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9/29/2022

विनायक चतुर्थी आज

   
                           
   

विनायक चतुर्थी आज


विनायक चतुर्थी हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला बहुत पवित्र त्यौहार है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन किए गए व्रत को बहुत फलदायी माना गया है। माना जाता है इस व्रत से प्रकट की गई हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। प्रत्येक पूजा से पहले श्री गणेश जी का पूजन किया जाता है। विनायक चतुर्थी का पर्व गणेश जी को समर्पित होता है।


विनायक चतुर्थी कब है?

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हिंदू पंचांग के अनुसार इस दिन को चंद्र मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को मनाया जाता है। विनायक चतुर्थी को वर्ष में बारह बार मनाया जाता है, क्योंकि प्रत्येक माह में एक विनायक चतुर्थी आती है। इसे अमावस्या के बाद मनाया जाता है। भाद्रपद के माह में आने वाली विनायक चतुर्थी को सबसे विशेष माना जाता है। इस शुभ अवसर पर किए जाने वाले व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है। इस चतुर्थी के दिवस को भगवान श्री गणेश का जन्मदिन मानकर मनाया जाता है। 


तिथि

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प्रारम्भ - 01:27 सुबह, सितम्बर 29

समाप्त - 12:08 सुबह, सितम्बर 30


सितम्बर 29, 2022, बृहस्पतिवार


02 घण्टे 23 मिनट्स


विनायक चतुर्थी व्रत की विधि

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इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान किया जाता है। जिसके बाद भक्त व्रत करने का संकल्प लेते हैं।


इस दिन किया गया व्रत सूर्योदय से शुरू हो जाता है और अगले दिन सूर्योदय होने के बाद इसका पारण किया जाता है।


संकल्प लेने के बाद भगवान गणेश जी की प्रतिमा पूजा स्थल में स्थापित की जाती है।


उसके बाद श्री गणेश जी को स्नान करवाया जाता है और प्रतिमा पर गंगाजल का छिड़काव किया जाता है। जिसके बाद पुराने वस्त्रों को हटाकर नए वस्त्र पहनाएं जाते हैं।


इस दिन व्रत करने वाले भक्त पूरे दिन में मात्र एक बार ही भोजन ग्रहण कर सकते हैं।


गणेश जी के मंत्रों के साथ पूजा की जाती है और पूजा में धूप, नैवेद्य, फूल, दीपक, पान का पत्ता और फल इत्यादि अर्पित किए जाते हैं।


इस प्रकार दिन में दो बार पूजा करने के बाद कथा को पढ़ा या सुना जाता है।


पूजा के पूर्ण हो जाने पर फल और मिठाई को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। इस शुभ दिन पर पूजा के बाद दान अवश्य करना चाहिए।


विनायक चतुर्थी की कथा-

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विनायक चतुर्थी की व्रत कथा के अनुसार नर्मदा नदी के किनारे माता पार्वती जी का मन किया कि वह चौंपड़ खेले। लेकिन जीत का निर्णय लेने वाला कोई अन्य वहां पर उपस्थित नहीं था। ऐसी परिस्थिति में भगवान शिव जी ने तिनकों की सहायता से एक पुतला बनाकर उसमें प्राण डाल दिए। अब यह बालक चौंपड़ के खेल में विजय का फैसला करने वाला था।


फैसला सुनाते समय बालक ने भगवान शिव को विजेता बना दिया। लेकिन इस खेल में माता पार्वती जी तीनों बार जीत चुकी थी। गलत फैसले को सुनकर माता पार्वती जी उस बालक पर क्रोधित हो गई और उसे श्राप दे दिया। जिससे बालक लंगड़ा हो गया। अपनी ऐसी हालत देखकर बालक को अपनी गलती का एहसास हो गया।


उस के क्षमा मांगने पर माता शक्ति ने बालक से कहा जब गणेश पूजन के लिए नागकन्याएं आएगी तो तुम विधि विधान से गणेश व्रत का पालन करना। माता की आज्ञा का पालन करते हुए बालन इसी प्रकार गणेश की के चतुर्थी व्रत को किया। जिससे गणेश जी बहुत प्रसन्न हुए और गणेश जी के आशीर्वाद से बालक श्राप से मुक्ति मिल गई।  


विनायक चतुर्थी का महत्व

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सनातन धर्म में इसे को बहुत महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। प्रत्येक माह आने वाली इस चतुर्थी के दिन भक्तों द्वारा विधिवत व्रत का पालन किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन किए गए व्रत से सभी परेशानियों और कष्टों से मनुष्य मुक्त हो जाता है। इस दिन पूरी आस्था और श्रद्धा से की गई पूजा से सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।





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