पिता का अनोखा प्रयास
एक सेठ था वो बहुत ही धनवान था ओर बहोत
होशियार ओर ईमानदार भी था उसको चार
लड़के थे लेकिन कोई काम के नहि पूरा दिन
फिरना ओर खाना सेठ को चिंता थी के मेरे
बाद उनका क्या होगा उन में कोई होशियारी
तो हैही नहि तो व्यापार क्या करेंगे ये तो मेरी
जमा पूँजी भी उड़ा देंगे सेठ की उम्र होगायी
थी वो बीमार रहेने लगे तो उन्होंने वक़ील को
बुलाकर कूच वासियत बनवाई फिर कूच
दिन के बाद सेठ मर गये फिर वक़ील आया
ओर कहेने लगा के आपके पिताजी ने जो
लिखाया है वो सुनाता हु वक़ील ने पहेले सेठ
का ख़त सुनाया देखो बेटे आप एसा समज ते
होगे हमारे बाप के पास बहोत धन है लेकिन
नहि मेरे पास जो था उसकी मेने ज़मीन ले रखी
है ओर उस ज़मीन में मेने अपने बाप दादा से
मिले ख़ज़ाने को डाँटा है आप उससे कूच
धंधा कर लेना ओर मेरे पास कूच नहि चरो
भाई सोच में पड़ गये वो तो एसा समजते थे
की हमारे बाप ने बहोत मिलकत छोड़ी है
हमारे लिये लेकिन अब क्या खजाना निकले
पर कॉन से खेत में है ओर कहा है ये तो लिखा
ही नहि फिर चारों भाई ने विचार किया हम
बारी बारी सब को खोदेगे फिर चारों ने सुरु
कर दिया खोदना एक एक करके सारे खेत
खोद डाले लेकिन कूच नहि निकला वो
नीरास हो गये पूरी महेनत पानी में गई अब
क्या करे एसा सोच रहेथे तब एक भाई को
विचार आया क्यू ना हम उसमें कूच वाँवनी
करे खेत तो हमने वाँवनी लायक़ कर दिये
है फिर उन्होंने सब खेत में अलग अलग
वाँवनी की ओर अधड़क पाक हुवाँ ओर
बहोत पेसे मिले तब चरो भाई को अहसास
हुवाँ के बापूजी यही ख़ज़ाने की बात कर
रहे थे अब वो महेनत के सिवा धन प्राप्त
नहि होता फिर तो चारों भाई खेती में लग
गये फिर वो वक़ील आया ओर उसने चरो
भाई को कहा तुम्हारे पिताजी के पास बहोत
धन है पर वो जानते थे अगर आपको ये धन
एसे आसानी से मिल जायेगा तो वो कभी
महेनत से कमा नहि पायेंगे इसी लिए उन्होंने
मूँजें पहेले से ही कहा था की तुम एसा करना
चारों भाई मान गये के हमारे पिताजी कितने
महान ओर होशियार थे उन्होंने आपने पुत्रों को
सही रास्ता दिखाया
नोध : अगर धीरज ओर समज दारी से काम ले तो
बिगड़े काम भी बन सकते है
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