एक अनोखी प्रेम कहानी # हमारी अधूरी कहानी
अनोखी प्रेम कहानी
एक लड़का था वो बचपन से ही चल नहीं सकता वो अपाहिज
था उसका नाम सुनील था 5 वि कक्षा तक उसने पढ़ाई की फिर उसने पढ़ाई छोड़ दी थी क्यूकी उसकी मजबूरी थी अब
घर में पूरा दिन वो बोर हो जाता था एस लिये वो कभी फोई के
धर कभी बहन के धर कभी मामा के घर जाता था एक दिन वो
आपने बापूजी के घर रहेने गया कूच दिन के लिए उसे वहाँ अच्छा लगता था एक दिन सुबह घर के बहार बेठा था तब उसकी
सामने वाले घर पर नज़र गई वहाँ एक सुंदर लड़की खड़ी थी सुनील तो बस उसे देखता ही रह गया इतनी सुन्दर लड़की उसने आज तक देखी ही नहीं थी लड़की ने भी उसे देखा ओर अन्दर चली
गई सुनील का तो दिमाग ही काम करता बन्द हो गाया फिर
सुनील पूरा दिन बहार बेठने लगा ओर इंतज़ार करता कब वो बाहर आए में उसे देखू जब वो बहार आती तब सुनील उसे देखता बस एसे करते करते ४ दिन गुज़र गये एन ४ दिनो में सुनील का प्यार ओर भी गहेरा हो गया अभी तक तो सुनील को उस लड़की का नाम भी पता नहीं था सुनील ने पड़ोस वाले लड़के से पता लगाया की उसका नाम सोनू था सोनू को एक छोटी बहन ओर छोटा भाई था सुनील ने ये सब तो पता लगा दिया पर आगे क्या करे उसे कूच समज में नहीं आता था
बस वो तो सिर्फ़ उसे हर रोज़ पूरा दिन देखते रहेता था
दूसरी तरफ़ सोनू भी सोचती थी के ये लड़का मेरे सामने। क्यू देखता है उसको बिलकुल अच्छा नहीं लगता था की कोई उसे देखे उसने एक बार तो आपने पापा को कहने का सोच भी लिया था पर ये सोच कर रुक गई ये लड़का अपाहिज है कोई उसके बारे में क्या सोचेगा
पर यहाँ तो सुनील हररोज़ सुबह से साम तक घर के बहार बेठा
रहेता था ओर उसिको देखते रहेता था फिर एसा करते करते ५ से ६ दिन गुज़र गये
दूसरी तरफ़ सोनू का दिल भी लीगल ने लगा की कोई मुझसे इतना प्यार करता है की मुजे देखने के लिए पूरा दिन घर के बहार बेठा रहेता है सोनू की हमदर्दी कब प्यार में बदल गई ख़ुद सोनू को भी पता नहीं लगा अभी तक तो सोनू को उस लड़के का नाम भी मालूम नहीं पर सोनू को उस लड़के के बापूजी का घर का नंबर पता था सुनील जब भी घर के अन्दर जाता सोनू फ़ोन लगाती पर कोई ओर रिसिव करता था सोनू बात करे तो भी केसे फिर सोनू ने सोचा की उसे इसरो से बंतादूँ
जब सुनील बहार बेठा तब सोनू बहार आइ ओर अपने कानो की तरफ़ उँगलियाँ हिलाने लगी पर सुनील कूच समझ नहीं पाया फिर दूसरे दिन जब सुनील दोपहर को खाने के लिए अन्दर गया खाना खा रहा था तब फ़ोन बजा ओर सुनील की भाभी ने फ़ोन उठाया तब सामने से कोई बोल नहीं रहा था
सुनील की भाभी ने फ़ोन रखदिया ओर कहेने लगी के एसा कॉन है जो हर रोज़ दोपहर को फ़ोन करता है ये बात सुनील ने सुन ली ओर समज भी गया की सोनू क्या इसरा करती थी
दूसरे दिन जब सुनील खाना खाने के लिए अन्दर गया ओर फ़ोन के कोंनर के पास बैठ गया जैसे ही फ़ोन बजा सुनील ने उठा लिया ओर सामने से ख़ूबसूरत आवाज़ आइ हेलो कॉन
सुनील ने कहा में सुनील बोल रहा हु आप सोनू ने कहा में सोनू बोल रही हु आपके समानेवाले घर से सुनील ने कहा मूँजें पता चल गया था की आपिका फ़ोन होगा
बस एसे ही वो दोनो हररोज़ बातें करने लगे छुप के छुपा के
एक दिन क्या हुवा सोनू का फ़ोन आया ओर रोते रोते बोली क्या आप सच में मुझसे प्यार करते हो जोभि हो सच सच बता देना सुनील ने कहा पर बात क्या हुई येतो बता सोनू ने कहा मेरी सादी की बात चल रही है होली के दिन मूँजें देखने आ रहे है वो लोग आयें उसके पहेले में पापा से आपने प्यार की बात करना चाहती हु आप भी आपने घर पे बात करलो सुनील ने कहा नहीं तूजे इस तराशे आपने पापा से बात नहीं करनी चाहिये सोनू ने कहा अब तुम्हीं बताओ हम क्या करे सुनील ने कहा में कूच सोचता हु सोनू ने कहा जो भी सोचना है जल्दी से सोचो हमारे पास वक़्त नहीं है सुनील कहाँ में एक दो दिन में कूच करता हु फिर सुनील फ़ोन रख दिया सुनील टेन्शन में आ गया ओर सोचने लगा अब क्या करु अब तो सबको पता चल जायेगा सब मेरे बारे में क्या सोचेगे सब मना कर देंगे तो में उसे कहा ले जाऊँगा अब सुनील को अहसास हुवाँ के में उसके क़ाबिल नहीं हु में ख़ुद दूसरों के सहारे जिता हु उसे ज़माने की खुसीया केसे दूँगा मुझे कोई हक़ नहीं उसे प्यार करने का
फिर सुनील ने मनो मन फ़ेसला कर दिया के में उसे बिना बताईं चला जाऊँगा चाहे वो जोभि सोचे मेरे बारेमें पर वो ख़ुश तो रहेगी फिर सुनील आपने बपूजि के घर से आपने घर चला गया
अब यहाँ सोनू सुबह बहार आके देखती है सुनील नज़र नहीं आता फिर दोपहर को देखती है तब भी सुनील नज़र नहीं आता सोनू टेन्शन में आजाती है कही उसे बुख़ार तो नहीं हुवाँ होगा वरना ये मुझे देखे बगेर रह नहीं सकता सायद कूच ईसा ही होगा लेकिन ये क्या यहाँ तो सुनील दूसरे दिन भी नज़र नहीं आता एक दिन गया दो दिन गये ईसा करते करते चार दिन गुज़र गये अब सोनू समज गई के मेने शादी की बात कही इस लिए ये भाग गया वो मूँजेंसे शादी नहीं करना चाहता था
वो सिर्फ़ मेरा इस्तेमाल करना चाहता था इस इसलए तो भाग गया सोनू को बहोत बुरा लगा वो अन्दर से टूट चुकी थी
फिर होली के दिन उसकी सगाई हो गई ओर दो महीनो के बाद शादी भी हो गई वो आपने ससुराल चली गई
दो शाल के बाद सुनील के भतीजे की शादी होने वाली थी तो सुनील को अपने बपूजि के घर आना पड़ा लेकिन ये क्या हुवाँ सोनू भी आइ हुई थी आपने पापा के घर कूच दिन रहेने के लिये सुनील बहार बेठा था सोनू की नज़र सुनील पर गई तुरन्त सोनू सुनील के पास आइ ओर कहेने लगी तूने मूँजें क्या समज रखा था कि मेरा इस्तेमाल करके छोड़ देगा पर एसा हुवाँ नहीं मेन शादी की बात की ओर तेरे इरादों का पता चल गया तू अगर सच्चा होता तो यू मुँह छुपाके भाग न जाता बोलो एसी क्या मजबूरी थी के तुम बिना बताये चले गये बोलो चुप क्यू हो सुनील ने कहा में आज भी तूजसे प्यार करता हु ओर करता रहूँगा पर में अपनी खुसी के लियें तूजे दुखीं नहीं कर सकता में ठहरा अपाहिज तूजे क्या खिलता पिलाता ओर कहा गुमाता तूजे ज़माने की कोई खुसी नहीं देसकता था एसलिए मेने तूजे बिना बताये चले जाने का फ़ेसला किया ओर चला गया
सोनू कीआँख में आँसू गये ओर बोली अरे पगले तूजे एकबार तो मूँजें बताना था की एसी बात है तू क्या समजता है की मेने एसा नहीं सोचा होगा में जानती हु के तुम काम नहीं कर सकते पर में तो पढ़ीलिखी थी कूच भी काम कर लेती तूने एक बार भी मेरे बारे ना सोचा की में तुमसे कितना प्यार करती हु अब तू बता की तू मेरी खुसी लिये मुझसे दूर गया था ना लेकिन तू देख मेरी शादी जिसके शाथ हुई है वो लड़का सराब में डूबा रहेता है कभी कभी तो मुझपे हाँत भी उठाता है उसने आज तक मुझसे कभी प्यार भरी बात भी नहीं की एसा कहेते कहेते सोनू रो पड़ी ओर सुनील को कहेने लगी तेरे फ़ेसले से में बहोत खुस हु ओर वहाँ से चली गई सुनील भी पस्ताओ के आँसू रो पड़ा
दोस्तों ये थी उनकी कहानी यहाँ आप अपना दिमाग़ मत लगाईयेगा क्यूँकि प्यार ना जात पाट ऊँच नीच गोरा कला कूच नहीं देखता प्यार तो बस दो दिलो का मेल है
अगर आपको मेरी ये कहानी पसन्द आइ हो तो मूँजें फोलो करे ओर शेर करे कोमेंट में अपनी राय ज़रूर लिखे
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts,please let me know