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12/27/2022

कार्य बंधन मुक्ति के उपाय (भाग 1)

   
                           
   
कार्य बंधन मुक्ति के उपाय (भाग 1)

सभी व्यक्तियों का जीवन सुख-दुःख के उतार-चढ़ाव से भरा रहता है। सभी अपने परिश्रम से आगे बढ़ना चाहते हैं और समस्त प्रकार के सुखों का भोग करना चाहते हैं। इसमें अनेक व्यक्ति सफल हो जाते हैं और कुछ विफल रह जाते हैं। विफलता का कारण उन्हें समझ नहीं आता है। कभी-कभी ऐसा कुछ अचानक घटने लगता है, जिसके कारण अनेक प्रकार की समस्या उत्पत्र होने लगती है जो जीवन को दु:खों की ओर धकेल देती हैं। ऐसा अचानक क्यों होने लगा है, इसका कारण समझ नहीं आता। इससे जीवन का प्रत्येक पक्ष प्रभावित होता है। मनुष्य के साथ जीवनभर घटित होने वाली अनेक ऐसी घटनायें हैं, जिनके घटित होने के बारे में कोई स्पष्ट उत्तर प्राप्त नहीं हो पाता कि ऐसा क्यों हो रहा है? इसके उपरांत भी घटित होने वाली दुर्घटनाओं के कारण उत्पन्न दु:खों का वहन उसे करना ही होता है।

पुरातन काल से यह समझा जाता रहा है कि सब कुछ ईश्वर के हाथ में है, किसी को कब सुख मिलेगा और कब दुःख की प्राप्ति होगी, कौन कब जन्म लेगा और कब उसकी मृत्यु होगी, इसका निर्धारण ईश्वर करता है। आज इस विचारधारा का प्रभाव कम होता जा रहा है और सब कुछ धीरे-धीरे मनुष्य अपने हाथों में लेता जा रहा है। कौन कब जन्म लेगा और किस योनि में जन्म लेगा, इसका ही निर्धारण करना ईश्वर के हाथों में है। मृत्यु पर ईश्वर का प्रभाव कम होने लगा है। आये दिन होने वाली दुर्घटनाओं में असामयिक मृत्यु, किसी की शत्रुतावश हत्या कर देना और किसी तांत्रिक-मांत्रिक के द्वारा कुछ मारण क्रियायें करवाकर किसी व्यक्ति को मरवा देना आम होता जा रहा है।

इनमे से कुछ ऐसे कारण हम आपको बता रहे है जिनसे बंधन दोष लगने की संभावना अधिक रहती है जैसे की किसी के द्वारा टोके जाने के कारण से तो बंधन दोष लगता ही है, साथ ही अन्य कुछ कारण भी हो सकते हैं। इनमें से एक बड़ा कारण है किसी चौराहे पर रखी ऐसी सामग्री को लांघना अथवा पैरों द्वारा स्पर्श करना है जो किसी के द्वारा किसी प्रयोजन के पश्चात् रखी होती है। आपने कई बार चौराहों पर कुछ खाने की सामग्री, काले उड़द, सिंदूर तथा दीपक आदि रखा देखा होगा। यह सामग्री किसी आपदा अथवा टोने-टोटके को दूर करने हेतु किये जाने वाले किसी उपाय के प्रयोग करने में काम आती है, जिसे प्रयोग करने के पश्चात् चौराहे पर रख दिया जाता है। जब अज्ञानता अथवा भूलवश इस सामग्री को चलते समय ठोकर मार दी जाती है अथवा इसे उलांघ दिया जाता है, तब भी व्यक्ति बंधनदोष का पीड़ित हो जाता है। यह सामग्री क्या होती है, इसे भी जान लें। जब किसी घर में कोई सदस्य किसी के द्वारा किये-कराये टोने-टोटके का शिकार हो जाता है अथवा किसी ऊपरी बाधा से ग्रसित हो जाता है तो किसी उपाय के प्रयोग के अन्तर्गत ऐसी अदृश्य शक्ति के निमित्त भोजन सामग्री अर्पित की जाती है। इसमें खाने के सामान के साथ-साथ काले साबुद उड़द द्वारा पीड़ित का उसारा किया जाता है, बाद में यह उड़द भी खाने के सामान के साथ रख दिये जाते हैं। फिर समस्त सामग्री घर से दूर किसी चौराहे पर रखकर एक दीपक लगाया जाता है, जल अर्पित किया जाता है और इसके बाद उपाय करने वाला वापिस अपने घर लौट आता है। इस प्रयोग के द्वारा परिवार के पीड़ित सदस्य पर जो भी विपदा, ऊपरी शक्ति अथवा किसी प्रकार का नज़रदोष आदि होता है, वह इस सामग्री के साथ घर से बाहर आ जाता है, और फिर वह सदस्य धीरे-धीरे स्वस्थ होने लगता है। चूंकि यह उपाय सुबह जल्दी सम्पन्न किये जाते हैं ताकि कोई इसे करते देखे अथवा टोके नहीं, इसलिये पता नहीं चलता कि यह उपाय किसने किया है। बाद में चौराहे पर आने-जाने वाले व्यक्ति इससे बच कर निकलने का प्रयास करते हैं। जो इसके बारे में अधिक नहीं जानते हैं, वे भी इस सामग्री को देखकर समझ जाते हैं कि इसे उलांघना अथवा छूना नहीं है, इसके उपरान्त भी कुछ व्यक्ति अज्ञानता अथवा असावधानी के कारण इस सामग्री के ऊपर से निकल जाते हैं अथवा उनका पांव इससे लग जाता है। इसके कुछ दिनों के बाद ही उस पर अनेक प्रकार की समस्यायें आने लगती हैं। यह भी अपने आप में एक प्रकार का बंधन ही है। इसके प्रभाव से व्यक्ति का स्वास्थ्य प्रभावित होता है, उसका मन बेचैन और व्यग्र रहता है, किसी काम में मन नहीं लगता। प्रारम्भ में इसे किसी प्रकार का बंधन अथवा समस्या आदि नहीं समझा जाता और न ही यह कोई रोग होता है, इसलिये इसे पीड़ित की अपनी कोई व्यक्तिगत समस्या मान लिया जाता है।

आज हम इन्ही समस्याओ के समाधान के विषय मे विस्तृत चर्चा करेंगे।

उपरोक्त वर्णित तथा इसी प्रकार किसी भी व्यक्ति के कार्य में बाधक अन्य प्रकार के बंधनों से मुक्ति के कुछ सरल उपाय नीचे दिये जा रहे हैं:

1👉  किसी भी दुकान का बंधन खोलने हेतु नागफनी-कील (ये मोटी-चपटी कील होती है जिसका ऊपरी हिस्सा साँप के फन के समान मुड़ा रहता है) की आवश्यकता होती है। ऐसी 4 कीलें लेकर उन्हें देसी गाय के मूत्र में डुबोकर 3 दिनों तक रखें। इसके पश्चात् उन कीलों को निकाल लें तथा गोमूत्र किसी वृक्ष की जड़ों में डाल दें। नागफनी की इन कारों को किसी पीपल के वृक्ष के नीचे छोटा सा गड्डा खोदकर गाड़ दें। तीन से लेकर सात दिन तक उन कीलों को वहाँ गड़ा रहने दें। इसके पश्चात् उन कीलों को पुनः खोद लायें। इनमें से एक-एक कील को दुकान के चारों कोनों पर इस प्रकार गाड़ दें कि उनके फन दुकान के अंदर की तरफ नहीं हों । प्रत्येक कील पर थोड़ा-थोड़ा कंकु, अक्षत छिड़क दें। ऐसा करने से बंधी हुई दुकान खुल जाती है।

👉 बंधी हुई दुकान खोलने हेतु एक अन्य विधि के अन्तर्गत एक नारियल तथा एक नींबू व एक ताम्बे का सिक्का लें। इन तीनों का कंकु-अक्षतादि से पूजन कर दुकान की देहलीज जहाँ हो, वहाँ बीच में एक गड्ढा खोदकर इन पदार्थों को गाड़ दें। यदि इस प्रकार से गाड़ी जाना सम्भव नहीं हो तो इन पदार्थों का पूजन कर इन्हें सम्पूर्ण दुकान में घुमाकर किसी पवित्र नदी में विसर्जित कर दें। इस कार्य को मुख्य रूप से मंगलवार अथवा शनिवार को करें।

👉 दुकान के बंधन को खोलने हेतु एक अन्य सरल प्रयोग भी है। इसके अन्तर्गत नवचंदी (जिस दिन नया चाँद निकले, उस दिन) मित्र यंत्र का निर्माण शुभ मुहूर्त में करें। मंत्र को सफेद कोरे कागज पर काली स्याही से बनायें। यंत्र निर्माण करते समय जातक ऊनी कम्बल के आसन पर पश्चिम दिशा की तरफ मुख करके बैठे तथा मुख में कोई खुशबूदार पदार्थ रख ले जैसे कि इलायची, नागरमोथा आदि। यंत्र को बनाकर इस पर किसी भी इत्र की एक बूंद लगा दें। इसे अगरबत्ती की धूनी दें अथवा थोड़ा सा लोबान जलाकर उसकी धूनी दें। इस प्रकार, जो यंत्र तैयार होगा, उसकी 20-30 फोटोकॉपी तैयार करवा लें। उन फोटोकॉपी की गड्डी पर मुख्य यंत्र को उल्टा रख दें। इस सैट को किसी फाइल में सम्भाल कर रख दें। अब, रोजाना मूल कॉपी के नीचे वाले यंत्र को निकाल कर यह प्रार्थना करते हुये कि मेरी दुकान पर किसी भी प्रकार का बंधन हो, तो वह दूर हो जाये, तब यंत्र को कपूर जलाकर उसकी अग्नि से जला दें। यंत्र के जलने से बनने वाली राख को मसल कर किसी झाड़ या गमले में डाल दें ऐसा नित्य 20 से 40 दिन तक करने से दुकान का बंधन अथवा रोक खुल जाती है। 

यंत्र इस चित्र में दिया गया है।
क्रमश...
शेष अलगे लेख में।

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