मुलेठी एक गुणकारी औषधि
गले में खराश की शिकायत हो या खांसी से उलझन, मुलेठी चूसने से इसमें काफी हद तक राहत मिलती है। मुलेठी बहुत गुणकारी औषधि है। मुलेठी के प्रयोग करने से न सिर्फ आमाशय के विकार बल्कि गैस्ट्रिक अल्सर के लिए फायदेमंद है। इसका पौधा १ से ६ फुट तक होता है। यह स्वाद में मीठी होती है इसलिए इसे यष्टिमधु भी कहा जाता है। असली मुलेठी अंदर से पीली, रेशेदार एवं हल्की गंधवाली होती है। सूखने पर इसका स्वाद अम्लीय हो जाता है
मुलेठी के औषधीय गुण
गैस्ट्रिक अल्सर
गैस्ट्रिक अल्सर के इलाज में मुलेठी का इस्तेमाल दवा के रुप में किया जाता है। इसमें एक ऐसा तत्व पाया जाता है, जो मुलेठी को संशोधित करके निकाला जाता है। मेडिकल साइंस में इस तत्व का प्रयोग गैस्ट्रिक अल्सर के घावों को ठीक करने में होता है और पेट में आसानी से घुल जाती है।
अल्सर का इलाज
दर्द से छुटकारा पाने के लिए एस्प्रीन की गोली ज्यादा खाने से पेट में अल्सर के साथ खून भी रिसने लगती है। ऐसी परिस्थिति में अगर एस्प्रीन गोली के साथ मुलेठी का सेवन किया जाए तो अल्सर के खतरे कम होते हैं। क्योंकि मुलेठी पेट की उत्तकों को मजबूत बनाती है।
कब्ज
मुलेठी की जड़ काफी नर्म और मुलायम होती है। यह एक लेक्सेटिव (मुलायम करने वाली दवा) के रुप मे काम करती है। बच्चों को अगर कब्ज की शिकायत है तो इसमें मुलेठी के जड़ का चूर्ण काफी असरदार होता है। यदि आप मुलेठी के पाउडर को गुड़ और पानी के साथ लेते हैं तो निस्संदेह कब्ज की बीमारी से छुटकारा मिल सकता है।
मांसपेशियों एवं जोड़ों के दर्द से राहत
बड़े-बुजुर्गों के साथ-साथ आजकल युवाओं के जोड़ों एवं मांसपेशियों में दर्द की शिकायत रहती है। इस दर्द से छुटकारा पाने के लिए मुलेठी का सेवन करें। इसकी जड़ों को पूरी रात पानी में भींगने के लिए छोड़ दें। सुबह में इसके पानी को पीएं। इसे आजमाने से पुराने से पुराने जोड़ों एवं मांसपेशियों के दर्द से काफी हद तक राहत मिलती है।
बवासीर और आंत्रशोथ
मुलेठी पेट की गैस्ट्रिक और बाउल मूवमेंट को ठीक करती है। इसकी जड़ काफी नर्म और मुलायम होते हैं। इसकी जड़ में एक खास तत्व पाए जाते हैं,जिसमें आंतों के सूजन को कम करने की क्षमता होती है। बवासीर के लिए भी मुलेठी की जड़ का चूर्ण काफी असरदार होता है।
घावों को भरने में कामयाब
चिकित्सकों का मानना है कि मुलेठी के बारीक चूर्ण को मक्खन, घी अथवा शहद के संग मिलाकर घावों पर लेप लगाने से घाव जल्दी भर जाते हैं।
मुंह के छाले मिटाने में
आयुर्वेद के मुताबिक मुलेठी की जड़ों को साफ पानी में कुछ समय तक डुबोकर रखने के बाद उस पानी से गरारे करने से मुंह में मौजूद छाले खत्म हो जाते हैं।
कफ और दमा के लिए रामबाण
इसमें एक ऐसा रसायनिक तत्व है जो दमा, कफ और ब्रोंकाइटिस की दवा में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। मुलेठी को मुंह में लेकर चबाने से न तो गला सूखता है और गले की खराश भी दूर होती है।
लीवर को मजबूत बनाने में मददगार
मुलेठी के सेवन से लीवर काफी मजबूत होती है। लिवर से निकलने वाले बाइल जूस के स्राव में भी मुलेठी काफी असरदार होती है। कीमोथेरेपी से लीवर को जो नुकसान पहुंचती है उसमें भी मुलेठी का सेवन लिवर को बचाने का काम करती है।
कोलेस्ट्रॉल कम करने और दिल की बीमारी में
एक शोध से पता चला है कि मुलेठी की जड़ को खाने से कोलेस्ट्रॉल और ट्रिगील्सेराइड में काफी कमी आती है, जिससे हार्ट अटैक से बचा जा सकता है।
एंटी बैक्टेरियल
ये एक प्रकार की एंटीबायोटिक भी है, इसमें बैक्टिरिया से लड़ने की क्षमता पाई जाती है। यह शरीर के अंदरुनी चोटो को भी कम करती है। बुखार में कई बार तेज एंटीबॉयटिक खानी पड़ जाती है, जो की लीवर और किडनी के लिए काफी हानिकारक होती है।
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