पिलुआ वाले महावीर
पवनपुत्र बंजरगबली के चमत्कारों के किस्से दुनिया भर मे मशहूर हैं, लेकिन महाभारत कालीन सभ्यता से जुडे़ उत्तर प्रदेश मे इटावा के बीहड़ों में स्थित पिलुआ महावीर मंदिर की हनुमान मूर्ति सैकड़ों सालों से उनके जिंदा होने का एहसास कराती नजर आ रही है.
मंदिर के पुजारी ने बताया कि ये हनुमान द्वापर युग से है। महाभारत के एक प्रसंग को बताते हुए उन्होंने कहा कि प्रतापनेर नगर के राजा हुकुमदेव सिंह को तुलसीदास ने इस मूर्ति के बारे में बताया था तब इसे निकाला गया। राजा हुकुमदेव इस मूर्ति को अपने नगर ले जाना चाहते थे, लेकिन हनुमान जी जाने को तैयार नहीं थे। हनुमान जी ने राजा को स्वपन में कहा कि अगर मुझे यहां से ले जाना चाहते हो तो मेरा पेट भर दो। राजा अभिमान में आकर हनुमान जी को दूध पिलाने लगे, लेकिन पूरे नगर का दूध मंगवाकर भी वो उनका मुखारविंद भर नहीं पाए।
तब रानी ने क्षमा मांगते हुए श्रद्धा से एक छोटे से लोटे में दूध भरकर हनुमान जी को पिलाया जिनसे उनका मुखारविंद भरकर तृप्त हो गया। पुजारी ने बताया कि पिलुआ वाले महावीर के नाम से इस मंदिर को जो प्रसिद्धी मिली उसके बारे में लोग ज्यादा नहीं जानते पिलुआ एक जंगली पेड़ होता है, जिसकी जड़ के नीचे हनुमान जी दबे हुए थे। राजा ने उन्हें निकलवाया था और वहां एक छोटा सा मंदिर बनवा दिया था। तब से इनका नाम पिलुआ वाले महावीर पड़ गया। पिलुआ वाले महावीर की सबसे बड़ी रहस्यमयी बात उनका मुखारविंद है।हनुमान जी की इस प्रतिमा के मुख में हर वक्त पानी भरा रहता है. कितना भी प्रसाद मुंह में डालो पूरा प्रसाद मुंह में समा जाता है. इनके मुखारविंद में प्रसाद स्वरूप जो भी लडू डाला जाता है वो सीधा उनके अंदर जाता है। वर्षों से ये क्रम ऐसे ही चलता आ रहा है। किसी को नहीं पता इनको चढ़ाया जाने वाला कुन्टलों प्रसाद आखिर जाता कहां है।
प्रत्येक मंगलवार एवं शनिवार को यहां श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है और बुढ़बा मंगल को यहाँ लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और दर्शन मात्र से भाव विभोर हो जाते है दुनिया का शायद ये पहला ऐसा मंदिर होगा जहा हनुमान जी जीवित अवस्था में दिखाई देते हैं। इस बात की गवाही उनका मुखारविंद स्वयं देता है और साथ ही मुखारविंद से राम नाम की मधुर ध्वनि सुनाई देती है।
भक्तों का दावा
इसको चमत्कार नहीं तो और क्या कहा जायेगा. हनुमान भक्तो का यह भी दावा है कि हनुमान जी इस मंदिर में जीवित अवस्था में हैं. तभी एकांत में सुनने पर प्रतिमा से सांसें चलने की आवाज सुनाई देती है. बताया जाता है कि हनुमान जी के मुख से राम नाम की ध्वनि भी सुनाई देती है. बजरंगबली के ऐसे चमत्कारों के बारे में सुनकर एवं देखकर लोगों का विश्वास उनमें और भी ज्यादा बढ़ जाता है. मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी बजरंगबली के दर्शन करता है, उसके जीवन में कभी कष्ट नहीं आते हैं. हनुमान जी की मूूर्ति इतनी प्रभावशाली है कि इनकी आंखों में देखते ही लोगों की परेशानियां हल हो जाती हैं. इन्हें लगाया जाने वाला कई गुणा भोग भी इनके उदर को नहीं भर पाता है. यमुना नदी के किनारे बसे महाभारत कालीन सभ्यता से जुड़े यहां के बीहड में बंजरगबली के मंदिर मे हनुमान जी की एक ऐसी मूर्ति स्थापित है, जिसके चमत्कार के आगे हर कोई नतमस्तक है.
यह चमत्कारिक मंदिर चैहान वंश के अंतिम राजा हुक्म देव प्रताप की रियासत में बनाया गया. यहां पर महाबली हनुमान की प्रतिमा लेटी हुई है और लोगों की मानें तो ये मूर्ति सांस भी लेती है और भक्तों के प्रसाद भी खाती है.यहां की सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर में महाबली हनुमान जी की प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठित नहीं है.
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