कड़वा करेला, गुणों में अलबेला
करेले में 6 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 15 ग्राम प्रोटीन,20 मिलीग्राम कैल्शियम, 70 मिलीग्राम फास्फोरस,18 मिलीग्राम लोह तत्व, विटामिन ए, विटामिन-सी के अलावा इसमें गंधयुक्त वाष्पशील तेल, केरोटीन, ग्लूकोसाइड, सेपोनिन, एल्केलाइड एवं बिटर्स पाए जाते हैं। इन सभी पौषक तत्वों के कारण करेला केवल सब्जी न होकर औषधि का काम भी करता है। इसके औषधीय गुण इस प्रकार हैं।
* करेला मधुमेह में रामबाण औषधि का कार्य करता है, छाया में सुखाए हुए करेला का एक चम्मच पावडर प्रतिदिन सेवन करने से डायबिटीज में चमत्कारिक लाभ मिलता है। क्योंकि करेला पेंक्रियाज को उत्तेजित कर इंसुलिन के स्रावण को बढ़ाता है।
* बिटर्स एवं एल्केलाइड की उपस्थिति के कारण इसमें रक्तशोधक गुण पाए जाते हैं। इसका प्रयोग करने से फोड़े-फुंसी एवं चर्मरोग नहीं होते।
* करेले के बीज में विरेचक-तेल पाया जाता है। जिसके कारण करेले की सब्जी खाने से कब्ज नहीं होता। वहीं इसके सेवन से एसिडिटी, खट्टी डकारों में आराम मिलता है।
* विटामिन ए की उपस्थिति के कारण इसकी सब्जी खाने से रतौंधी रोग नहीं होता है। जोड़ों के दर्द में करेले की सब्जी का सेवन व जोड़ों पर करेले के पत्तों का रस लगाने से आराम मिलता है।
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जानें घरेलू पेनकिलर के बारे में
जैतून के तेल में एक ऐसा प्राकृतिक रसायन पाया गया है, जो दर्द व सूजन से राहत देने वाली दवा आइबुप्रोफेन की तरह कार्य करता है। इसमें एक और सक्रिय अवयव ओलियोकेंथल होता है, जो शरीर में होने वाली जैव-रासायनिक क्रियाओं को ठीक उसी प्रकार से उत्प्रेरित करता है, जैसे आइबुप्रोफेन और अन्य स्टेरॉइडरहित सूजननाशक दवाएँ करती हैं।
50 ग्राम जैतून का तेल (विशुद्घ) आइबुप्रोफेन की खुराक के 10 प्रतिशत के बराबर होता है। खट्टी चेरी- शोधकर्ताओं के अनुसार 20 खट्टी चेरी (एंथोसायनिन्सयुक्त) खाने से दर्द से राहत मिलती है। यह एस्पिरिन से भी बेहतर काम करती है।
यह विटामिन-ई के समान एंटी-ऑक्सीडेंट की तरह व्यवहार दर्शाती है। यह देखने में आया है कि रोज चेरी के सेवन से सूजन, गठिया और थक्का जमने के कारण होने वाली पीड़ा कम हो जाती है।
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