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3/12/2022

चंपानेर ( पावागढ़ ) इतिहास

   
                           
   

चंपानेर पावागढ़इतिहास


👉विश्वामित्र के पास जो कामधेनु गाय थी एक दिन चंपानेर में खाई में गिर गई और जिस खाई से वह बाहर नहीं आ सकी, पूरी खाई को अपने दूध के रस से भरकर इस दूध में तैरते हुए बाहर चली गई। और विश्वामित्र के कहने से यहाँ पूरी खाई को पानी से भरकर यहाँ विश्वामित्र नदी बना दी।


👉इस इलाके का नाम वास्तव में पावक गढ़ था जो बदनामी के कारण पावागढ़ हो गया है।


👉ये पावागढ़ सबसे पहले देखा गया था कर्णावती का सबसे बड़ा क्रूर बलात्कारी अहमद शाह हमले के बाद कुछ खास नहीं कर पाया क्योंकि इदर के राजपूत होशंग गाजी आदि से युद्ध में व्यस्त थे।


👉उसके बाद उसका बेटा और उसका बेटा महमूद बेगड़ा सत्ता में आया जिसने "सिर्फ" इस्लामिक झंडा अभियान के लिए चंपानेर पर अपनी काली नजर डाल दी।


👉राजपूत का मोर्चा तीन चरणों में तैयार था। जिसमें से पहला उपनाम किला था जहां मेडी की झील स्थित है। जो आज भी देखने को मिलता है।


👉 दूसरे चरण में थोड़ा ऊपर आना मतलब मोहती नाम का दरवाजा है और तीसरा चरण सदन शाह दरवाजा है।


👉 सात महलों के साथ एक ऊंची इमारत भी थी जहां रानियां बैठ कर जंगल में घूमते हुए अपने राजाओं को देखती हैं। एक शहर की हवेली भी थी। और आज भी जय सिंह (पटाई के राजा का महल जहाँ रानियों ने जौहर किया था) है।


👉 चंपानेर उस समय कर्णावती-सूरत के वर्ग का एक व्यापारिक-सामाजिक रूप से विकसित शहर था।


👉 1482 में गुजरात में सूखा पड़ा और महमूद बेगड़ा की नजर चंपानेर पर पड़ी तो उसकी सेना ने हमला किया और चंपानेर में हार कर वापस लौट गई।


👉 इस हार के साथ महमूद बेगड़ा ने बड़ौदा से आगे एक बहुत बड़ी सेना को घेर लिया जहां राजपूत राजाओं ने उसके साथ संधि करने की बहुत कोशिश की लेकिन बेगड़ा को विश्वास नहीं हुआ।


👉पतई राजा जय सिंह ने भी लड़ने का फैसला किया। और अपने मित्र सहयोगी मालवा ग्यासुद्दीन को कहावत भेजी जिसे कभी इन राजपूतों ने बचाया था।


👉 लेकिन इस ग्यासुद्दीन के पास बेगड़ा ने इस्लामी काजी को भेजकर वापस जाने को राजी कर दिया। ग्यासुद्दीन ने इस्लामी कहावत पर दोस्ताना देशद्रोह किया।


👉 राजपूतों को किला तोड़कर हराना असंभव था लेकिन राजपूतों को पता चला कि वो रोज सुबह पूजा के लिए किला छोड़ रहे थे। और उसने किले पर कब्ज़ा कर लिया।


👉 700 राजपूतों ने भगवा किया और उनकी रानियों और बच्चों ने जुहार किया और सभी ने काटा तन


👉 राजा जयसिह और उसका परिवार उसके सहयोगी दुर्जनसिह के साथ भी पकड़ा गया।


👉 6 महीने राजा और उसके परिवार को परेशान करते हुए जब उन्होंने इस्लाम कबूल करने से इनकार कर दिया।


👉उस समय जय सिंह का सर कट गया था लेकिन उसी समय जय सिंह मरते हुए साथी शेखन कबीर का सर तलवार से काट दिया गया था।


👉जय सिंह की वीरता और बलिदान से कोई प्रेरणा न लेने के लिए बगड़ा-कुत्ते ने जय सिंह की माँ काली से छेड़छाड़ की गंदी कहानी प्रकाशित की। लेकिन ये वो कहानी रह गई जिसका खुलासा हर अंग्रेज और भारतीय इतिहासकारों ने किया।


👉जब जय सिंह का पहला पोता छोटा उदेपुर शहर में बसा।


👉जयसिंह का दूसरा पोता देवगढ़-बरिया नगर में बसा।


और गुजरात का सबसे अमीर शहर चंपानेर बन गया वीरान बंजर भेंकर।


👉 250 साल बाद जब मराठा पेशवाओ-महादजी सिंधिया ने गुजरात पर कब्ज़ा किया तो पावगढ़ का मंदिर खुला। वहाँ दादरा बनाया।


👉पावगढ़ का मंदिर फिर बना कालका माताजी का किला


👉पटेल-जैनो-वनकर-राजपूत-ब्राह्मण सब पावागढ़ में इतना विश्वास रखते हैं कि वहां पैर रखने की जगह नहीं होती।


👉 जब पावागढ़ जाएं तो वीरता-बलिदान के इतिहास को याद कर इस राजपूत को नमन करना न भूलें। 🙏





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