शरद पूर्णिमा / shard purnima
आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। स्वास्थ्य, प्रेम और संपूर्णता के के लिहाज से इस पूर्णिमा को अनोखा माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है। इसीलिए शरद पूर्णिमा को बनाई गई औषधियां विशेष प्रभावी मानी जाती हैं। इसी दिन कौमुदी व्रत भी मनाया जाता है। कहा जाता है कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचाया था।
आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। स्वास्थ्य, प्रेम और संपूर्णता के के लिहाज से इस पूर्णिमा को अनोखा माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है। इसीलिए शरद पूर्णिमा को बनाई गई औषधियां विशेष प्रभावी मानी जाती हैं। इसी दिन कौमुदी व्रत भी मनाया जाता है। कहा जाता है कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचाया था। क्रियाएं और हलचल जिसे प्रकृति नृत्य कहा जा सकता है, गोपियां हैं। इस तरह जगत में होने वाली हर घटना श्रीकृष्ण यानि पुरुष और प्रकृति यानि गोपियों के मिलन से होने वाला महारास ही है। इस प्रकार इसे आत्मा और परमात्मा का मिलन माना जाता है।
भारतीय मनीषा के अनुसार भगवान रसमय हैं। रसो वै सः। ईश्वर की अनुभूति व्यक्ति को भी रसमय बना देती है
आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। स्वास्थ्य, प्रेम और संपूर्णता के के लिहाज से इस पूर्णिमा को अनोखा माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है। इसीलिए शरद पूर्णिमा को बनाई गई औषधियां विशेष प्रभावी मानी जाती हैं। इसी दिन कौमुदी व्रत भी मनाया जाता है। कहा जाता है कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचाया था।
आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। स्वास्थ्य, प्रेम और संपूर्णता के के लिहाज से इस पूर्णिमा को अनोखा माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है। इसीलिए शरद पूर्णिमा को बनाई गई औषधियां विशेष प्रभावी मानी जाती हैं। इसी दिन कौमुदी व्रत भी मनाया जाता है। कहा जाता है कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचाया था। क्रियाएं और हलचल जिसे प्रकृति नृत्य कहा जा सकता है, गोपियां हैं। इस तरह जगत में होने वाली हर घटना श्रीकृष्ण यानि पुरुष और प्रकृति यानि गोपियों के मिलन से होने वाला महारास ही है। इस प्रकार इसे आत्मा और परमात्मा का मिलन माना जाता है।
भारतीय मनीषा के अनुसार भगवान रसमय हैं। रसो वै सः। ईश्वर की अनुभूति व्यक्ति को भी रसमय बना देती है
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts,please let me know