बहुत विशाल है शिवलिंगों का संसार
भारत में 25 हजार ऐसे रहस्यमयी शिवलिंग है जिसके बारे में जानकारी लोगों को बहुत कम है।
तिरुपति बालाजी का नाम लगभग सबने सुना होगा, लेकिन यह रहस्य बहुत कम लोगों को मालूम है कि महादेव की शक्ति हिमालय पुत्री माँ पार्वती का जन्म इसी मंदिर परिसर में हुआ था।
दक्षिण भारत के 5 शिवालय पंचतत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं।
पहला-वायु तत्व शिवलिंग-श्री काल हस्ती
दूसरा-जम्बुकेश्वर का जल तत्व शिवलिंग
तीसरा-एकाम्बरेश्वर शिवालय, पृथ्वीतत्व शिवलिंग
चौथा-चिदम्बरम का नटराज मन्दिर आकाशतत्व शिवलिंग है और
पांचवा अग्नितत्व शिवलिंग तिरुणामलय में अरुणाचलेश्वरा शिवालय।
शायद लोग नहीं जानते हुए कि नवग्रह के 9 शिवालय तथा 27 नक्षत्रों के 27 स्वयम्भू शिवलिंग भी इस धरती पर हैं, जो सभी कुम्भकोणम दक्षिण में सयम्भू रूप में स्थापित हैं।
मूल यानि ओरिजनल भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग भी दक्षिण भारत के राजमुंदरी से 80 किलोमीटर दूर घने वन में हैं।
दातावरम में हैं और कुमारा वर्मा नामक स्थान पर शंकर ज्योतिर्लिंग हैं।
यह दोनों लगभग 16 से 20 फिट ऊँचें है एवं इनका व्यास 8 इंच करीब है। इन्हें कोई भी छू नहीं सकता।
ओरिजनल वैद्यनाथ धाम वेदेहीश्वरं कोइल नामक ग्राम है तथा मूल नागेश्वर ज्योतिर्लिंग चिदम्बरम के नजदीक हैं। यहां हर रोज राहुकाल में कालसर्प की शांति की जाती है।
स्कंदपुराण के अनुसार दुनिया में 84 लाख स्वयंभू शिवलिंग हैं धरती, पाताल में।
35 हजार से अधिक दुर्लभ शिवलिंगों की जानकारी के लिए अमृतमपत्रिका गुग्गल पर सर्च करें।
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