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7/19/2021

चौसठ योगिनी, मध्य प्रदेश प्रचीन रहस्यो का अद्भुत नमूना

   
                           
   

चौसठ योगिनीमध्य प्रदेश प्रचीन रहस्यो का अद्भुत नमूना




मुरैना का चौसठ योगिनी मंदिर मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में मितावली नामक जगह स्थित एक प्राचीन मंदिर है। ग्वालियर शहर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह मंदिर भारत के उन चौसठ योगिनी मंदिरों में से एक है जो अभी भी अच्छी दशा में बचे हैं। यह मंदिर एक वृत्तीय आधार पर निर्मित है और इसमें 64 कक्ष हैं। मध्य में एक खुला हुआ मण्डप है। यह मंदिर 1323 ई में बना था। ऐसा माना जाता है कि भारत का संसद भवन (जो 1920 में बना), इसी शैली पर निर्मित है।

चौसठ योगिनी -

1.बहुरूप, 2.तारा, 3.नर्मदा, 4.यमुना, 5.शांति, 6.वारुणी 7.क्षेमंकरी, 8.ऐन्द्री, 9.वाराही, 10.रणवीरा, 11.वानर-मुखी, 12.वैष्णवी, 13.कालरात्रि, 14.वैद्यरूपा, 15.चर्चिका, 16.बेतली, 17.छिन्नमस्तिका, 18.वृषवाहन, 19.ज्वाला कामिनी, 20.घटवार, 21.कराकाली, 22.सरस्वती, 23.बिरूपा, 24.कौवेरी, 25.भलुका, 26.नारसिंही, 27.बिरजा, 28.विकतांना, 29.महालक्ष्मी, 30.कौमारी, 31.महामाया, 32.रति, 33.करकरी, 34.सर्पश्या, 35.यक्षिणी, 36.विनायकी, 37.विंध्यवासिनी, 38. वीर कुमारी, 39. माहेश्वरी, 40.अम्बिका, 41.कामिनी, 42.घटाबरी, 43.स्तुती, 44.काली, 45.उमा, 46.नारायणी, 47.समुद्र, 48.ब्रह्मिनी, 49.ज्वाला मुखी, 50.आग्नेयी, 51.अदिति, 51.चन्द्रकान्ति, 53.वायुवेगा, 54.चामुण्डा, 55.मूरति, 56.गंगा, 57.धूमावती, 58.गांधार, 59.सर्व मंगला, 60.अजिता, 61.सूर्यपुत्री 62.वायु वीणा, 63.अघोर और 64. भद्रकाली। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस मंदिर को प्राचीन ऐतिहसिक स्मारक घोषित किया है।

रानीपुर में केंद्रीय मंदिर में शिव के क्रोधी स्वरूप भैरव की तीन मस्तक वाली प्रतिमा है। मोरैना में लिंग बना है। भेड़ाघाट वाले मंदिर के केंद्र में असाधारण रूप से नंदी पर बैठे शिव-पार्वती की प्रतिमा है। कहीं इसे वहां बाद में तो नहीं रखा गया क्योंकि आमतौर पर शिव मंदिरों में शिव जी के सम्पूर्ण स्वरूप नहीं, उनके प्रतीकों (शिवलिंग) की ही पूजा की जाती है।

मौरेना के मंदिर में कोई प्रतिमा नहीं है। कहीं उन्हें हटा कर शिवलिंगों से तो नहीं बदल दिया गया? शायद कोई नहीं जानता।

हीरापुर में योगिनी प्रतिमाओं में महिलाओं को विभिन्न दशाओं में प्रदर्शित किया गया है। कुछ नृत्य कर रही हैं, कुछ धनुष-बाण से शिकार कर रही हैं, कुछ संगीत वादन कर रही हैं, कुछ खून अथवा मदिरा पी रही हैं, कुछ हाथों में छानना लेकर घरेलू कामकाज कर रही हैं। अधिकतर ने खूब आभूषण पहने हैं और उनके केश भी सुंदर सज्जित हैं। अन्यों के सिर सर्प, भालू, शेर या हाथी के हैं जो इंसानी मस्तक, नर देहों, कौओं, मुर्गों, मोरों, बैलों, भैंसों, गधों, शूकरों, बिच्छुओं, केकड़ों, ऊंटों, कुत्तों, जल पर अथवा अग्नि के मध्य खड़ी हैं

यह प्रचीन काल में तंत्र मन्त्र का केन्द्र रहा, लोग यहाँ तंत्र मन्त्र सिखने आते थे 

इस मंदिर के अनेक रहस्य है जो यहाँ जाने वाले लोगो को आश्चर्य मे डालते है

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