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7/19/2021

जगतपिता ब्रह्मा मन्दिर, पुष्कर एक मात्र ब्रह्मा मंदिर

   
                           
   

जगतपिता ब्रह्मा मन्दिरपुष्कर एक मात्र ब्रह्मा मंदिर 




ब्रह्मा मन्दिर एक भारतीय हिन्दू मन्दिर है जो भारत के राजस्थान राज्य के अजमेर ज़िले में पवित्र स्थल पुष्कर में स्थित है। 

इस मन्दिर में जगत पिता ब्रह्माजी की मूर्ति स्थापित है। इस मन्दिर का निर्माण लगभग 14 वीं शताब्दी में हुआ था जो कि लगभग 700 वर्ष पुराना है। यह मन्दिर मुख्य रूप से संगमरमर के पत्थरों से निर्मित है। कार्तिक पूर्णिमा त्योहार के दौरान यहां मन्दिर में हज़ारों की संख्या में भक्तजन आते रहते हैं।

यह मंदिर 2000 वर्ष पुराना है पुष्कर में लगभग 500 से ज्यादा हिंदू मंदिर थे।लेकिन मुगल सम्राट औरंगजेब ने शासनकाल में ज्यादातर मंदिरों को नष्ट कर दिया था। लेकिन ब्रह्मा जी के मंदिर को छू तक नहीं सका।

हिंदू ग्रंथ पद्म पुराण के अनुसार, ब्रह्मा जी ने एक दानव वज्रभ को देखा जिस ने आतंक मचा रखा था। ब्रह्मा जी ने उस राक्षस को मार दिया इस दौरान ब्रह्मा जी के हाथों से कमल का फूल पृथ्वी पर गिरा। वहां पर पुष्कर झील उत्पन्न हुई कमल के फूल के गिरने पर,फूल तीन हिस्सों में टूट गया था। और तीनों स्थानों पर अलग-अलग गिरा। जहां पर जेष्ट पुष्कर, मध्य पुष्कर, और कनिष्ठ पुष्कर झील उत्पन्न हुई। तब ब्रह्मा जी इस स्थान पर आए, और जहां फूल ब्रह्मा जी के हाथ से गिरा था इस स्थान का नाम पुष्कर पड़ा।

वेदों के अनुसार कहा जाता है कि! ब्रह्मा ने सृष्टि रचना के लिए राजस्थान के पुष्कर में एक यज्ञ का आयोजन किया था। इसी यज्ञ में उनको अपने पत्नी के साथ बैठना जरूरी था। लेकिन उनकी पत्नी सावित्री वहां पर नहीं थी। और उन्हें पहुंचने में देरी लग रही थी। पूजा का मुहूर्त निकला जा रहा था सभी देवी देवता उसी स्थल पर पहुंच चुके थे। सिर्फ सावित्री ही नहीं आ पाई थी। जब शुभ मुहूर्त निकलने लगा। तब मजबूरन ब्रह्मा जी ने नंदिनी गाय के मुख से गायत्री को प्रकट कर लिया। और उनसे विवाह कर अपना यज्ञ संपन्न कर लिया।जब सावित्री पहुंची तो ब्रह्मा जी के बगल में अपनी जगह किसी अन्य स्त्री को देख अत्यंत क्रोधित हुई। और उसी समय ब्रह्मा जी को उन्होंने  श्राप दे दिया। कि आप जिस संसार की रचना करने के लिए मुझे भूल गए आपको भी उसी प्रकार संसार भूल जाए। और आपको कभी भी संसार नहीं पूजेगा। बाद में सभी देवी देवताओं में किसी तरह देवी सावित्री का क्रोध शांत किया। तथा अपना श्राप वापस लेने के लिए कहा गया। परंतु एक बार श्राप देने के बाद उसे वापस नहीं लिया जा सकता। इसलिए उन्होंने कहा कि आपका मंदिर यही पुष्कर में ही बनेगा तथा आपका पूजन भी वही होगा।

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