विघ्नेश्वर मन्दिर ( ओझर महाराष्ट्र )
विग्नेश्वर मंदिर / विघ्नहर गणपति मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है। यह मंदिर भारत के महाराष्ट्र में बने भगवान गणेश के अष्टविनायको में से एक है। यहाँ भगवान गणेश के विघ्नेश्वर रूप की पूजा की जाती है।
पेशवा बाजीराव प्रथम के भाई और सेनापति चिमाजी अप्पा ने मंदिर की अवस्था में सुधार किया और पुर्तगालीयो से वसई किले को जीतने के बाद मंदिर के शिखर को स्वर्ण से सजाया था।
1967 में भगवान गणेश के भक्त अप्पा शास्त्री जोशी ने भी मंदिर की अवस्था में सुधार किया ।
धार्मिक महत्त्व
भगवान गणेश के अष्टविनायको में ओझर का गणेश मंदिर सांतवे स्थान पर आता है, कई बार श्रद्धालु पांचवे स्थान पर ही इस मंदिर के दर्शन कर के लिए आते है।
मुद्गल पुराण, स्कंद पुराण और तमिल विनायक पुराण के अनुसार : राजा अभिनन्दन ने एक बलिदान दिया, जिसमे उन्होंने देवराज इंद्र को कुछ भी प्रस्तुत नही किया। व्यथित होकर इंद्र ने काल (समय/मृत्यु) को उनके बलिदान को ख़त्म करने का आदेश दे दिया।
इसके बाद काल ने असुर विघ्नसुर का रूप लिया, जो बलिदान की प्रक्रिया में बाधा बनकर खड़ा हुआ। इसी के साथ उसने ब्रह्माण्ड का भी नाश करना शुरू किया, बलिदान में बाधा बनने के साथ-साथ वह दूसरो को भी क्षति पहुँचा रहा था।
फिर संतो ने परेशान होकर सहायता के लिए भगवान शिव और ब्रह्मा जी से प्रार्थना की, जिन्होंने संतो को भगवान गणेश की पूजा करने के लिए कहा।
सन्यासियों की प्रार्थना सुनकर भगवान गणेश ने असुर राजा से युद्ध की पारम्भ किया, जिसमे असुर को जल्द ही इस बात का आभास हो चूका था की वह गणेशजी को पराजित नही कर सकता और इसीलिए उसने किसी को हानि न पहुचाने का वादा किया।
पराजय के बाद विघ्नसुर ने भगवान गणेश को अपना नाम धारण करने की प्रार्थना भी की और कहा जाता है की तभी से इस मंदिर को विघ्नेश्वर मंदिर कहा जाता है। मंदिर में हमें विघ्नेश्वर के रूप में भगवान गणेश की प्रतिमा देखने मिलती है।
उत्सव:
मंदिर में भगवान गणेश से जुड़े सभी उत्सव मनाए जाते है। जिनमे मुख्य रूप से गणेश चतुर्थी और गणेश जयंती शामिल है। इसके साथ-साथ मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा को 5 दिनों तक चलने वाले एक उत्सव का भी आयोजन किया जाता है।
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