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6/08/2020

कर बुरा तो हो बुरा

   
                           
   
कर बुरा तो हो बुरा
एक बार की बात है, एक गाँव में एक वैद्यजी रहते थे । वैद्यजी के पास कभी कभार कोई मरीज आता था क्योंकि उस गाँव में ज्यादातर लोग बीमार नहीं पड़ते थे । इससे वैद्यजी की आजीविका में बहुत समस्या आती थी । एक दिन वैद्यजी अपनी झोपड़ी से बाहर निकले और एक पेड़ के नीचे जाकर बैठे । तभी उन्हें उस पेड़ के कोटर में एक सांप दिखाई दिया । वैद्यजी सोचने लगे कि अगर यह सांप किसी को काट खाए तो कितना अच्छा हो । मैं उसे ठीक करके अच्छा खासा धन कमा सकता हूँ ।
तभी वैद्यजी की नजर सामने खेल रहे बच्चों पर पड़ी । उन्होंने बच्चो के पास जाकर कहा – “ देखो ! बच्चों उस पेड़ के कोटर में मिट्टू मिया बैठे है ।” बच्चे तो बच्चे होते है, उनमें से एक बच्चा दौड़ा और सीधे जाकर कोटर में हाथ डाल दिया । संयोग से सांप की मुण्डी उसके हाथ में आ गई । जैसे ही उसने बाहर निकाला तो डर के मारे उछाल दिया । नीचे अन्य बच्चों के साथ वैद्यजी खड़े थे । सांप सीधा वैद्यजी के ऊपर आकर गिरा और कई जगह डस लिया । तड़पते हुयें वैद्यजी की जान निकल गई ।
इसलिए कहते है – “ कर बुरा तो हो बुरा ”
शिक्षा – दोस्तों ! इसलिए मनुष्य को हमेशा दूसरों का भला सोचना चाहिए, और भला ना हो सके तो कमसे कम बुरा तो नहीं सोचना चाहिए ।

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