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1/27/2022

जांघ का सुन्न हो जाना

   
                           
   

जांघ का सुन्न हो जाना



परिचय : 

इस रोग के कारण जांघें सुन्न तथा संज्ञाहीन हो जाती हैं। इस रोग को उरूस्तम्भ कहते हैं।

कारण : 

ठंडे, गर्म, खुश्क, भारी तथा पतले पदार्थों को खाने से, रात को जागने व दिन में सोने से, अधिक परिश्रम करने से, शोक, भय, अजीर्ण आदि कारणों से कफ तथा वायु दूषित होकर पित्त को उत्पन्न करता है जो जांघों में प्रवेश करके जांघों की हड्डियों को गीले कफ से भर देता है जिसके कारण जांघें सुन्न हो जाती हैं।

लक्षण : 

इस रोग में रोगी की दोनों जांघों में अकड़न आ जाती है तथा जांघ अधिक भरी एवं सूजी हुई दिखाई देने लगती है। रोगी को हिलने-डुलने व चलने में दर्द होता है। इस रोग में रोगी के पैरों की पिंडलियों तथा जांघें पसीने से भीग जाते हैं जिससे पैरों को रखने तथा उठाने में अधिक दर्द होता है।

भोजन तथा परहेज : 

इस रोग में रोगी को बासमती चावल, कबतूर तथा मुर्गे का मांस का सूप, लहसुन, परवल, करेला, बैंगन, अदरक, मूंग, मसूर, चने की दाल को थोडें से घी और मट्ठे (लस्सी) के साथ सेवन करना चाहिए। रात के समय में पूड़ी अथवा साग-सब्जी, रोटी, सूजी-घी तथा चीनी से बना हुआ हलवा, खजूर, किशमिश तथा कफ को दूर करने वाले होते हैं। इसके अलावा लाल चावल, बैंगन, बथुआ, तिल के पदार्थ, शहद, गाय का पेशाब आदि से जांघ सुन्न होने के रोगी के लिए लाभकारी है।

इस रोग में उड़द, गुड़, मछली, दही, अधिक भोजन, रात को अधिक जागना, ज्यादा घूमना, देर में पचने वाला भोजन, गर्म व कफ को बढ़ाने वाले भोजन का सेवन, चिकने, पतले, शीतल पदार्थो का सेवन नहीं करना चाहिए।

उपचार :

  • छोटी पीपल, मोथा, त्रिफला, चव्य और कुटकी को बराबर मात्रा में लेकर और अच्छी तरह से पीसकर छानकर बारीक चूर्ण बना लें। इस 6 ग्राम चूर्ण को शहद के साथ चाटने से जांघ का सुन्नपन दूर हो जाता है।
  • धतूरे के पत्तें के साथ सरसों के चूर्ण को पीसकर लेप करने से जांघों का सुन्न होना दूर हो जाता है।
  • सोंठ और अगर को बराबर मात्रा में लेकर उसका काढ़ा बनाकर पीने से जांघों का सुन्न होना दूर हो जाता है तथा शरीर के अन्य अंगों का सुन्न होना भी दूर हो जाता है।
  • कसूम्बा के तेल से जांघ की मालिश करने से जांघ के सुन्न होने का रोग ठीक हो जाता है।
  • कसूम्बा के तेल की मालिश करने से जांघ का सुन्न होना दूर हो जाता है। इसको पानी में पीसकर लेप करने से खून का दौरा तेज हो जाता है।
  • निर्गुण्डी के पत्तों का काढ़ा बनाकर उसमें पीपल का चूर्ण डालकर पीने से जांघों की सुन्नता एवं हड्डियों में कफ का जमाव खत्म हो जाता है।
  • असगंध, आक की जड़, पोस्त के डोडे, लहसुन, कालीमिर्च, कालामिर्च, काला जीरा, सहजना की छाल, जयन्ती के पत्तें तथा सरसों को गाय के पेशाब में पीसकर और गर्म करके जांघों पर लेप करने से जांघों के सुन्न होने के रोग में लाभ होता है।
  • 10-15 मिलीलीटर मालकांगनी के तेल का सेवन करने से शरीर की सुन्नता दूर हो जाती है और हड्डियों में जमा कफ तथा पीब समाप्त हो जाती है।
  • असगंध तथा देवदारू को गाय के पेशाब में अच्छी तरह से पीसकर लेप करने से जांघों का सुन्न होना दूर हो जाता है।
  • हरड़ और शुद्ध गूलर को खाने के बाद ऊपर से गाय के पेशाब को पीने से जांघों की सूजन व दर्द खत्म हो जाता है।
  • अमलतास के पत्तों को बांधने से जांघ का सुन्न होना दूर हो जाता है। इससे शरीर के दूसरे अंग का सुन्न होना भी दूर हो जाता है।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. हमारी ये पोस्ट इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.

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