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11/21/2021

यूनेस्को का विश्व धरोहर सप्ताह 19 , 25 November 2021

   
                           
   

यूनेस्को का विश्व धरोहर सप्ताह 19 , 25 November 2021




विश्व धरोहर सप्ताह 19 नवंबर, 2021 और 25 नवंबर, 2021 के बीच यूनेस्को द्वारा मनाया जा रहा है। विश्व धरोहर सप्ताह मनाने का उद्देश्य लोगों में सांस्कृतिक विरासत और स्मारकों की सुरक्षा और संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।


भारत में विश्व विरासत स्थल वे स्थान हैं जिन्हें संयुक्त राष्ट्र(UN), संयुक्त राष्ट्रीय शिक्षण, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संस्था(UNESCO) द्वारा उनकी प्रकृति, संस्कृति, इतिहास एवं वैज्ञानिक महत्ता के आधार पर विशिष्ट संस्था द्वारा पहचाना जाता है|


UNESCO, UN की एक विशिष्ट संस्था है, जिसका उद्देश्य शिक्षा, विज्ञान एवं संस्कृति के नवीन रूपों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय संगठन में शान्ति एवं सुरक्षा में योगदान करना है|इसका मुख्यालय पेरिस, फ्रांस में है|

विश्व दर्शनीय स्थलों की सूची को विश्व दर्शनीय कार्यक्रम जिसका प्रशासन UNESCO विश्व दर्शनीय संगठन करता है, द्वारा होता है|


UNESCO विश्व धरोहर संगठन-----


यह 21 UNESCO सदस्य राज्यों द्वारा गठित है जिन्हें UN सामान्य संगठन द्वारा चुना जाता है|


UNESCO विश्व धरोहर अधिनियम, 1972 के अधीन विस्तारित यह सांस्कृतिक या प्राकृतिक दर्शनीय महता के क्षेत्र हैं|


इटली, विश्व धरोहर स्थलों की सूची में प्रथम स्थान पर हैं|


सभी देशों को उन स्थानों की अंतिम सूची बताना आवश्यक होता है जिन्हें वे सांस्कृतिक या प्राकृतिक स्थल मानते हैं और इसलिए उन्हें विश्व दर्शनीय स्थलों की सूची में शामिल किया गयाहै| थानों की सूचियां, जिन्हें वे बकाया सार्वभौमिक मूल्यों की सांस्कृतिक या प्राकृतिक विरासत मानते हैं

अस्थायी/अंतिम सूचियों को संपूर्ण नहीं माना जाता है और किसी भी नामांकन प्रस्तुत करने से एक वर्ष पहले इन्हें प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है।


देशों को अपनी अंतिम सूची कम से कम प्रत्येक दस वर्षों में पुन: परीक्षण करना चाहिए|


यदि किसी भी स्थल को विश्व दर्शनीय स्थल में शामिल किया जाए, तो इसे अस्थायी सूची में से हटा दिया जाना चाहिए|


भारत के सभी 40 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों के बारे में जानने के साथ, उन मानदंडों पर एक त्वरित नज़र डालते हैं जिनके आधार पर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों में शामिल किए जाने वाले स्थलों का चयन करता है। वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स में सूचीबद्ध होने के लिए कुल दस मापदंड हैं जिनमें से एक की आवश्यकता है। ये इस प्रकार हैं:


*मानव रचनात्मक प्रतिभा।

*मूल्यों का परिवर्तन।

*सांस्कृतिक परंपरा के अनुरूप।

*मानव इतिहास में महत्व।

*असाधारण मानव कृति।

*सार्वभौमिक महत्व की घटनाओं के साथ जुड़ाव। 

*घटनाएँ या सुंदरता।

*पृथ्वी के इतिहास के प्रमाणस्वरूप ।

*महत्वपूर्ण पारिस्थितिक और जैविक प्रक्रियाओं से जुड़ाव ।

*जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण प्राकृतिक आवास।


भारत के ये स्थल यूनेस्को  सूची में धरोहर स्थल सांस्कृतिक या प्राकृतिक विरासत के महत्व के स्थल हैं। भारत में सांस्कृतिक स्थलों को प्रतिभा के अनुसार चिह्नित किया जाता है।


UNESCO ने भारत के 40 स्थलों को अब तक विश्व विरासत सूची में स्थान दिया है जिसमें 32 सांस्कृतिक स्थल, 7 प्राकृतिक स्थल एवं 1 मिश्रित स्थल है । इस सूची में सबसे नवीन 2021 में शामिल किए गए

दो स्थल हैं, तेलंगाना राज्य स्थित ककातीय रुद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर एवं गुजरात स्थित विस्तृत हड़प्पाकालीन पुरास्थल धोलावीरा है!  बिहार के दो सांस्कृतिक स्थलों महाबोधी मंदिर (2002), तथा नालन्दा महाबिहार (2016) शामिल है । बाकी बिहार के 70 पुरास्थलें भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय महत्व के स्थलों के रूप में सूचीबद्ध हैं जिनमें भागलपुर जिले के 4 स्थल 1.विक्रमशिला विहार का प्राचीन स्थल अंतिचक, 2. प्रस्तर (शांति बाबा) मंदिर कहलगाँव, 3. पातालपुरी गुफा और बटेश्वर गुफा से सटी भूमि, पत्थरघट्टा पहाड़ी परमाधोरामपुर और 4. प्रस्तर शिल्प पत्थरघट्टा (वटेश्वर) शामिल हैं। इसके अलावे अन्य 44 पुरास्थलें बिहार सरकार द्वारा सूचीबद्ध हैं जिसमें बिहार सरकार ने भागलपुर जिले के दो पुरास्थलों 1. खेरी पहाड़ी पुरास्थल, शाहकुण्ड और 2. महमूद शाह का मकबरा, कहलगाँव को राज्य पुरास्थल की सूची में स्थान दिया है । अभी हाल फिलहाल में बिहार सरकार में पुरातात्विक महत्व के दो स्थल भागलपुर जिले स्थित अमरपुर प्रखण्ड स्थित भदरिया पुरास्थल एवं बिहपुर प्रखंड स्थित गुवारीडीह ताम्रपाषाणिक स्थल को इस सूची में शामिल किया है, जिसके कारण इन स्थलों की संख्या बढ़कर 4 हो गई है! एक दुर्भाग्यपूर्ण सत्य यह भी है कि सुल्तानगंज स्थित अजगवी पहाड़ी, मुरली पहाड़ी तथा जहाँगिरा का नाम उपरोक्त किसी सूची में शामिल नही है , जो कि Pala School  of Art का एक महत्वपूर्ण केन्द्र के साथ सुप्रसिद्ध बौद्ध केन्द्र भी रहा है ।

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