खोखला वाला ( एक बार जरूर पढ़ें और सुनें )
एक शहर में बादशाह ने हुक्म दिया कि इस शहर का कोई आदमी कभी खोखा ना खाए। खोखला खाना इंसान का काम और हमारे शहर में इंसान अकेला बादशाह है अगर कोई और झूठा खायेगा तो सोने का गिनी जुर्माना भरना पड़ेगा।
शहर में सबने खोखर खाना छोड़ दिया लेकिन एक आदमी बोला खोखर खाना इंसान का जन्मसिद्ध अधिकार है मैं खोखा खाऊंगा। वह आदमी रोज राजमहल के पास से गुजरता है, एक खोखा खाता है और गिनी जुर्माना भरकर आगे बढ़ता है।
दो-तीन साल बीत गए। एक बार वह आदमी बिना लग खाये चुपचाप चलने लगा। किसी ने पूछा, 'भाई, क्या हुआ? पैसा गया या मर्दानगी गई? आज तुम्हारा खोखला शांत क्यों हो गया? '
उस आदमी ने कहा, 'आज मेरे घर बेटी पैदा हुई है। हमारे समाज में एक बेटी के बाप को मर्दानगी दिखाना अच्छा नहीं है। दुनिया के त्योहारों में बेटी के पिता को खोखा नहीं, मौन खाना पड़ता है। पैसा नहीं है मेरे पास या मर्दानगी कम नहीं हुई पर बेटी के बाप अच्छे नहीं लगते शरीफ अच्छे लगते हैं
मेरे घर बेटी ने जन्म लेकर मेरी खुमारी के सर पर शरीफों का ताज रखा है। '
भगवान शंकर, राम और कृष्ण को भी पुत्री का पिता होने का सौभाग्य नहीं मिला। शायद इसीलिए उन्हें त्रिशूल, धनुष्य और सुदर्शन चक्र जैसे अस्त्र-शस्त्र हाथ में लेने पड़े।
हथियार भी शक्ति है। शक्ति स्त्रीलिंग है। जिनके पास बेटी की ताकत नहीं है उन्हें हथियार लेकर दौड़ना पड़ता है। भगवान महावीर की एक पुत्री थी।
इसका नाम प्रियदर्शना है। महावीर ने हथियार हाथ में नहीं लिया था। उसने दुनिया को करुणा का शास्त्र दिया। दुनिया को शस्त्र की जरूरत है या शास्त्र की।
जहाँ बेटी होती है वहाँ शस्त्रों का वज्र टल जाता है...
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