हजारेश्वर महादेव मंदिर ( डूंगरपुर राजस्थान )
हजारों शिवलिंग का मंदिर हजारेश्वर महादेव
प्रभु शिव का एक अत्यंत दुर्लभ, अद्भुत अद्वितीय व चमत्कारी मंदिर
उदय विलास महल से आगे मुख्य मार्ग पर हजारेश्वर महादेव मंदिर है। मंदिर स्थापत्य शिल्प कला का उत्कृष्ट नमूना है। यहां पर एक दो नहीं कई सैकडों में शिवलिंग स्थापित किए गए है। जिसके कारण इस हजारेश्वर महादेव मंदिर कहा गया।
उदयविलास पैलेस के अन्तर्गत देखरेख होने के कारण मंदिर की साफ-सफाई, गार्डन और मंदिरों में सुंदरता बरकरार है। शहर से कुछ दूरी पर होने के कारण यहां पर भीड़ कम रहती है। मंदिर के एक ओर गेपसागर झील, दूसरी ओर सुंदर वन की हरियाली है। शहर के ट्रेफिक और शोरगुल से दूर शांत और सुंदर वातावरण में मंदिर बना हुआ है।
मंदिर का स्वरूप
मंदिर प्रवेश के बाद सभा मंडप में बाएं और दांयीं ओर भैरवजी और गणेश जी की प्रतिमा विराजमान है। वहीं कमल पर आसीन ब्रह्माजी की छोटी प्रतिमा भी यहां प्रतिष्ठापित हैं। सभा मंडप में भगवान विष्णु एवं लक्ष्मीजी भी विराजमान है। इसके साथ ही कलात्मक गरुढ़ारुढ प्रतिमा है। इसी प्रतिमा के नीचे की ओर दाएं कृष्ण व बाएं एक अन्य छोटी प्रतिमा गुदी हुई है। सभा मंडप में मुख्य चौकी पर मुख्य शिवलिंग के चारों ओर 108 छोट-छोटे शिवलिंग है। बीच में पांच शिवलिंग स्थापित है। उसी के पास एक अन्य छोटी चौकी पर मुख्य शिवलिंग सहित 35 छोटे-छोटे शिवलिंग है। चारों ओर चार स्तंभों पर अलग-अलग चार शिवलिंग है। बीच में एक स्तंभ पर 11 शिवलिंग है। सभा मंडप में छोटे-बड़े तीन नंदी देव विराजमान है। सभा मंडप के अंदर स्तंभों पर छह-छह कलात्मक शिल्प प्रतिमाएं है। शिवालय के गर्भग्रह में एक विशाल शिवलिंग स्थापित है। इसके ठीक सामने पार्वती, कार्तिक स्वामी और भगवान गणेश रिद्धी-सिद्धी के साथ विराजमान है। शिखर पारेवा पत्थर से निर्मित है। शिवालय के बाहरी ओर के उत्तरी हिस्से में भगवान विष्णु, पूर्व में कार्तिक स्वामि और पश्चिम में ब्रह्माजी की कलात्मक प्रतिमाएं है। इस मंदिर के बाहर भगवान श्रीराम का मंदिर बना हुआ है। इसी मंदिर के सामने भगवान हनुमानजी का मंदिर बना हुआ। पूरे परिसर आकर्षक गार्डन बना हुआ है। गार्डन से गेपसागर का कुछ अंश दिखाई देता है। पूर्व की ओर से रियासतकालीन दरवाजा और भगवान गणेश का दूसरा मंदिर है। वहीं पश्चिम में उदयविलास पैलेस है। उत्तर में गेपसागर झील और दक्षिण में वन बना हुआ है। श्रावण माह में रिमझिम बारिश के साथ शांत वातावरण मिलता है।
विक्रम संवत 1836 में हुआ था निर्माण
इतिहासकार ओझा की किताब के अनुसार शिवालय का निर्माण महाराजा शिवसिंह की रानी फुलकुंवर ने माघ शुक्ल 1836 में कराया था। पहले यहां पर मुख्य शिवलिंग की स्थापना की गई थी। बाद में छोटे-छोटे शिवलिंग स्थापित कर संख्या बढ़ गई। जिसके बाद इसका नाम हजारेश्वर महादेव मंदिर रखा गया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts,please let me know