अँगूर के खट्टे-मीठे गुण (angur ke gun )
किसी ने धतूरा खा लिया हो, तो उसे अँगूर का सिरका दूध में मिलाकर पिलाने से काफी लाभ होता है। अँगूर मियादी बुखार, मानसिक परेशानी, पाचन की गड़बड़ी आदि भी काफी लाभकारी है। अँगूर शरीर में मौजूद विषैले तत्वों को आसानी से शरीर से बाहर निकाल देता है। यह एक अच्छा रक्तशोधक(ब्लड प्यूरीफायर) व रक्त विकारों को दूर करने वाला फल है।
अँगूर रक्त की क्षारीयता सन्तुलित करता है, क्योंकि रक्त में अम्ल व क्षार का अनुपात 20:80 होना चाहिए। यदि किसी कारणवश शरीर में अम्लता बढ़ा जाए, तो वह हानिकारक साबित होता है।
अँगूर बढ़ती अम्लता को आसानी से कन्ट्रोल करता है। अँगूर का 200 ग्राम रस शरीर को उतनी ही क्षारीयता प्रदान करता है, जितना कि एक किलो 200 ग्राम बाईकार्बोनेट सोडा, हालाँकि सोडा इतनी अधिक मात्रा में लिया नहीं जा सकता।
अँगूर के रस को कलई के बर्तन में पकाकर गाढ़ा करके सोते समय आँखों में लगाने से जाला, फूला आदि नेत्र रोगों दूर हो जाते हैं। अँगूर की बेल काटने से जो रस निकलता है, वह त्वचा रोगों में लाभकारी होता है। अँगूर के पत्तों का अर्क एक से तीन चम्मच तक लेने पर व बवासीर के मस्सों पर लगाने पर काफी लाभ मिलता है।
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