का काढ़ा बनाकर पीने से सूजन वाले बुखार में लाभ होता है।
- दशमूल की दसों औषधियों को 25-25 ग्राम लेकर काढ़ा बना लें। चौथाई पानी शेष रहने पर इसे पानी में ही मलकर छान लें। फिर उसमें थोड़ा शहद मिलाकर रोजाना सुबह-सुबह पीने से सूजन के बुखार, प्रसूति बुखार, सन्निपात ज्वर और अनेक प्रकार के बुखारों में लाभ होता है।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी ओर सूचनाएँ सामान्य मान्यता ऊपर आधारित है हमारी पोस्ट इसकी पुष्टी नहीं करता है
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