अन्ननली का प्रदाह
अन्ननली का प्रदाह
(INFLAMMATION OF ALIMAENTARY CANAL)
परिचय :
मनुष्य के मुंह से लेकर गुदामार्ग तक जाने वाली नली को अन्ननली कहते हैं। यह अनाज को प्रवेश करवाती है और गुदा मार्ग से उसे मल (ट्टटी) के रूप में बाहर निकाल देती है। जब इस आहार नली में जलन होने लगती हैं तो उसे अन्न नली की जलन कहते हैं।
उपचार :
- पान के पत्ते पर तेल लगाकर गर्म करके छाती पर बांधने से सांस की नली की सूजन और यकृत (जिगर) के दर्द में लाभ होता है।
- ताड़ के पेड़ के नये पुष्पित भाग की राख तीन से छ: ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से अम्लपित्त से होने वाली अन्ननली की जलन मिट जाती है।
- ऐसी अवस्था में खाना खाने के पहले कोई तरल पदार्थ दूध या पानी का घूंट लेना चाहिए।
- केले का रस 20 से लेकर 40 मिलीलीटर तक सुबह-शाम कालीमिर्च के साथ देने से लाभ होता है।
- हरड़ का चूर्ण 3 से 6 ग्राम, मिश्री मिलाकर दूध के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
- कुलिंजन के टुकड़े लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम तक रोजाना सुबह, दोपहर चूसने से गले की जलन में लाभ होता है।
- गुरूच का सत्व लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग तक सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करने से जलन मिटती है।
- नागकेसर (पीले नागकेसर) की जड़ और छाल को मिलाकर पीसकर काढ़ा बना लें। इसे रोजाना 1 दिन में 2 से 3 बार खुराक के रूप में सेवन करें। इससे आमाशय की जलन (गेस्ट्रिक) में लाभ होता है।
- सागौन (सागोन) की लकड़ी या छाल का चूर्ण 3 से 12 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।
- मुलेठी (जेठी मधु) का चूर्ण एक से चार ग्राम तक दूध या देशी घी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से आमाशय की अम्लता दूर होकर जलन मिटती है।
- गुग्गुल लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लेकर लगभग 1 ग्राम तक गुड़ के साथ सेवन करने से आहार नली की जलन शांत होती है।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. हमारी ये पोस्ट इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.
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