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7/20/2021

चामुंडेश्वरी मंदिर, कर्नाटक (देवी के महाशक्ति पीठ)

   
                           
   

चामुंडेश्वरी मंदिरकर्नाटक देवी के महाशक्ति पीठ 




देवी का यह मंदिर कर्नाटक राज्य में मैसूर शहर से 13 किमी दूर चामुंडी पहाड़ियों पर स्थित है। यह मंदिर माँ दुर्गा के ही एक स्वरुप 'माँ चामुंडेश्वरी' को समर्पित है। यह स्थान हिन्दुओं का प्रमुख धार्मिक स्थान है और चामुंडेश्वरी देवी को दुर्गा जी का ही रूप माना जाता है। चामुंडी पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर दुर्गा जी द्वारा राक्षस महिषासुर के वध का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है की देवी ने महिषासुर का इसी जगह वध किया था वही आज यह चामुंडेश्वरी मंदिर स्थित है। चामुंडी पहाड़ी पर महिषासुर की एक ऊंची मूर्ति है और उसके बाद मंदिर है।


चामुंडेश्वरी मंदिर को 18 महा शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। क्योंकि मान्यताओं के अनुसार यहाँ देवी सती के बाल गिरे थे। पौराणिक काल में यह क्षेत्र 'क्रौंच पुरी'कहलाता था, इसी कारण दक्षिण भारत में इस मंदिर को 'क्रौंचा पीठम' के नाम से भी जाना जाता है। रहवासियों की मानें तो कहा जाता है की शक्तिपीठ की रक्षा के लिए कालभैरव भी यहां सदैव विराजमान रहते हैं


माना जाता है कि यह मंदिर 12 वीं शताब्दी में बनाया गया था होयसला शासकों  द्वारा बनाया गया था विजयनगर 17 वीं शताब्दी के शासक। 1659 में, एक हजार सीढ़ियों की एक उड़ान का निर्माण किया गया था, जो पहाड़ी की 3000 फुट की ऊँचाई तक जाती थी। मंदिर में कई चित्र हैं नंदी है। बहुत बड़ा है ग्रेनाइट थोड़ी दूर पर एक छोटे शिव मंदिर के सामने पहाड़ी पर 700 वें कदम पर नंदी। यह नंदी 15 फीट से अधिक ऊंचा है, और 24 फीट लंबा और इसकी गर्दन के चारों ओर उत्तम घंटियां हैं।

 पौराणिक कथा के अनुसार महिषासुर को ब्रह्माजी का वरदान प्राप्त था की वह केवल एक स्त्री द्वारा ही मारा जाएगा। इसके अलावा अन्य कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता था। वर प्राप्त करने के बाद महिषासुर ने देवताओं और ऋषियों पर अत्याचार करना प्रारंभ कर दिया। इससे दुखी देवताओं ने महिषासुर से छुटकारा पाने के लिए महाशक्ति भगवती की आराधना की। देवी भगवती ने देवताओं की प्रार्थना से प्रसन्न होकर उन्हें महिषासुर के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने का आश्वासन दिया। इसके बाद देवी भगवती और महिषासुर के बीच भयंकर युद्ध हुआ। देवी ने सभी असुरी सेना का वध कर अंत में महिषासुर का मस्तक काट दिया। देवी के इस रूप में चामुंडा का नाम दिया गया।

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