खिचड़ी खाओ और खिलाओ
कुछ साल पहले प्राचीन भारत की विरासत में दिलचस्पी थी। प्रकृति को बहुत करीब से देखने और समझने लगे। दुनिया में जंक फूड और फास्ट फूड का फैलाव और इससे होने वाले नुकसान का प्रसार दिल दहला देने वाला है। भारतीय भक्षण संस्कृति का अध्ययन किया। खिचड़ी एक ऐसी डिश है जो कई मायनों में अनोखी है। छोटे थे तो खिचड़ी खाते थे पर खिचड़ी में इतना दम है सोचा नहीं था
जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गोलकिया साहब ने खिचड़ी के बारे में खूब बातें की। आगे बढ़ते हुए वडोदरा के एम। एस. एस. विश्वविद्यालय के साथ रहकर खिचड़ी पर शोध किया। कि, खिचड़ी गरीब या गरीब नहीं है, यह एक महान अय्याशी है।
10 हजार साल पहले खिचड़ी थी। आयुर्वेद, ऋषि-मुनी भी खिचड़ी की वकालत कर रहे हैं। मग और चावल दोनों अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली अनाज हैं।
खिचड़ी एक सूखा भोजन है। खिचड़ी माँ के दूध की तरह पवित्र है। खिचड़ी देवी देवताओं को भी प्रिय है। इसमें अपार और अपार गुण हैं। चार घंटे में ही हजम हो गया। खिचड़ी खाने से मन निर्मल होता है। हमारे यहां एक कहावत है जैसा अन्न वैसा मन
मग-चावल की खिचड़ी में गाय का घी डालकर खाने से शरीर और मन को लाभ होता है।
कहते हैं कि, भारत में जंक फूड की जगह खिचड़ी बना दी जाए तो भारत की कई समस्याएं खत्म हो जाएंगी। बीमारी कम हो जाएगी। जन जन का तन मन स्वस्थ हो आत्महत्याएं कम होनी चाहिए। खिचड़ी से भी मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।
ब्रह्म खिचड़ी में विभिन्न प्रकार की सब्जियां होती हैं जिससे खाने वाले भोजन से संतुष्ट होते हैं। यहां है कई बीमारियों को दूर करने वाली फुदी खिचड़ी बड़ों और बच्चों को खिचड़ी की ओर आकर्षित करने के लिए पनीर की खिचड़ी शोध की।
हमारी कई रेसिपी अद्वितीय हैं। 500 साल पुराना है देसी हंडवा कई सॉस 100-150 साल पुराने हैं। यह सब पोषक तत्वों का भंडार है। उनका कहना है, खिचड़ी में 16 प्रकार के पोषक तत्व होते हैं। ऊर्जा (280 कैलोरी), प्रोटीन (7.44 ग्राम), कार्बोहाइड्रेट (32 ग्राम), कुल वसा (12.64 ग्राम), आहार फाइबर (8 ग्राम), विटामिन ए (994.4 आईयू) विटामिन बी6 (0.24 मिली), विटामीन सी (46.32 मिली), विटमिन ई (0.32 आईयू), कैल्शियम (70.32 ग्राम) मिली ग्राम), आर्यन (2.76 मिली), सोडियम (1015.4 मिली), पोटैसी उम (753.64 मिली), मैग्नीशियम (71.12 मिली), फास्फोरस (138.32 मिली) और शामिल है जिंक (1.12 मिली ग्राम).
भूतकाल में एम। एस. एस. उपरोक्त जानकारी तब मिली जब विश्वविद्यालय के खाद्य एवं पोषण विभाग द्वारा सर्वप्रथम खिचड़ी में पोषक तत्वों का विश्लेषण किया गया।
कहते हैं खिचड़ी मिट्टी के बर्तन में बनाई जाए तो उसकी गुणवत्ता और स्वाद बढ़ जाता है। पुराने जमाने में लोग मिट्टी के बर्तन में खिचड़ी बनाते थे।
तैतारीय उपनिषद के एक श्लोक के संदर्भ में कहा गया है कि, अन्न ब्रह्म है क्योंकि, अन्न से ही प्रत्येक प्राणी उत्पन्न होता है। जन्म के बाद वह अन्न के साथ रहता है और अंत में मृत्यु के बाद भी अन्न में प्रवेश करता है।
भगवद गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि मनुष्य शरीर में मैं जठरा अग्नि रूप में रहता हूँ। उन्होंने यह भी कहा है कि, जीवन, बल, स्वास्थ्य, सुख और प्रेम को बढ़ाने वाले आहार, सड़ते और स्थिर नहीं होते, हृदय को स्थिर नहीं करते, रसदार, धूर्त आहार ईमानदार मनुष्यों को प्रिय होते हैं। ये सारे गुण हमारी खिचड़ी में शामिल हैं।
समय बहुत जल्द आएगा कि लोग अन्न वही ब्रह्म है, इस सनातन सत्य को समझकर भारतीय भोजन करने लौटेंगे। खिचड़ी सबसे अच्छी है, तो लोग खिचड़ी तो बनेंगे ही। और उस समय लोगों के स्वास्थ्य में सुधार होगा। खिचड़ी तो अब हम भूल गए हैं, लेकिन हमारी खिचड़ी देश-विदेश के कई व्यंजनों से हजार गुना ज्यादा है।
एक तरफ करोड़ो युवा फास्ट फूड खाकर अपनी सेहत खराब कर रहे है तो दूसरी तरफ खिचड़ी जैसे सुपर फूड से दूर रहकर बड़ा नुकसान उठा रहे है...!!
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