कर्पाचार्य और द्रोणाचार्य की हार ( विराट युद्ध भाग 9 )
👉जैसे कर्ण अर्जुन, दुर्योधन आदि से हारा था। अर्जुन की ओर आगे बढ़े वीर।
👉दुर्योधन और अन्य वीरों ने अर्जुन पर सेना के बीच होने पर बाण चलाने शुरू कर दिए।
👉बाण वर्षा के बाद से अर्जुन सेना को विघटित करने लगा। अर्जुन के बाण सैनिकों के शरीर के पार हो जाते थे। कौरव सेना को लगा कि महाकाल अर्जुन का रूप लेकर युद्ध कर रहे हैं।
👉कौरव सेना का विभाजन करने वाला अर्जुन कृपाचार्य और द्रोणाचार्य की ओर बढ़ गया।
👉अर्जुन के कहने के बाद उत्तर ने कृपाचार्य के रथ को अनदेखा कर दिया और रथ के सामने खड़ा रख दिया।
👉अर्जुन ने कृपाचार्य के सामने खड़े होकर कृपाचार्य को हराया था, कृपाचार्य भी शक्तिशाली थे वो भी युद्ध के लिए सजग हो गए थे।
👉अर्जुन के शंख से क्रोधित होकर किन्दाचार्य ने अर्जुन को दस बाणों से भेद दिया।
👉इसी तरफ अर्जुन ने भी कृपाचार्य पर बाण छोड़े लेकिन कृपाचार्य ने अर्जुन के बाण आकाश में ही काट दिए।
👉अर्जुन ने अद्भुत कौशल का परिचय देते हुए कृपाचार्य को बाणों से ढक दिया।
अर्जुन के बाणों से कृपाचार्य घायल हो गए, घायल कर्पाचार्य क्रोधित होकर उनके सामने ही बाण चलाने लगे।
👉अर्जुन ने बाणों के बीच में कर्पाचार्य को उनके बाणों से रथ से नीचे फेंका।
👉कुलगुरु को रथ से गिरते देख अर्जुन ने कृपाचार्य पर वार नहीं किया
👉कृपाचार्य फिर रथ पर सवार होकर अर्जुन पर बाण बरसाने लगे।
👉 युद्ध करते हुए अर्जुन ने कृपाचार्य के धनुष को काटकर कवच के टुकड़े कर दिए।
👉अर्जुन ने कृपाचार्य का कवच इतनी कुशलता से तोड़ा कि कृपाचार्य का शरीर बाण से घायल न हो।
👉कृपाचार्य ने धनुष तो धारण किया लेकिन अर्जुन ने उस धनुष के टुकड़े कर दिए। इस प्रकार अर्जुन ने अपनी प्रेरणा से कृपाचार्य के अनेक धनुष काट दिए।
👉अब धनुष उठाने की इच्छा न करते हुए आग जैसी प्रकाश शक्ति से कृपापूर्ण प्रहार करता है।
👉कृपाचार्य द्वारा छोड़े गए शक्ति के अर्जुन के आकाश में कई टुकड़े हो गए।
👉इस समय के बाद फिर कराचार्य धनुष धारण कर अर्जुन को दस बाण मारते हैं।
👉कृपाचार्य के बाण से घायल अर्जुन क्रोधित होकर कृपाचार्य के रथ को नष्ट कर देता है और कृपाचार्य की छाती पर तेज बाण लगता है।
👉रहित कृपाचार्य गदा उठाकर अर्जुन की ओर फेंकते हैं परन्तु अर्जुन बाणों से वापस गिरकर कराचार्य के चरणों में गिरते हैं।
👉कृपाचार्य को संकट में देखकर कौरव सैनिक अर्जुन को बाण और भाला से मारने लगे और कृपाचार्य को रथ पर बिठाकर अर्जुन से दूर ले गए।
👉कृपाचार्य को हराकर अर्जुन द्रोणाचार्य की ओर आगे बढ़ा।
👉द्रोणाचार्य के रथ का शोषण करके अर्जुन बोले।
"गुरुदेव, दुश्मनों से बदला लेने के लिए हम भाइयों ने बहुत कष्ट उठाया है।" गुरु सर्वोत्तम, हम पर क्रोध करना उचित नहीं है। "
मैं दृढ़ संकल्पित हूँ कि जब तक आप मुझ पर हमला नहीं करेंगे, तब तक मैं आप पर हमला नहीं करूँगा, इसलिए आप पहले तीर छोड़ दें। "
👉यह सुनकर अयर्या ने बिना देर किए अर्जुन पर इक्कीस बाण छोड़े लेकिन अर्जुन ने कुशलता से उन बाणों को आकाश में ही काट डाला।
👉 आचार्य द्रोण और अर्जुन के बीच घमासान युद्ध शुरू। दोनों नायकों ने लगातार एक दूसरे पर तीर दिखाना शुरू कर दिया। दोनों ही कुशल योद्धा और दिव्य अस्त्र-शस्त्र के ज्ञाता थे।
👉 आचार्य ने अर्जुन पर एक साथ सैकड़ों बाण चलाए लेकिन अर्जुन ने कुशलता से आचार्य को बीच में रखकर छेद किया।
👉द्रोणाचार्य और अर्जुन का युद्ध देखकर हर योद्धा दंग रह गया।
कौन गुरु कौन चेला कहना मुश्किल था
👉 द्रोणाचार्य ने अर्जुन को एक साथ बाण चलाकर घायल कर दिया।
घायल अर्जुन पर आचार्य ने फिर बाण सेट छोड़ा लेकिन अर्जुन ने कुशलता से बाण सेट को विफल कर दिया।
👉अब अर्जुन ने रथ को अलग-अलग दिशाओं में मोड़ते हुए बाणों की वर्षा शुरू की तो गुरु द्रोणाचार्य के कई बाण विफल हो गए और अर्जुन के बाणों से द्रोणाचार्य का रथ क्षतिग्रस्त हो गया।
👉गुरु-शिष्य का युद्ध ले रहा था भयानक रूप, विपरीत हथियारों से दोनों एक दूसरे के हथियार काटकर असफल होने लगे।
भयंकर युद्ध में गुरु द्रोणाचार्य अर्जुन की भावना और तेज सहन न कर सके।
👉अंत में कुपित द्रोणाचार्य ने दिव्यास्त्रों से समझौता किया लेकिन अर्जुन ने आचार्य के आंद्र, वायव्य और आग्नेयास्त्रों को काट डाला।
👉अर्जुन ने बृहस्पति पर बाण बरसाकर अपने गुरु को घायल कर दिया और आचार्य के अंगरक्षकों और सेना दल को मार डाला।
👉युद्धभूमि में अर्जुन से अपने पिता को थका देख अश्वत्थामा ने अर्जुन को चारों तरफ से घेर लिया।
👉 अश्वत्थामा में घायल हुए आचार्य द्रोण युद्धभूमि से निकलते हैं।
👉सामने वाले भाग में और अधिक
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts,please let me know