यह रहस्य है या विज्ञान...?
आप सभी को जानना चाहिये हर 12 वर्ष में महाप्रभु की मूर्ती को बदला जाता है, उस समय पूरे पुरी शहर में ब्लैकआउट किया जाता है यानी पूरे शहर की लाईट बन्द की जाती है। लाईट बन्द होने के बाद मन्दिर परिसर को सीआरपीएफ की सेना चारों तरफ से घेर लेती है... उस समय कोई भी मन्दिर में नहीं जा सकता...
मन्दिर के अन्दर घना अंधेरा रहता है... पुजारी की आँखों मे पट्टी बंधी होती है... पुजारी के हाथ मे दस्ताने होते हैं वो पुरानी मूर्ती से "ब्रह्म पदार्थ" निकालता है और नयी मूर्ती में डाल देता है। ये ब्रह्म पदार्थ क्या है आजतक किसी को नहीं पता इसे आजतक किसी ने नहीं देखा हज़ारों वर्षों से ये एक मूर्ती से दूसरी मूर्ती में ट्रांसफर किया जा रहा है।
ये एक अलौकिक पदार्थ है जिसको छूने मात्र से किसी मनुष्य के शरीर के चिथड़े उड़ जायें। इस ब्रह्म पदार्थ का सम्बन्ध भगवान श्री कृष्ण से है। मगर ये क्या है, कोई नहीं जानता ये पूरी प्रक्रिया हर 12 वर्ष में एक बार होती है उस समय सुरक्षा बहुत अधिक होती है।
मगर आजतक कोई भी पुजारी ये नहीं बता पाया की महाप्रभु जगन्नाथ की मूर्ती में आखिर ऐसा क्या है...?
कुछ पुजारियों का कहना है कि जब हमने उसे हाथ में लिया तो खरगोश जैसा उछल रहा था। आँखों में पट्टी थी। हाथ मे दस्ताने थे तो हम केवल महसूस कर पाये।
आज भी हर वर्ष जगन्नाथ यात्रा के उपलक्ष्य में सोने की झाड़ू से पुरी के राजा खुद झाड़ू लगाने आते हैं।
भगवान जगन्नाथ मन्दिर के सिंहद्वार से पहला कदम अन्दर रखते ही समुद्र की लहरों की ध्वनि अन्दर सुनायी नहीं देती, जबकि आश्चर्य में डाल देने वाली बात यह है कि जैसे ही आप मन्दिर से एक कदम बाहर रखेंगे, वैसे ही समुद्र की ध्वनि सुनायी देंगी।
आपने अधिकतर मन्दिरों के शिखर पर पक्षी बैठे-उड़ते देखे होंगे, लेकिन जगन्नाथ मन्दिर के ऊपर से कोई पक्षी नहीं गुज़रता।
झण्डा हमेशा हवा की उल्टी दिशा में लहराता है। दिन में किसी भी समय भगवान जगन्नाथ मन्दिर के मुख्य शिखर की परछायी नहीं बनती।
भगवान जगन्नाथ मन्दिर के 45 मंज़िला शिखर पर स्थित झण्डे को प्रतिदिन बदला जाता है, ऐसी मान्यता है कि अगर एक दिन भी झण्डा नहीं बदला गया तो मन्दिर 18 वर्षों के लिये बन्द हो जायेगा।
इसी तरह भगवान जगन्नाथ मन्दिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र भी है, जो हर दिशा से देखने पर आपके मुह आपकी ओर दिखता है।
भगवान जगन्नाथ मन्दिर की रसोई में प्रसाद पकाने के लिये मिट्टी के 7 बर्तन एक-दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं, जिसे लकड़ी की आग से ही पकाया जाता है, इस दौरान सबसे ऊपर रखे बर्तन का पकवान पहले पकता है।
भगवान जगन्नाथ मन्दिर में हर दिन बनने वाला प्रसाद भक्तों के लिये कभी कम नहीं पड़ता, लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि जैसे ही मन्दिर के पट बन्द होते हैं वैसे ही प्रसाद भी खत्म हो जाता है।
ये सब बड़े आश्चर्य की बातें हैं, आपको और आपके परिवार को श्री जगन्नाथजी भगवान की शुभमंगल रथयात्रा पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ, आप सब पर प्रभु कृपा बनी रहे...!
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जय भगवान जगन्नाथ 🙏🚩
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