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7/14/2021

सुंदरकाणड सें जुङी 5 अहम बातें जो कोई नहीं जानता !

   
                           
   

सुंदरकाणड सें जुङी अहम बातें जो कोई नहीं जानता 


1 - सुंदरकाणड का नाम सुंदरकाणड क्यों रखा गया ? 


हनुमानजी, सीताजी की खोज  में  लंका गए थें और लंका  त्रिकुटाचल  पर्वत पर  बसी हुई  थी ! त्रिकुटाचल  पर्वत  यानी  यहां 3 पर्वत  थें ! पहला  सुबैल पर्वत, जहां  कें  मैदान  में  युद्ध  हुआ  था !


दुसरा नील पर्वत, जहां राक्षसों कें महल बसें हुए थें ! और  तीसरे पर्वत का नाम है  सुंदर पर्वत, जहां अशोक  वाटिका  नीर्मित थी !  इसी  वाटिका  में  हनुमानजी और  सीताजी की  भेंट हुई  थी ! इस  काण्ड की यहीं  सबसें  प्रमुख  घटना  थी , इसलिए  इसका नाम  सुंदरकाणड  रखा गया  है !


2 - शुभ अवसरों पर ही सुंदरकाणड का पाठ  क्यों ?


शुभ अवसरों पर गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित  श्रीरामचरितमानस  कें  सुंदरकाणड  का  पाठ  किया जाता  हैं ! शुभ कार्यों  की शुरूआत सें पहलें  सुंदरकाणड  का  पाठ  करनें  का विशेष  महत्व माना  गया  है !


जबकि किसी व्यक्ति कें जीवन में ज्यादा परेशानीयाँ हो , कोई  काम  नहीं  बन पा रहा  हैं, आत्मविश्वास  की  कमी  हो  या  कोई  और  समस्या  lहो , सुंदरकाणड  कें  पाठ  सें  शुभ  फल  प्राप्त  होने  लग जाते  है, कई  ज्योतिषी  या  संत  भी  विपरित  परिस्थितियों  में  सुंदरकाणड  करनें  की  सलाह  देते  हैं!


3 - सुंदरकाणड का पाठ विषेश रूप सें क्यों किया जाता  हैं ? 


माना  जाता  हैं कि सुंदरकाणड  कें पाठ सें  हनुमानजी  प्रशन्न होतें  है ! सुंदरकाणड  कें पाठ  में बजरंगबली  की  कृपा  बहुत  ही  जल्द  प्राप्त हो जाती  हैं ! जो  लोग  नियमित  रूप  सें  सुंदरकाणड  का  पाठ  करतें  हैं , उनके  सभी  दुख  दुर  हो  जातें हैं , इस  काण्ड  में  हनुमानजी नें अपनी  बुद्धि  और  बल  सें  सीता  की  खोज  की  हैं ! 


इसी वजह सें सुंदरकाणड को हनुमानजी की  सफलता  के  लिए  याद  किया  जाता  हैं ! 


4 - सुंदरकाणड lसें मिलता हैं मनोवैज्ञानिक लाभ ? 


वास्तव में  श्रीरामचरितमानस  कें  सुंदरकाणड  की  कथा  सबसे  अलग  हैं , संपूर्ण  श्रीरामचरितमानस  भगवान  श्रीराम  कें  गुणों  और  उनके   पुरूषार्थ  को  दर्शाती हैं , सुंदरकाणड  ऐक मात्र  ऐसा अध्याय  हैं  जो श्रीराम  कें भक्त  हनुमान  की  विजय का काण्ड  हैं !


मनोवैज्ञानिक नजरिए सें देखा जाए तो यह आत्मविश्वास  और  इच्छाशक्ति  बढ़ाने  वाला काण्ड  हैं , सुंदरकाणड  के





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