भगवान हमारी आस्था में है
भगवान को हममे से शायद किसी ने नहीं देखा , भगवान हमारे विश्वास में है , आज हम आपको एक सच्ची कहानी बताने जा रहे हैं। ईश्वर हमारी सच्चाई और ईमानदारी में बसते है। इस कहानी में आपको पता चलेगा की कैसे एक व्यक्ति एक पल में किसी के लिए भगवान् बन गया।
15 सिपाहियों का एक जत्था अपने मेजर की अगवाई में हिमालय पर स्थित अपने कैंप की तरफ जा रही थी। केम्प पर ऐसी ही एक टुकड़ी इनके पहुंचने का और अपने पलायन का बेसबरी से इंतज़ार कर रही थी वक़्त बहुत ज़्यादा था पर जल्दी पहुंचने की ज़रूरत थी और इसी लिए Troop जल्दी जल्दी आगे बढ़ रहा था। लगातार 3 घंटे चलने के बाद मेजर के मन में “एक कप चाय ” मिल जाती तो कितना अच्छा होता यह विचार आया। कुछ आगे बढ़ने पर उनको एक छोटी सी चाय की दूकान नज़र आई वहाँ पहुंच कर देखा तो दूकान बंद मिली। मेजर ने सबको थोड़ा आराम कर के आगे बढ़ने को कहा। सिपाहियों में से एक ने उपाय बताते हुए कहा क्यों न हम ये ताला तोड़ कर चाय बना लें।
मेजर का मन तो नहीं मान रहा था पर सभी सिपाहियों को इसके ज़रूरत थी और अभी आगे बहुत रास्ता चलने को था तो उन्होंने इजाज़त दे दी। दूकान खोलने पर उन्हे ज़रूरत का सब सामान मिल गया। चाय के साथ सबने biscuit भी खाए और सब आगे बढ़ने को हुए। मेजर को ये सब कुछ सही नहीं लग रहा था इसी लिए उसने अपने जेब से 1000 रुपए का एक नोट निकाल कर चीनी के डिब्बे के नीचे रख दिया ताकि दुकानदार उसे देख सके , फिर सिपाहियों को दूकान बंद करने का आदेश दिया।
अब मेजर को भी संतुष्टि हो गई और सभी लोग सही सलामत मंज़िल तक पहुंच गए। अगले 3 महीने लगातार अपना काम सही से करने के बाद बिना किसी जान के नुक्सान के सभी अपना काम खत्म कर वापस जाने को तैयार हो गए। वापस जाते हुए वे उसी चाय की दूकान पर रुके आज दूकान खुली थी और मालिक भी वहीँ था।
15 ग्राहकों को देख कर दुकानदार खुश था उसने सबको नमस्कार किया और सबको चाय और biscuit serve किए, सिपाहियों ने उस से ज़िन्दगी के बारे में बहुत सी बातें की , बूढ़े दुकानदार के पास बहुत सी कहानियाँ थी सुनाने के लिए उसका भगवान पर विश्वास देख कर सबने उस से पूछा ” क्या भगवान होता है ?” इस पर बूढ़े ने कहा “भगवान हैं। मैं आपको बताता हूँ आज से 3 महीने पहले मेरे बेटे को कुछ आतंकियों ने बहुत मारा , वे उस से कुछ जानकारी चाहते थे पर उसे कुछ पता नहीं था उसके इलाज के लिए मुझे कुछ पैसे चाहिए थे पर कोई भी उधार देने को तैयार नहीं था। उसी शाम मैंने भगवान से प्रार्थना की , जब मैं दूकान पर आया तो देखा ताला टुटा हुआ था मुझे लगा मेरे पास जो भी था वो सब भी चला गया पर भगवान मेरी दुकान पर आए और और चीनी के डिब्बे के नीचे 1000 रुपए रख गए। ”
ये बात सुन कर सभी सिपाहियों ने मेजर की तरफ देखा और सबको मेजर की आँखों में एक order सा मिला “कुछ मत कहना ” सब सिपाहियों ने इसे समझा और कुछ नहीं कहा , मेजर ने दुकानदार को पैसे दिए और दुकानदार को गले लगाते हुए कहा “हाँ भगवान हैं और आपकी बनाई चाय भी बहुत अच्छी थी। ”
मेजर की आंखे नम हो गई थी और सभी सिपाहियों ने इस ऐतिहासिक अवसर को ना गवाते हुए इस पल को सदा के लिए अपनी यादों में बसा लिया
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