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12/22/2022

पितृदोष का असर

   
                           
   
पितृदोष का असर

                                लक्षण
                       जिम्मेदार ग्रह चल
                   जिंदगी पर भयानक प्रभाव

पितृ दोष और पितृ ऋण से पीड़ित कुंडली शापित कुंडली कही जाती है। ऐसे व्यक्ति अपने मातृपक्ष अर्थात माता के अतिरिक्त मामा-मामी मौसा-मौसी, नाना-नानी तथा पितृपक्ष अर्थात दादा-दादी, चाचा-चाची, ताऊ-ताई आदि को कष्ट व दुख देता है और उनकी अवहेलना व तिरस्कार करता है। जन्म पत्री में यदि सूर्य पर शनि राहु-केतु की दृष्टि या युति द्वारा प्रभाव हो तो जातक की कुंडली में पितृ ऋण की स्थिति मानी जाती है। इसके अलावा भी अन्य कई स्थितियां होती है।

इसके अलावा व्यक्ति अपने कर्मों से भी पितृदोष निर्मित कर लेता है। विद्वानों ने पितर दोष का संबंध बृहस्पति (गुरु) से बताया है। अगर गुरु ग्रह पर दो बुरे ग्रहों का असर हो तथा गुरु 4-8-12वें भाव में हो या नीच राशि में हो तथा अंशों द्वारा निर्धन हो तो यह दोष पूर्ण रूप से घटता है और यह पितर दोष पिछले पूर्वज (बाप दादा परदादा) से चला आता है, जो सात पीढ़ियों तक चलता रहता है।

पितृ ऋण कई प्रकार का होता है जैसे हमारे कर्मों का, आत्मा का, पिता का, भाई का, बहन का, मां का, पत्नी का, बेटी और बेटे का। आत्मा का ऋण को स्वयं का ऋण भी कहते हैं। जब कोई जातक अपने जातक पूर्व जन्म में धर्म विरोधी कार्य करता है तो वह इस जन्म में भी अपनी इस आदत को दोहराता है। ऐसे में उस पर यह दोष स्वत: ही निर्मित हो जाता है। धर्म विरोधी का अर्थ है कि आप भारत के प्रचीन धर्म हिन्दू धर्म के प्रति जिम्मेदार नहीं हो। पूर्व जन्म के बुरे कर्म, इस जन्म में पीछा नहीं छोड़ते। अधिकतर भारतीयों पर यह दोष विद्यमान है। स्वऋण के कारण निर्दोष होकर भी उसे सजा मिलती है। दिल का रोग और सेहत कमजोर हो जाती है। जीवन में हमेशा संघर्ष बना रहकर मानसिक तनाव से व्यक्ति त्रस्त रहता है।

                       {भयानक प्रभाव}

आप कर्ज में दब जाते हो और ऐसे में आपके घर की शांति भंग हो जाती है। मातृ ऋण के कारण व्यक्ति को किसी से किसी भी तरह की मदद नहीं मिलती है। जमा धन बर्बाद हो जाता है। फिजूल खर्जी को वह रोक नहीं पाता है। कर्ज उसका कभी उतरना नहीं।

बहन के ऋण से व्यापार-नौकरी कभी भी स्थायी नहीं रहती। जीवन में संघर्ष इतना बढ़ जाता है कि जीने की इच्छा खत्म हो जाती है। बहन के ऋण के कारण 48वें साल तक संकट बना रहता है। ऐसे में संकट काल में कोई भी मित्र या रिश्तेदार साथ नहीं देते भाई के ऋण से हर तरह की सफलता मिलने के बाद अचानक सब कुछ तबाह हो जाता है। 28 से 36 वर्ष की आयु के बीच तमाम तरह की तकलीफ झेलनी पड़ती है।

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