तनाव दूर करता है प्याज
गर्मियों का राजा प्याज
प्याज का इस्तेमाल आमतौर पर हमारे घरों में सब्जी के रूप में किया जाता है। प्याज औषधीय गुणों का भंडार है और अनेक रोगों की रामबाण दवा भी।
यदि दांत का दर्द है, तो उसके नीचे प्याज का एक छोटा टुकड़ा दबा लीजिए। आराम मिलेगा। प्याज के सेवन से आंखों की ज्योति बढ़ती है। प्याज के रस का नाभि पर लेप करने से पतले दस्त में लाभ होता है। अपच की शिकायत होने पर प्याज के रस में थोड़ा-सा नमक मिलाकर सेवन करें। सफेद प्याज के रस में शहद मिलाकर सेवन करना दमा रोग में बहुत लाभदायक है। प्याज के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से शरीर में खून की कमी दूर होती है। यदि गठिया का दर्द सताए तो प्याज के रस की मालिश करें। उच्च रक्तचाप के रोगियों को कच्चे प्याज का सेवन अवश्य करना चाहिए, क्योंकि यह ब्लडप्रेशर कम करता है। उल्टियां हो रही हों या जी मिचला रहा हो, तो प्याज के टुकड़े में नमक लगाकर खाने से राहत मिलती है। जिन्हें मानसिक तनाव बना रहता हो, उन्हें प्याज का सेवन करना चाहिए, क्योंकि प्याज में मौजूद एक विशेष रसायन मानसिक तनाव कम करने में सहायक है।
घर के बुजुर्ग गर्मियों में प्याज को साथ में रखने की सलाह देते हैं क्योंकि प्याज इस मौसम की तपन और लू को खुद में समा लेता है और शरीर को गर्मी लगने से बचाता है।
🌺🌺🌺🌺🌺 ओर भी जाने 🌺🌺🌺🌺🌺
आपके किचन में रखी है नेचुरल मेडिसीन
* आंवला : आंवला एक ऐसा फल है जिसे सुखाने से भी विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में बना रहता है। पौष्टिक है और शोधक रक्त विकार दूर करता है, नेत्र ज्योति बढ़ाता है। आंवला के रोज सेवन से बाल काले रहते हैं। आंवला का प्रयोग रोज सभी को किसी न किसी रूप में करना चाहिए।
* तुलसी : तुलसी ज्वरनाशक है तथा शीत प्रधान रोग में यह विशेष रूप से काम में ली जाती है। इसका काढ़ा बनाकर पिलाते हैं। यह कृमिनाशक व वायुनाशक है।
* अजवाइन : कफ, वातनाशक एवं पित्तवर्धक है। अजवाइन के तेल की मालिश से सूजन और दर्द में आराम मिलता है। खांसी एवं श्वास रोग में इसका चूर्ण या नमकीन सूखा अजवाइन मुँह में रखने से आराम मिलता है। यह भूख बढ़ाता है। अजीर्ण, अपच एवं उदरशूल मिटाता है। जीवाणु वृद्धि को भी रोककर एंटीबायोटिक की भूमिका निभाता है।
* धनिया : धनिया का गुण ठंडक पहुंचाना है। यह नेत्र ज्योति बढ़ाता है। इसकी पंजेरी बनाकर गर्मी में रोज खाना चाहिए।
* छोटी हरड़ : भोजन के बाद लेने से गैस नहीं बनती, पाचन ठीक रहता है व भोजन ठीक से हजम होता है, खाना खाने के बाद एक छोटी हरड़ चूसना चाहिए।
* लेंडीपीपल : यह पौष्टिक और पाचक है। प्रातः दूध और शहद के साथ लें तो बलवर्धक है। बच्चों की पसली चलने पर भूनी पीपल का जरा सा चूर्ण शहद में मिलाकर खिलाने से आराम मिलता है। जिगर बढ़ना, तिल्ली बढ़ना, अफरा, अपच, वमन, अजीर्ण तथा श्वास खाँसी में लाभदायक है।
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